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Brain-Eating Amoeba: क्या है ब्रेन ईटिंग अमीबा, लक्षण और बचाव- एक्सपर्ट के जवाब

Nagleria Fowleri: ब्रेन ईटिंग अमीबा से संक्रमित होने पर लक्षण दिखने में 1 से 14 दिनों तक का समय लग सकता है.

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Brain-Eating Amoeba- Naegleria Fowleri: यूएस के नेवादा में एक दो साल के लड़के की 19 जुलाई को नेगलेरिया फाउलेरी के संक्रमण से मृत्यु हो गई, जिसे आमतौर पर 'ब्रेन ईटिंग अमीबा' कहा जाता है. भारत के केरल में इसी महीने एक 15 साल के लड़के की मृत्यु 'ब्रेन ईटिंग अमीबा' के कारण हुई है.

क्या है नेगलेरिया फाउलेरी या "दिमाग खाने वाला अमीबा"? क्या ये एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है? इसके लक्षण क्या हैं? तैरते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए? क्या है इसका इलाज? क्या ये बीमारी जानलेवा है? फिट हिंदी ने इन सवालों के जवाब बेहतर तरीके से जानने के लिए फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के कंसलटेंट, डॉ. अनुराग अग्रवाल से बात की.

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क्या है नेगलेरिया फाउलेरी या "दिमाग खाने वाला अमीबा"?

नाग्लेरिया फौलेरी (Nagleria fowleri), जिसे "दिमाग खाने वाला अमीबा" भी कहा जाता है, एक प्रकार का पानी में पाए जाने वाला रोगाणु है, जो एक गंभीर ब्रेन इन्फेक्शन का कारण बनता है. यह अमीबा आम तौर पर गर्म पानी जैसे स्त्रोतों, झीलों, नहरों, नालों, नालियों, तालाबों और गर्म जलवायु क्षेत्रों में पाया जाता है.

सीडीसी (CDC) के अनुसार, नेगलेरिया फाउलेरी एक प्रकार का अमीबा (सिंगल-सेल वाला जीवित जीव) है, जो झीलों, नदियों और गर्म झरनों जैसे गर्म मीठे पानी के वातावरण में पाया जाता है. जब अमीबा युक्त पानी नाक के ऊपर से गुजरता है, तो यह ब्रेन को संक्रमित कर सकता है और इसलिए इसे मस्तिष्क खाने वाला अमीबा भी कहा जाता है. यह एक दुर्लभ बीमारी है. हालांकि, यह लगभग हमेशा घातक होती है.

क्या ये एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है?

नाग्लेरिया फौलेरी रोग काफी रेयर होता है और इसका व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने की आशंका बहुत कम है. जब व्यक्ति इंफेक्शन के सोर्स से गुजरता है, तो नाक से यह अमीबा उसके दिमाग तक पहुंच सकता है और अमिबिक मेनिंजिटिस (Amoebic Meningitis) उत्पन्न कर सकता है.

हालांकि, इसके फैलने की आशंका बहुत कम होती है और यह केवल विशेष परिस्थितियों में होता है.

यह बीमारी व्यक्ति के न्यूरोलॉजिकल सिस्टम में सूजन और संक्रमण का कारण बनता है, जिससे त्वचा की परत के अंदर भी इन्फेक्शन फैल सकता है.

क्या है इसके लक्षण?

इससे संक्रमित होने पर लक्षण दिखने में 1 से लेकर 14 दिनों तक का समय लग सकता है. लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • सिरदर्द

  • बुखार

  • नाक से खून बहना

  • दौरे पड़ना

  • जी मिचलाना

  • गर्दन में अकड़न

  • मतिभ्रम

दिमागी लक्षण (Neurological symptoms) जैसे कि अचानक दिमागी कमजोरी, असंतुलन, आंख संबंधी समस्याएं और बेहोशी.

तैरते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

नाग्लेरिया फौलेरी से बचने के लिए तैरते समय कुछ सावधानियां अपनाई जा सकती हैं. ये सभी सावधानियां आपको इस खतरे से बचाने में मदद कर सकती हैं:

  • शुद्ध और गर्म पानी का उपयोग: तैरने के बाद नाक को शुद्ध और गुनगुने पानी से साफ करें.

  • साफ-सुथरे पानी में स्विमिंग करें: तैरते समय, पानी की सफाई को नजरअंदाज न करें.

  • पानी को नाक में जाने से बचाएं: तैरते समय या स्नोर्कलिंग करते समय पानी को नाक में खींचने वाले काम करने से बचें. स्विमिंग में नाक को ढकने वाली चीज का इस्तेमाल करें.

  • तैरते समय बच्चों का ध्यान रखें: बच्चों को तैरते समय विशेष सावधानी बरतने के लिए समझाएं और उन्हें पानी में स्नोर्कलिंग और नाक में पानी खींचने वाले एक्टिविटी से बचाएं.

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क्या ये इन्फेक्शन जानलेवा है?

नाग्लेरिया फौलेरी से संक्रमित होने का खतरा बहुत कम होता है और यह रोगाणु आमतौर पर बहुत जल्दी नहीं फैलता है. हालांकि, जैसा कि पहले भी बताया गया है, जब ये होता है, तो बहुत ही गंभीर रूप ले सकता है और एक जानलेवा ब्रेन इन्फेक्शन का कारण बनता है.

कुछ अकड़ें बताते हैं कि नाग्लेरिया फौलेरी से संक्रमित होने पर मृत्यु दर लगभग 95% से अधिक होती है. यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि यह रोग बहुत ही रेयर होता है और इसे दूसरे लोगों से फैलने की आशंका बहुत कम होती है.

क्या है इलाज?

नाग्लेरिया फौलेरी का इलाज हेल्थकेयर एक्सपर्ट से ही कराया जाना चाहिए क्योंकि यह एक गंभीर रोग है और बहुत ही रेयर होता है. इसका इलाज डॉक्टर द्वारा इन तरीकों से किया जा सकता है:

  • एंटी बायोटिक्स: डॉक्टर एंटीबॉयोटिक्स दवाओं का उपयोग कर सकते हैं, जो इस रोग से संबंधित संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं.

  • एंटीफंगल दवाएं: अगर संक्रमित होने पर यह अमीबा नाक से दिमाग में पहुंच जाता है, तो डॉक्टर एंटीफंगल दवाएं भी दे सकते हैं.

  • एंटीडोट दवाएं: किसी-किसी मामले में एंटीडोट दवाएं भी दी जाती हैं.

  • हॉस्पिटल केयर: रोगी को अस्पताल में रखा जाता है और उन्हें एक्सपर्ट की निगरानी में रख जाता है.

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