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सीरिया पर अमेरिकी हमला क्यों? क्या होंगे नतीजे, जानिए 5 कार्ड में

क्या यह ताजा हमला खाड़ी देशों में नई अनिश्चितता की शुरुआत है?

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शुक्रवार रात सीरिया पर अमेरिका, फ्रांस और यूके का संयुक्त हमला हुआ. अमोरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि सीरिया के शासक बशर अल असद का अपने ही नागरिकों के खिलाफ रासायनिक हमले के जवाब में ऐसा किया गया है. ट्रंप ने आगे कहा कि आगे भी इस तरह के हमले जारी रहेंगे अगर बशर अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं. क्या यह ताजा हमला खाड़ी देशों में नई अनिश्चितता की शुरुआत है? अगर ऐसा होता है तो दूसरी दिक्कतों के साथ कच्चे तेल की कीमत में उछाल आ सकता है.

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कच्चे तेल की कीमत पर क्या होगा असर?

पिछले हफ्ते कच्चे तेल की कीमत में करीब 8 फीसदी का उछाल आया था. ब्रेंट क्रूड की कीमत अब 73 डॉलर को पार करके सितंबर 2014 के स्तर पर पहुंच गई है. सीरिया पर हमले की वजह से अगर कच्चे तेल की सप्लाई में मामूली कमी भी आती है तो कच्चे तेल की कीमत में बड़ा उछाल आ सकता है. ध्यान रहे कि अपने देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर है. क्रूड की कीमत और बढ़ती है तो यहां भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ना तय है.

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सीरिया क्यों है विवाद की जड़ में?

2011 से सीरिया में गृह युद्ध चल रहा है. दरअसल, अरब स्प्रिंग के प्रभाव से सीरिया के कुछ समूह वहां के शासक के खिलाफ सड़कों पर आए थे. उसके जवाब में असद शासन ने अपने लोगों पर यह कहकर दमन शुरू कर दिया कि शासन का विरोध दूसरे देशों की सह पर हो रहा है. अनुमान है कि पिछले 7 साल में सिविल वार की वजह से करीब 4 लाख लोगों की जानें गई हैं. सीरिया से दिल दहलाने वाली त्रासदी की तस्वीरें हमें पहले ही झकझोर चुकी हैं.

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सीरिया के शासक को कौन दे रहा है शह?

सीरिया में सुन्नी आबादी बहुमत में है जबकि वहां के शासक बशर अल असद शिया हैं. वहां कुर्द की भी अच्छी खासी आबादी है. अनिश्चितताओं के बीच अल कायदा और ISIS जैसी आतंकी संगठन भी सीरिया में पैर पसारने में लगे हैं. बशर अल असद को रूस और ईरान का समर्थन है जबकि विद्रोहियों को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और तुर्की का साथ है.

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ईरान और रूस क्या चाहते हैं?

रूस का सीरिया में मिलिटरी बेस रहा है. इसका इस्तेमाल कर रूस ने असद को विद्रोहियों को दबाने में मदद की थी. माना जा रहा है कि असद की मदद में ईरान ने अरबों डॉलर खर्च किए हैं. दूसरी तरफ सऊदी अरब असद शासन के खिलाफ विद्रोहियों की सहायता करता रहा है. इस सिविल वॉर की वजह से सीरिया में करीब 60 लाख लोग अपने ही घर से बेघर हो चुके हैं और करीब इतने ही अपना देश छोड़ चुके हैं.

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क्या ताजा हमला बड़े युद्ध की शुरुआत है?

जानकारों का मानना है कि ताजा हमले के बाद अगर रूस और ईरान की तरफ से जवाबी हमले होते हैं तो इसका काफी बुरा परिणाम हो सकता है. रुस ने हवाई हमले की निंदा की है लेकिन इस बात का फिलहाल संकेत नहीं है कि उसकी तरफ से जवाबी हमला हो सकता है. यह भी तय नहीं कि ताजा मिसाइल हमलों के बाद असद की ताकत में कमी आएगी और सीरिया में सिविल वॉर पर विराम लगेगा.

ये भी पढ़ें-अमेरिका का सीरिया पर हमला, फ्रांस और ब्रिटेन ने भी दिया साथ

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