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Shark Tank India को समझना होगा आसान, वैल्यूएशन-इक्विटी जैसे टर्म्स का मतलब जानें

Shark Tank India 2 Terminology Explained: बिजनेस से जुड़े टर्म को जाने बिना ये शो देखना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है

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Shark Tank India 2 Terminology Explained: शार्क टैंक इंडिया का दूसरा सीजन 2 जनवरी से सोनी लिव पर लौट आया है. और इससे पहले कि आपको लगे कि यहां हम शो का कोई प्रमोशन कर रहे हैं तो, ऐसा कतई नहीं है. अरे सच में नहीं है. इसबार अश्नीर ग्रोवर इस सीजन का हिस्सा नहीं है. उनकी जगह इसमें कार देखो डॉट कॉम के सीईओ अमित जैन आए हैं.

लेकिन आपके और मेरे जैसों के लिए, जो शार्क टैंक में लगातार यूज होने वाले बिजनेस से जुड़े टर्म को नहीं जानते हैं, यह शो देखना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है. शायद हम यहां हो रही हर डील को न समझ पाए.

इसलिए, हम यह शो देखने के आपके अनुभव को आसान बनाने और आपको शार्क टैंक पर इस्तेमाल की जाने वाली शब्दावली/टर्म्स के बारे में थोड़ा सा समझाने की कोशिश करते हैं. तो कुर्सी की पेटी बांध लीजिए.

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वैल्यूएशन/Valuation

किसी बिजनेस के आर्थिक मूल्य को निर्धारित करने के लिए वैल्यूएशन या बिजनेस वैल्यूएशन का उपयोग किया जाता है.

व्यावसायिक वैल्यूएटर कंपनी के आर्थिक मूल्य/इकोनॉमिक वैल्यू का आकलन करने के लिए कंपनी की पूंजी संरचना (कैपिटल स्ट्रक्चर), मैनेजमेंट, भविष्य में होने वाली आय, लाभ और रेवेन्यू मार्जिन को देखते हैं. ऐसा तब किया जाता है जब कोई कंपनी अपने संगठन के कुछ हिस्सों को बेचना चाहती है या किसी और में विलय करना चाहती है, या अधिक धन के लिए निवेशकों से संपर्क करना चाहती है.

शार्क टैंक शो में, वैल्यूएशन से शार्क (जो निवेशक बैठे हैं) को कंपनी की आर्थिक स्थिति को समझने में मदद मिलती है, और यह समझने में मदद मिलती है कि क्या आगे आया बिजनेस प्रोपोजल आर्थिक रूप से मजबूत है और इसने अबतक कैसा प्रदर्शन किया है.

प्रोटोटाइप/Prototype

एक प्रोटोटाइप उस ऐसे प्रोडक्ट का एक बनाया हुआ सैंपल है जिसे आप टेस्ट करने के लिए बनाते हैं. जहां साइंस फील्ड में प्रोटोटाइप का मतलब किसी आविष्कार के फिजिकल वर्जन, या सॉफ्टवेयर जैसे ट्रायल वर्जन से है, वहीं बिजनेस फील्ड में प्रोटोटाइप इन दो प्रकारों में से किसी एक में हो सकता है. आगे समझाते हैं.

पहला है प्रोडक्ट प्रोटोटाइप है. यदि आप एक यूनिक या नया प्रोडक्ट बना रहे हैं, तो आप बड़े पैमाने पर उत्पादन के पहले ही यह जानना चाहेंगे कि बाजार और उसे इस्तेमाल करने वाले लोग उसपर कैसी प्रतिक्रिया देंगे. इसके लिए आप उस प्रोडक्ट का एक टेस्ट वर्जन बनाना चाहेंगे. यहां से मिले फीडबैक का उपयोग आप अपने फाइनल प्रोडक्ट को आकार देने में कर सकते हैं.

दूसरा, और इस संदर्भ में अधिक प्रासंगिक- बिजनेस प्रोटोटाइप है. एक वास्तविक प्रोडक्ट के विपरीत बिजनेस प्रोटोटाइप एक फाइनेंसियल सिमुलेशन है. एक बिजनेस प्रोटोटाइप में आपके प्रोडक्ट को कितने लोग चाहते हैं, वो उस तक किस तरह और किस रूप में पहुंचेगा- के बारे में सवाल पूछना शामिल है.

"इससे पहले कि किसी प्रोडक्ट में बहुत सारा पैसा लगाया जाए, आप उसका एक वर्किंग सैंपल बनाते हैं. इसे एक प्रोटोटाइप कहा जाता है. मार्केट में प्रोटोटाइप के परीक्षण के बाद आप प्रोडक्ट और उसकी उपयोगिता में सुधार भी कर सकते हैं."
अनुपम मित्तल, शादी.कॉम के फाउंडर, शार्क टैंक जज
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नेट प्रॉफिट और नेट प्रॉफिट मार्जिन

आपने पहले सीजन में भी देखा होगा कि शार्क वहां आये एंटरप्रेन्योर से पूछते हैं कि उनके प्रोडक्ट या सर्विस का नेट प्रॉफिट या प्रॉफिट मार्जिन क्या है. नेट प्रॉफिट वह कुल लाभ/प्रॉफिट है जो कंपनी अपने कुल रेवेन्यू (कमाई) में से टैक्स, कंपनी चलने में लगने वाली लागत, लोन पर चुकाए गए ब्याज और समय के साथ कंपनी की संपत्ति में हो रहे मूल्यह्रास को घटाने के बाद बनाती है. यह टर्नओवर से अलग है, जो एक समयावधि में कंपनी की कुल बिक्री है.

नेट प्रॉफिट मार्जिन भी प्रतिशत के रूप में नेट प्रॉफिट ही है. अब आप पूछेंगे कि फिर दोनों अलग कैसे हैं? दरअसल नेट प्रॉफिट मौद्रिक संदर्भ में कंपनी का प्रदर्शन बताता है जबकि नेट प्रॉफिट मार्जिन रिलेटिव टर्म में उनके प्रदर्शन को दर्शाता है.
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इक्विटी/Equity

आसान शब्दों में, इक्विटी किसी कंपनी के स्वामित्व में हिस्सेदारी है. चाहे वह 50 प्रतिशत, 100 प्रतिशत, या 3 प्रतिशत हो- यह किसी कंपनी की संपत्ति का उतना प्रतिशत व्यक्तिगत स्वामित्व बताता है.

इक्विटी दो तरीकों से निकाली जाती है - बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू. बुक वैल्यू कंपनी की संपत्ति और देनदारियों के बीच का अंतर है, यानी उन पर कितना बकाया है और उन्होंने दूसरों को कितना लोन दिया है. दूसरी तरफ इक्विटी की मार्केट वैल्यू शेयर बाजार में कंपनी के शेयरों की कीमत है.

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ऑफर और काउंटर-ऑफर

शार्क टैंक में, जो एंटरपेन्योर आते हैं वे आमतौर पर इक्विटी के बदले में शार्क से एक खास रकम उनके प्रोडक्ट में इन्वेस्ट करने को कहते हैं. वे एक खास इक्विटी/हिस्सेदारी के बदले जितने इन्वेस्टमेंट की मांग कर रहे हैं, उसे ओरिजिनल आस्क कहते हैं.

हालांकि, अधिकतर बार शार्क अपनी ओर से खुद एक प्रस्ताव रखते हैं. व्यावसायिक दृष्टि से, इसी प्रस्ताव को प्रोपोजल कहते हैं, जो एक बार स्वीकार किए जाने पर कानूनी रूप से बाध्यकारी हो जाता है.

लेकिन यदि एंटरप्रेन्योर इसे स्वीकार करने की बजाय एक काउंटर-ऑफर के साथ वापस आता है, तो शार्क उसे स्वीकार करने या समझौते के लिए कोई और नया ऑफर देने का विकल्प होता है.

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