ADVERTISEMENTREMOVE AD

मानसून में फिट रहना है तो आयुर्वेद की ओर चलें  

आयुर्वेद कहता है कि मानसून पित्त को बिगाड़ देता है, जिसके कारण पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है

Updated
फिट
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

मानसून आपके लिए साल का सबसे पसंदीदा महीना हो सकता है लेकिन यह न भूलें कि बारिश अपने साथ कई संक्रामक बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया, डायरिया और चिकनगुनिया आदि लेकर आती है.

आयुर्वेद कहता है कि मानसून पित्त को बिगाड़ देता है, जिसके कारण पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है. हवा में फैली आद्रता स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं जैसे अपच, संक्रमण, बाल का झड़ना और त्वचा संबंधी रोगों आदि का कारण बनती है.

खुशहाल और स्वस्थ्य मानसून चाहते हैं? यहां आयुर्वेद के आधार पर बताया जा रहा है कि इस मौसम में क्या करें और क्या न करें.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या खाते हैं, उस पर ध्यान दें



आयुर्वेद कहता है कि मानसून पित्त को बिगाड़ देता है, जिसके कारण पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है

पत्तेदार साग खाना सामान्यतः अच्छा आइडिया है लेकिन आयुर्वेद के डॉक्टर कहते हैं कि मानसून के समय इसे न खाएं क्योंकि नमी वाला मौसम साग के ऊपर कीड़े पनपने के लिए सबसे अनुकूल हो जाता है.

आयुर्वेद के अनुसार अधिक तेल मसाले वाला खाना अपच, सूजन और नमक अवरोधन का कारण बन सकता है. मानसून के समय खट्टा और अम्लीय खाने को प्रतिरोधक बनाकर रखें. आप चटनी बहुत पसंद करते हैं लेकिन इसके लिए आकाश के साफ होने यानी मानसून छटने का इंतजार करें. इस समय उबला हुआ और अच्छी तरह से पकाया हुआ खाना जैसे इडली आदि का इस्तेमाल करें.

मानसून के दौरान ‘हरीतकी’ (टर्मिनालिया चिबूला) का काले नमक के साथ इस्तेमाल करने से आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. हरीतकी में प्रचूर मात्रा में विटामिन सी होता है और इसके अलावा इसमें टेनिक एसिड, चिबुलिनिक एसिड आदि जैसे प्लांट केमिकल होते हैं.
डॉ. शिखा शर्मा, नूट्रिशनिस्ट

डॉ. शर्मा क्विंट से कहती हैं, “आप रोज त्रिफला का सेवन करें क्योंकि यह शरीर को टॉक्सीफाइ (विषरहित) करता है, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है और त्वचा को फिर से युवा कर देता है.

0

व्यायाम न छोड़ें



आयुर्वेद कहता है कि मानसून पित्त को बिगाड़ देता है, जिसके कारण पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है

आयुर्वेद के डॉक्टर कहते हैं कि कठिन व्यायाम पित्त दोष (शरीर पर अतरिक्त भार डालकर) को बढ़ा सकता है. लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि आप व्यायाम न करें. जिम को छोड़ दें और हल्के व्यायाम जैसे जॉगिंग, स्वीमिंग और योग आदि करें.

पंचकर्म के लिए आदर्श समय



आयुर्वेद कहता है कि मानसून पित्त को बिगाड़ देता है, जिसके कारण पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है

आयुर्वेद के डॉक्टर कहते हैं कि पंचकर्म रिजुवेनेशन थेरेपी के लिए मॉनसून सबसे बढ़िया समय है. डॉक्टर कहते हैं कि इस दौरान शरीर हर्बल तेल और थेरेपी को ग्रहण करने के लिए सबसे अच्छा होता है क्योंकि मानसून के समय वातावरण धूलकणों से मुक्त, नमीयुक्त और ठंडा होता है और इसलिए यह शरीर के स्वास्थ्य और सुधार के लिए बेहतर होता है.

पंचकर्म एक थेरापेटिक प्रक्रिया है, जो शरीर को डिटॉक्सीफाइ (तेल और मसाज के माध्यम से) करता है, शरीर की अशुद्धता को साफ करता है और शारीरिक व मानसिक ताजगी प्रदान करता है.

(हमें अपने मन की बातें बताना तो खूब पसंद है. लेकिन हम अपनी मातृभाषा में ऐसा कितनी बार करते हैं? क्विंट स्वतंत्रता दिवस पर आपको दे रहा है मौका, खुल के बोल... 'BOL' के जरिए आप अपनी भाषा में गा सकते हैं, लिख सकते हैं, कविता सुना सकते हैं. आपको जो भी पसंद हो, हमें bol@thequint.com भेजें या 9910181818 पर WhatsApp करें.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×