Bird Flu Outbreak: झारखंड के बोकारो में बर्ड फ्लू जैसे लक्षणों से कुछ दिनों में करीब 400 से अधिक मुर्गियों की मौत हो गई है. वहीं अमेरिका, चीन और यूरोप के कुछ हिस्सों सहित कई देशों में H5N1 वायरस के कारण होने वाले एवियन इन्फ्लूएंजा के मौजूदा प्रकोप ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है. H5N1 इन्फ्लुएंजा, आमतौर पर बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है.
क्या चिकन और अंडा खाने से फैल सकता है बर्ड फ्लू? मांस खरीदते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए? बर्ड फ्लू के दौरान चिकन और अंडा पकाते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? अगर आपका क्षेत्र प्रभावित है, तो आपको यहां बताए गए एहतियाती उपायों का पालन करते हुए चिकन और अंडा खरीदने और पकाने का सही तरीका जानना चाहिए.
बोकारो में पशुपालन विभाग का अलर्ट जारी
मुर्गियों की अचानक मौत की सूचना मिलने के बाद पशुपालन विभाग ने बोकारो के लोगों को भी अलर्ट कर दिया है. रांची से आई पशुपालन विभाग की टीम ने मरी हुई मुर्गियों का सैंपल लेकर कोलकाता और मध्य प्रदेश जांच के लिए भेज दिया है. बोकारो के इस राजकीय कुक्कुट प्रक्षेत्र में कड़कनाथ और रोड आइलैंड रेड अमेरिकन प्रजाति की मुर्गियों की ब्रीडिंग की जाती है.
बाकी मुर्गियों के बचाव के लिए दवा का झिड़काव किया जा रहा है.
कई देशों में फैल रहा बर्ड फ्लू
अमेरिका, चीन और यूरोप के कुछ हिस्सों में H5N1 वायरस के मामले सामने आने पर अलर्ट पर हैं स्वास्थ्य अधिकारी. मैमल्स (mammals) में बर्ड फ्लू के मामले फैलने के बाद वैज्ञानिकों और WHO इसकी 'बारीकी से निगरानी' कर रहा है. पिछले कुछ हफ्तों में वायरस के कारण कम से कम 58 मिलियन पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो गई है साथ ही दक्षिण अमेरिका में वाइल्ड सी लायंस (wild sea lions) और यूरोप में बहुत सारे मिंक (mink).
इस बीच, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह मौजूदा प्रकोप विघटनकारी (disruptive) साबित हो सकता है और कुछ क्षेत्रों में खाद्य आपूर्ति में बाधा उत्पन्न कर सकता है. बड़े पैमाने पर संक्रमित और संदिग्ध पक्षियों को मारने से लाखों का भारी नुकसान हुआ है साथ ही अमेरिका जैसे देशों में पोल्ट्री और अंडों की कीमत बढ़ गई है.
इस बार का बर्ड फ्लू प्रकोप इतिहास का सबसे लंबा चलने वाला बर्ड फ्लू प्रकोप है. एक साल से चला आ रहा है ये प्रकोप अभी तक का सबसे संक्रामक बर्ड फ्लू है.
मांस खरीदते समय बरतें ये सावधानियां
अगर आप सीधे दुकान से कच्चा मीट खरीद रहे हैं, तो मीट को पैक करने के लिए प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल न करें.
सीधे दुकान से मीट खरीदते समय अपना खुद का स्टील का बर्तन ले जाएं.
अधिक सावधानी बरतने के लिए आप इसे अपने घर पर डिलीवर भी करवा सकते हैं.
मांस पकाते समय बरतें ये सावधानियां
चाहे चिकन खुद खरीद कर ला रहे हों या डिलीवर करवा रहे हों, चिकन को बाहर निकाल कर धोने से पहले अपने हाथों साबुन और गुनगुने पानी से धोएं.
नल के बहते पानी के नीचे चिकन को न धोएं.
RO के पानी से धोएं या उबले हुए पानी का प्रयोग करें.
फिर आप चिकन को मैरीनेट कर लें.
फिर उसे हाई/उच्च तापमान पर पकाएं. 70 C या उससे अधिक तापमान पर खाना बनाने से भोजन सुरक्षित रहता है और यह सुनिश्चित करता है कि वायरस मर जाए. आज तक, अच्छी तरह पके पोल्ट्री उत्पाद खाने के बाद बर्ड फ्लू से संक्रमित होने का कोई सबूत नहीं मिला है.
बस ध्यान रखें कि मांस ठीक से पक गया है और उस पर कच्चे 'गुलाबी' धब्बे नहीं हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि चिकन और अंडे खाना तब तक 'सुरक्षित' है जब तक कि उन्हें 'ठीक से पकाया' गया है.
अंडा पकाते समय बरतें ये सावधानियां
अंडे को बाजार से लाने या घर पर डिलीवर करवाने के बाद सबसे पहले अपने हाथों को साबुन और गुनगुने पानी से धोएं. अंडा छूने के बाद बिना हाथ धोए अपना चेहरा न छुएं.
अंडे को RO के पानी से अच्छी तरह से धोएं.
बर्ड फ्लू से अगर आपका क्षेत्र प्रभावित है तो आधे पके अंडे न खाएं.
अंडे को अच्छी तरह से पका कर ही खाएं. जैसे अच्छे से उबाला गया अंडा , ऑमलेट या अंडा करी. 70 C या उससे अधिक तापमान पर खाना बनाना भोजन को सुरक्षित रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि वायरस मर जाए.
बर्ड फ्लू के लक्षण
यूके नेशनल हेल्थ सर्विसेज (UK NHS) के अनुसार, बर्ड फ्लू के लक्षणों में शामिल हैं:
बुखार के साथ कंपकंपी
शरीर में दर्द
सिरदर्द
खांसी
नाक बहना
गले में खराश
सांस की तकलीफ
कुछ लोगों को पेट दर्द, दस्त, सीने में दर्द और कंजंक्टिवाइटिस भी हो सकता है.
एवियन इन्फ्लूएंजा मुख्य रूप से संक्रमित पक्षियों और स्वस्थ पक्षियों के बीच सीधे संपर्क से फैलता है
क्या बर्ड फ्लू वायरस पक्षियों से मनुष्यों में फैल सकता है?
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, बर्ड फ्लू के वायरस आमतौर पर लोगों को संक्रमित नहीं करते हैं, लेकिन दुर्लभ मामलों में ऐसा हुआ है. सीधे शब्दों में कहें तो फ्लू मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है. हालांकि, जो मनुष्य बीमार पक्षियों के सीधे संपर्क में आते हैं वे संक्रमित हो सकते हैं. पैनिक करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि बीमारी के इस स्ट्रेन को एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलते हुए ज्यादा नहीं देखा गया है.
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