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घरों में CO2 का लेवल बढ़ने की वजह हो सकता है एयर प्यूरीफायर 

एक्सपर्ट्स के मुताबिक सिर्फ एयर प्यूरिफायर्स का इस्तेमाल स्वच्छ हवा के लिए काफी नहीं है

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अगर आपको लगता है कि बढ़ते एयर पॉल्यूशन के बीच बाहर न निकलकर और घर-ऑफिस में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल कर आप सुरक्षित रह सकते हैं, तो ये सोचना सही नहीं है. टाइम्स न्यूज नेटवर्क की एक रिपोर्ट के मुताबिक भले ही एयर प्यूरिफायर पीएम 2.5 से कुछ हद तक सुरक्षा दे सकता है, लेकिन ये आपको कार्बन डाईऑक्साइड के हाई लेवल से नहीं बचा सकता है.

जिन घरों और दफ्तरों में वेंटिलेशन की अच्छी व्यवस्था न हो, वहां कार्बन डाई ऑक्साइड सुरक्षित स्तर से दोगुना तक बढ़ सकती है.
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CO2 का लेवल बढ़ने से सेहत पर असर

कार्बन डाई ऑक्साइड का सुरक्षित स्तर से ज्यादा होने पर आपको फोकस करने में दिक्कत हो सकती है, इससे सिर दर्द, सुस्ती, थकान और मिचली जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में न्यूरोलॉजी डिविजन के डायरेक्टर डॉ जेडी मुखर्जी कहते हैं,

“लंबे समय तक CO2 और दूसरे प्रदूषकों के संपर्क में रहने से दिमाग और नर्वस सिस्टम प्रभावित होते हैं. इसका संबंध मेमोरी लॉस, डिमेंशिया और दिमाग की दूसरी बीमारियों से हो सकता है.”

इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन ( IPCA ) की एक स्टडी में पाया गया कि घरों, प्राइवेट और गवर्नमेंट इमारतों में भले ही प्यूरिफायर्स के जरिए पीएम 2.5 पर कुछ हद तक काबू पाया गया हो, लेकिन कार्बन डाईऑक्साइड का लेवल सेफ लिमिट 1,000 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) के पार चला गया.

कॉरपोरेट दफ्तरों में ये रीडिंग सबसे ज्यादा पाई गई, जो औसतन 2,000 पीपीएम थी. वहीं मूवी थिएटरों में भी  CO2 का लेवल 1,560 पीपीएम पाया गया.

IPCA के रिसर्च और कम्यूनिकेशन की हेड प्रियंका कुलश्रेष्ठ के मुताबिक दफ्तरों में ये समस्या और भी बदतर हो जाती है क्योंकि वहां लोगों की तादाद ज्यादा होती है.

दिल्ली के 20 घरों में इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन की एक और स्टडी में पाया गया था कि कार्बन डाईऑक्साइड का लेवल रात 11 बजे के बाद बढ़ना शुरू होता है और भोर 5 बजे तक 2,000 पीपीएम के करीब पहुंच जाता है.

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क्या करें?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक सिर्फ एयर प्यूरिफायर्स का इस्तेमाल स्वच्छ हवा के लिए काफी नहीं है. इसके साथ घरों में पौधों की भी जरूरत है.

  • कार्बन डाईऑक्साइट का लेवल घटाने के लिए इनडोर प्लांट्स लगाएं.
  • वेंटिलेशन में सुधार करें.
  • दफ्तरों और घरों में समय-समय पर खिड़की खोलें ताकि हवा का ट्रांसफर होता रहे.
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