स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने सोमवार, 18 अप्रैल को तीन साल में पहली बार मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) में बढ़ोतरी की है. एसबीआई द्वारा लिए गए फैसले के बाद कोटक महिंद्रा और एक्सिस बैंक ने भी MCLR में बढ़ोतरी की है. स्टेट बैंक ने 10 और एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा व कोटक महिंद्रा बैंक ने 5-5 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है. बैंकों द्वारा MCLR में बढ़ोतरी भारतीय रिजर्व बैंक के बयान के बाद हुई है.
SBI,Axis,BOB...कई बैंकों ने मंहगा किया लोन: EMI और रेपो रेट में कितनी बढ़ोतरी?
1. कितना बढ़ने वाली है EMI?
अप्रैल की शुरुआत में मॉनेट्री पॉलिसी रिव्यू मीटिंग में मुद्रास्फीति से निपटने, विकास को समर्थन देने पर अपना ध्यान केंद्रित किया था.
एसबीआई ने एमसीएलआर को 10 बेसिस प्वाइंट (BPS) बढ़ाकर 7.1% कर दिया है. यह अब HDFC बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और ICICI बैंक से 7.25% से थोड़ा कम है. बैंक ऑफ बड़ौदा, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने एमसीएलआर में 5 बीपीएस की वृद्धि की है. पब्लिक सेक्टर और प्राईवेट बैंक भी आने वाले दिनों में एमसीएलआर बढ़ाने की तैयारी में हैं.
एमसीएलआर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1 अप्रैल, 2016 से लागू किया था. यह अक्टूबर 2019 से पहले लिए गए नए कॉरपोरेट लोन और फ्लोटिंग रेट लोन पर लागू होता है. इसके बाद RBI ने बाहरी बेंचमार्क लिंक्ड लेंडिंग रेट (EBLR) सिस्टम पर स्विच किया.
MCLR में बढ़ोतरी होने के बाद घर, वाहन और पर्सनल लोन लेने वाले लोगों को आने वाले दिनों में उनकी समान मासिक किश्तों (EMI) में बढ़ोतरी होगी.
RBI द्वारा समायोजन पॉलिसी को वापस लेने के साथ, आने वाले महीनों में उधार दरों में और ज्यादा बढोतरी होने की उम्मीद है.
Expand2. ब्याज दरों में भी होगी बढ़ोतरी
बैंकरों के मुताबिक फाइनेंसियल सिस्टम में मुद्रा आपूर्ति के धीरे-धीरे सख्त होने से ब्याज दरों में तेजी आने की उम्मीद है. कोरोना महामारी के मद्देनजर किए गए उपायों, आरबीआई के अन्य कार्यों के माध्यम से इंजेक्ट की गई लिक्विडिटी के साथ संयुक्त रूप से सिस्टम में 8.5 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर की लिक्विडिटी अधिक हो गई है.
मार्च में फुटकर मंहगाई 6.95% और थोक मंहगाई 14.55% पर पहुंचने के साथ, केंद्रीय बैंक को कीमतों में कमी लाने के उपाय करने की उम्मीद है.
समायोजन नीति के सख्त होने के साथ आम तौर पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल ही में पॉलिसी को सख्त करने और ब्याज दरों में वृद्धि की घोषणा की है. दरों में बढ़ोतरी का अगला दौर मई-जून के आखिरी में होने की उम्मीद है. हालांकि, दरों में बढ़ोतरी धीरे-धीरे होने की उम्मीद है.
Expand3. बैंकों को रेपो रेट में बढ़ोतरी की उम्मीद
बैंकों को उम्मीद है कि रेपो रेट में जून बढ़ोतरी देखी जाएगी क्योंकि रिजर्व बैंक मंहगाई पर लगाम लगाने के लिए सिस्टम से लिक्विडिटी को बाहर निकालना चाहता है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी का संकेत देते हुए 10-वर्षीय बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड पर 7.15 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो दो सप्ताह से भी कम समय में 24 बीपीएस बढ़ गया है. दूसरी ओर फंड की लागत बढ़ने वाली है, जिससे बैंक उधार दरों में वृद्धि कर सकते हैं.
एनालिस्ट्स और बैंकरों को उम्मीद है कि जून पॉलिसी रिव्यू में आरबीआई रेपो रेट को 4% से बढ़ा देगा.
SBI की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया कि अब हम जून और अगस्त में प्रति चक्र में 75 बेसिस प्वाइंट के साथ 25-बीपीएस की बढोतरी की उम्मीद करते हैं.
आरबीआई ने विकास को बढ़ावा देने के लिए पिछली 11 पॉलिसी रिव्यू में रेपो रेट में बदलाव नहीं किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बैंकिंग इंडस्ट्री के एक सूत्र ने कहा कि जब जून या अगस्त में रेपो रेट में बढ़ोतरी की जाएगी, तो लोन और जमा पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद है.
दोनों पॉलिसी रेट को पिछली बार मई 2020 में रेपो के साथ 4% और रिवर्स रेपो को 3.35% पर कम किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस के एमडी और सीईओ वाई एस चक्रवर्ती ने कहा कि जमा दरें पहले ही अधिक बढ़ने लगी हैं और एक अंतराल के साथ फाइनेंसियल ईयर 2023 की पहली छमाही में उधार दरें बढ़ सकती हैं.
Expand4. जमा दरों में आएगी बढ़ोतरी
भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक अगले एक-दो महीनों में डिपोजिट रेट्स में बढ़ोतरी की उम्मीद है. SBI अब 1-2 साल में 5.10% ब्याज देता है. इसका मतलब है कि एक फिक्स्ड डिपोजिट होल्डर 185 बेसिस प्वाइंट्स के निगेटिव रिटर्न पर बैठा है क्योंकि मुद्रास्फीति अब 6.95% पर है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक ऑफ बड़ौदा के एक सीनियर ऑफिसर ने हाल ही में कहा था कि कुछ मेच्योरिटीज पर जमा दरों में बढ़ोतरी हुई है. बैंकों के लिए फंड की लागत भी बाजारों से जुटाए गए फंड से बढ़ी है.
देश की पांच प्रमुख बैंकों पर आरबीआई की एक स्टडी के मुताबिक 1 से 3 साल में जमा दरें 2013-14 में 8.75-9.25% से गिरकर 2021-22 में 4.90-5.15% हो गई हैं. कम ब्याज दरों के बावजूद कोरोना महामारी के दौरान जमा वृद्धि फाइनेंसियल ईयर 2010 में 8% से बढ़कर फाइनेंसियल ईयर 2011 में 11% हो गई. कई बैंकों ने इस साल फरवरी से जमा दरों में 10 बीपीएस तक की बढ़ोतरी की है.
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अप्रैल की शुरुआत में मॉनेट्री पॉलिसी रिव्यू मीटिंग में मुद्रास्फीति से निपटने, विकास को समर्थन देने पर अपना ध्यान केंद्रित किया था.
कितना बढ़ने वाली है EMI?
एसबीआई ने एमसीएलआर को 10 बेसिस प्वाइंट (BPS) बढ़ाकर 7.1% कर दिया है. यह अब HDFC बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और ICICI बैंक से 7.25% से थोड़ा कम है. बैंक ऑफ बड़ौदा, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने एमसीएलआर में 5 बीपीएस की वृद्धि की है. पब्लिक सेक्टर और प्राईवेट बैंक भी आने वाले दिनों में एमसीएलआर बढ़ाने की तैयारी में हैं.
एमसीएलआर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1 अप्रैल, 2016 से लागू किया था. यह अक्टूबर 2019 से पहले लिए गए नए कॉरपोरेट लोन और फ्लोटिंग रेट लोन पर लागू होता है. इसके बाद RBI ने बाहरी बेंचमार्क लिंक्ड लेंडिंग रेट (EBLR) सिस्टम पर स्विच किया.
MCLR में बढ़ोतरी होने के बाद घर, वाहन और पर्सनल लोन लेने वाले लोगों को आने वाले दिनों में उनकी समान मासिक किश्तों (EMI) में बढ़ोतरी होगी.
RBI द्वारा समायोजन पॉलिसी को वापस लेने के साथ, आने वाले महीनों में उधार दरों में और ज्यादा बढोतरी होने की उम्मीद है.
ब्याज दरों में भी होगी बढ़ोतरी
बैंकरों के मुताबिक फाइनेंसियल सिस्टम में मुद्रा आपूर्ति के धीरे-धीरे सख्त होने से ब्याज दरों में तेजी आने की उम्मीद है. कोरोना महामारी के मद्देनजर किए गए उपायों, आरबीआई के अन्य कार्यों के माध्यम से इंजेक्ट की गई लिक्विडिटी के साथ संयुक्त रूप से सिस्टम में 8.5 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर की लिक्विडिटी अधिक हो गई है.
मार्च में फुटकर मंहगाई 6.95% और थोक मंहगाई 14.55% पर पहुंचने के साथ, केंद्रीय बैंक को कीमतों में कमी लाने के उपाय करने की उम्मीद है.
समायोजन नीति के सख्त होने के साथ आम तौर पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल ही में पॉलिसी को सख्त करने और ब्याज दरों में वृद्धि की घोषणा की है. दरों में बढ़ोतरी का अगला दौर मई-जून के आखिरी में होने की उम्मीद है. हालांकि, दरों में बढ़ोतरी धीरे-धीरे होने की उम्मीद है.
बैंकों को रेपो रेट में बढ़ोतरी की उम्मीद
बैंकों को उम्मीद है कि रेपो रेट में जून बढ़ोतरी देखी जाएगी क्योंकि रिजर्व बैंक मंहगाई पर लगाम लगाने के लिए सिस्टम से लिक्विडिटी को बाहर निकालना चाहता है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी का संकेत देते हुए 10-वर्षीय बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड पर 7.15 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो दो सप्ताह से भी कम समय में 24 बीपीएस बढ़ गया है. दूसरी ओर फंड की लागत बढ़ने वाली है, जिससे बैंक उधार दरों में वृद्धि कर सकते हैं.
एनालिस्ट्स और बैंकरों को उम्मीद है कि जून पॉलिसी रिव्यू में आरबीआई रेपो रेट को 4% से बढ़ा देगा.
SBI की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया कि अब हम जून और अगस्त में प्रति चक्र में 75 बेसिस प्वाइंट के साथ 25-बीपीएस की बढोतरी की उम्मीद करते हैं.
आरबीआई ने विकास को बढ़ावा देने के लिए पिछली 11 पॉलिसी रिव्यू में रेपो रेट में बदलाव नहीं किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बैंकिंग इंडस्ट्री के एक सूत्र ने कहा कि जब जून या अगस्त में रेपो रेट में बढ़ोतरी की जाएगी, तो लोन और जमा पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद है.
दोनों पॉलिसी रेट को पिछली बार मई 2020 में रेपो के साथ 4% और रिवर्स रेपो को 3.35% पर कम किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस के एमडी और सीईओ वाई एस चक्रवर्ती ने कहा कि जमा दरें पहले ही अधिक बढ़ने लगी हैं और एक अंतराल के साथ फाइनेंसियल ईयर 2023 की पहली छमाही में उधार दरें बढ़ सकती हैं.
जमा दरों में आएगी बढ़ोतरी
भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक अगले एक-दो महीनों में डिपोजिट रेट्स में बढ़ोतरी की उम्मीद है. SBI अब 1-2 साल में 5.10% ब्याज देता है. इसका मतलब है कि एक फिक्स्ड डिपोजिट होल्डर 185 बेसिस प्वाइंट्स के निगेटिव रिटर्न पर बैठा है क्योंकि मुद्रास्फीति अब 6.95% पर है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक ऑफ बड़ौदा के एक सीनियर ऑफिसर ने हाल ही में कहा था कि कुछ मेच्योरिटीज पर जमा दरों में बढ़ोतरी हुई है. बैंकों के लिए फंड की लागत भी बाजारों से जुटाए गए फंड से बढ़ी है.
देश की पांच प्रमुख बैंकों पर आरबीआई की एक स्टडी के मुताबिक 1 से 3 साल में जमा दरें 2013-14 में 8.75-9.25% से गिरकर 2021-22 में 4.90-5.15% हो गई हैं. कम ब्याज दरों के बावजूद कोरोना महामारी के दौरान जमा वृद्धि फाइनेंसियल ईयर 2010 में 8% से बढ़कर फाइनेंसियल ईयर 2011 में 11% हो गई. कई बैंकों ने इस साल फरवरी से जमा दरों में 10 बीपीएस तक की बढ़ोतरी की है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)