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ई-वे बिल क्या है? जानिए इसके बारे में सभी जरूरी बातें 

क्या है ई-वे बिल और क्यों है ये जरूरी. सभी जानकारी पढ़िए यहां

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देश में पिछले साल 1 जुलाई से लागू गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी के तहत आज से एक नई और बेहद अहम व्यवस्था लागू हो गई है. ये नई व्यवस्था है ई-वे बिल की. आइए जानते हैं इस नए सिस्टम से जुड़ी कुछ अहम बातेंः

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ई-वे बिल क्या है ?

ई-वे बिल यानी 'इलेक्ट्रॉनिक वे बिल' की व्यवस्था गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत सारे देश में लागू की जा रही है. ई-वे बिल एक ऐसा डॉक्युमेंट है, जो 50 हजार रुपये से ज्यादा मूल्य के सामान की ढुलाई करने वाले को अपने साथ रखना होगा. इसे जीएसटी ई-वे बिल पोर्टल (https://ewaybillgst.gov.in) के जरिए जेनरेट किया जा सकता है.

वैसे तो ये बिल 50 हजार रुपये से ज्यादा मूल्य के सभी सामानों की ढुलाई करने वाले को अपने साथ रखना जरूरी है, लेकिन कुछ सामानों को इसमें छूट भी दी गई है. वहीं, कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिनकी कीमत 50 हजार से कम होने पर भी ई-वे बिल रखना जरूरी होगा. ऐसी चीजों की जानकारी समेत ई-वे बिल से जुड़े सभी प्रावधान जीएसटी एक्ट की धारा 68 और सीजीएसटी रूल 138 में दिए गए हैं.

कब से लागू हो रही है ये व्यवस्था?

ई-वे बिल की व्यवस्था आज यानी 1 अप्रैल 2018 से ही देश भर में लागू की जा रही है. फिलहाल ये व्यवस्था सिर्फ एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाए जाने वाले सामानों पर लागू की गई है. एक राज्य के भीतर होने वाली सामानों की ढुलाई के मामले में ई-वे बिल की व्यवस्था लागू होने की अधिसूचना बाद में जारी की जाएगी.

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कौन-कौन जेनरेट करेगा बिल?

50 हजार रुपये से ज्यादा कीमत के सामान की सप्लाई करने वाले या उसे मंगाने वाले या उसकी ढुलाई करने वाले ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल जेनरेट करना होगा. इसके लिए जीएसटी के कॉमन पोर्टल (https://ewaybillgst.gov.in) पर रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है.

अगर सामान सप्लाई करने वाला रजिस्टर्ड नहीं है, तो उसकी जगह सामान मंगाने वाला ई-वे बिल जेनरेट कर सकता है. अगर सप्लायर और खरीदार दोनों ही रजिस्टर्ड नहीं हैं तो उनके लिए ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल जेनरेट करना होगा. ट्रांसपोर्टर के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन और कॉमन पोर्टल पर एनरोलमेंट कराना अनिवार्य है.

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क्या गाड़ी में साथ रखना होगा बिल?

अगर आप अपने इस्तेमाल के लिए कोई सामान खरीदकर अपनी ही गाड़ी में ले जा रहे हैं और सामान की कीमत 50 हजार रुपये से ज्यादा है, तो आपको भी ई-वे बिल रखना पड़ेगा. आप ये बिल सामान बेचने वाले दुकानदार से हासिल कर सकते हैं.

अगर दुकानदार रजिस्टर्ड नहीं है तो आप खुद भी कॉमन पोर्टल पर एनरोलमेंट करके ई-वे बिल जेनरेट कर सकते हैं. हालांकि फिलहाल ये नियम सिर्फ एक राज्य से दूसरे राज्य में सामान ले जाने पर ही लागू हुआ है, लेकिन आगे चलकर इसे एक राज्य के भीतर होने वाली सामानों की ढुलाई पर भी लागू किया जाएगा.

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पहले से तय समय के लिए ही होगा वैध?

ई-वे बिल की वैधता या वैलिडटी एक निश्चित अवधि के लिए ही होगी. ये वैधता इस बात ये तय होगी कि सामान को कितनी दूर ले जाया जाना है और उसे किस तरह के व्हीकल से ट्रांसपोर्ट किया जा रहा है.

आम व्हीकल से ढुलाई के मामलों में ई-वेल बिल की वैधता हर 100 किलोमीटर की दूरी के लिए 1 दिन के हिसाब से तय की जाएगी. लेकिन काफी बड़े आकार वाले विशेष कार्गो व्हीकल्स से ढुलाई होने पर ई-वे बिल की वैधता हर 20 किलोमीटर के लिए 1 दिन के हिसाब से तय होगी. ये वैलिडिटी आखिरी तारीख की आधी रात को खत्म मानी जाएगी.

वैधता खत्म होने के बाद सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की इजाजत नहीं होगी. अगर वैलिडिटी खत्म होने तक सामान अपनी तय जगह पर नहीं पहुंच सका, तो देर की वजह का पूरा ब्योरा देते हुए वैधता अवधि बढ़ानी होगी.

ये भी पढ़ें-माल ढुलाई के लिए जीएसटी की ई-वे बिल व्यवस्था आज से लागू

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किन तरीकों से जेनरेट किया जा सकता है?

जीएसटी कॉमन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बाद ई-वे बिल जेनरेट करने का काम इनमें से किसी भी तरीके से किया जा सकता है :

  • SMS सुविधा के जरिये
  • एंड्रॉयड ऐप के जरिये
  • बल्क जेनरेशन फेसिलिटी के जरिये
  • साइट-टू-साइट इंटीग्रेशन के जरिये
  • GSP यानी जीएसटी सुविधा प्रोवाइडर के जरिये

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