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बिहार में गई 45 बच्चों की जान, मौत की वजह ये बता रही सरकार

राज्य के मुख्य निदेशक (रोग नियंत्रण) के मुताबिक बच्चों की मौत का कारण AES नहीं है.

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बिहार में दिमागी बुखार (चमकी बुखार) सहित दूसरी अज्ञात बीमारी से 13 जून की सुबह तक 47 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि जनवरी से कुल 165 से ज्यादा बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हो चुके हैं.

मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद सिंह ने बताया कि बीमार बच्चों में से ज्यादातर बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड में शुगर की कमी) देखी जा रही है.

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मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ सुनील शाही ने बताया कि उनके अस्पताल में बुधवार 12 जून को दो बच्चों की मौत हो गई जबकि 44 का अब भी इलाज चल रहा है.

इस बीच राज्य के मुख्य निदेशक (रोग नियंत्रण) आर डी रंजन ने आज स्वास्थ्य विभाग की एक टीम के साथ मुजफ्फरपुर जिले का दौरा किया.

रंजन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हम 10 जून के आंकड़ों की पुष्टि कर सकते हैं. उनके मुताबिक अब तक हुई मौतों में से कोई भी एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) के कारण नहीं हुई है.

ज्यादातर हाइपोग्लाइसीमिया अथवा सोडियम और पोटेशियम की कमी जो तेज गर्मी और उमस के कारण होती है, से ग्रसित होने के मामले सामने आए हैं.
आर डी रंजन
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वहीं पटना में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि हालांकि मौत के ज्यादातर मामले मुजफ्फरपुर जिले से सामने आए हैं, पर मुख्यमंत्री की ओर से इससे प्रभावित प्रदेश के सभी 12 जिलों में निवारक उपाय सुनिश्चित किए जाने के निर्देश मिले हैं.

उन्होंने कहा कि प्रभावित इलाकों में ओआरएस के वितरण और इस रोग से बचाव के बारे में जागरुकता फैलाने में ढिलाई बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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