हमसे जुड़ें
ADVERTISEMENTREMOVE AD

Children's Day 2023: थैलेसीमिक बच्चों के माता-पिता को ये 10 बातें जरूर जाननी चाहिए

Thalassemia के मरीजों, खातसैर से बच्चों में घातक रोगों के ट्रांसमिशन का खतरा सबसे ज्यादा होता है.

Published
फिट
3 min read
Children's Day 2023: थैलेसीमिक बच्चों के माता-पिता को ये 10 बातें जरूर जाननी चाहिए
i
Hindi Female
listen

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

Children's Day 2023: बच्चों में ऐसी कुछ जेनेटिक बीमारी पाई जाती है, जो उन्हें उनके माता-पिता से मिलती है. ऐसी ही एक बीमारी है थैलेसीमिया (Thalassemia) . इस बीमारी में मरीजों में ग्लोबीन प्रोटीन या तो बहुत कम बनता है या नहीं बन पाता, जिसके कारण रेड ब्लड सेल्स नष्ट हो जाती हैं. इससे बॉडी को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और मरीज को बार-बार खून चढ़वाना पड़ता है. एक्सपर्ट के अनुसार थैलीसीमिया से ग्रसित बच्चों को साल भर में 16-24 बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है.

फिट हिंदी ने एक्सपर्ट से जानी ऐसी 10 बातें जो थैलीसीमिया से ग्रसित बच्चों के माता-पिता को जरुर पता होनी चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

थैलेसीमिक बच्चों से जुड़ी 10 बातें 

"थैलेसेमिया से बचाव संभव है. सभी युवा माता-पिता बनने से पहले अपनी जांच कराएं."
डॉ. अमिता महाजन, सीनियर कंसलटेंट- पिडियाट्रिक हिमेटोलॉजी एंड ओंकोलॉज, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल

1. थैलेसीमिया से प्रभावित बच्चे की बीमारी का सही ढंग से मैनेजमेंट किया जाए तो वह नार्मल लाइफ जी सकता है.  

2. बच्चों को मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक से जांच किया हुआ ब्लड ही दिलाएं ताकि इंफेक्शन से बचाव हो सके.

3. ब्लड की NAT जांच होनी चाहिए और वह ल्यूकोडिप्लिटेड होना चाहिए. न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (NAT) स्क्रीनिंग से ब्लड सैंपल की HIV 1 और 2, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी जांच की जानी चाहिए और इस प्रकार जांच के बाद NAT स्क्रीनिंग के नतीजों को, आईटी-आधारित इंफॉरमेशन मैनेजमेंट के जरिए संबंधित ब्लड सेंटर को भेजा जाना चाहिए.

"ब्लड ट्रांसफ्यूजन को सुरक्षित बनाने के लिए, सरकार को भी देशभर में न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (NAT) स्क्रीनिंग का मानकीकरण करना चाहिए."
अनुभा तनेजा मुखर्जी, सदस्य सचिव, थैलसीमिया पेशेंट्स एडवोकेसी ग्रुप (टीपीएजी)

4. आयरन ओवरलोड से बचने के लिए, किलेशन (chelation) की प्रक्रिया 10वें ट्रांसफ्यूजन के बाद जल्द से जल्द शुरू होनी चाहिए. बच्चों को नियमित रूप से दवा खिलानी चाहिए और उनके खुराक में किसी भी तरह की चूक नहीं होनी चाहिए.

5. थैलीसीमिया का बोन मैरो ट्रांसप्लांट से ही इलाज संभव है. सबसे अच्छे नतीजे मैच्ड फैमिली डोनर या मैच्ड अनरीलेटेड डोनर से मिलते हैं. हाफ मैच्ड डोनर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है लेकिन नतीजे अच्छे नहीं मिलते हैं.

"सरकार को रिप्लेसमेंट डोनेशन की बजाय स्वैच्छिक रक्तदान (वॉलेन्ट्री ब्लड डोनेशन) को पर्याप्त बनाने पर जोर देना चाहिए."
अनुभा तनेजा मुखर्जी, सदस्य सचिव, थैलसीमिया पेशेंट्स एडवोकेसी ग्रुप (टीपीएजी)

6. अब जीन थेरेपी उपलब्ध है पर इसकी कीमत काफी अधिक होती है.  

7. न्यूट्रिशन, वैक्सीनेशन और दूसरे बच्चों की तरह ही थैलेसीमिक बच्चों की शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए.  

8. हिमेटोलॉजिस्ट के साथ नियमित रूप से फॉलो अप करना जरूरी होता है ताकि बच्चे की पूरी देखभाल हो सके.

9. थैलेसीमिया मरीज के लिए सरकार की तरफ से सपोर्ट और सहायता मिलती है. इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें.  

10. इसमें कोई शक नहीं कि सही देखभाल होने पर थैलेसीमिया मरीज अपनी निजी और प्रोफेशनल जिंदगी में हर तरह के लाइफ गोल्स को हासिल कर सकता है.  

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बच्चों के स्वस्थ भविष्य के लिए सुरक्षित ब्लड और बेहतर स्क्रीनिंग है जरुरी

थैलसीमिया के मरीजों, खातसैर से बच्चों में घातक रोगों के ट्रांसमिशन का खतरा सबसे ज्यादा होता है, जैसा कि हाल में उत्तर प्रदेश के कानपुर में घटी घटना के दौरान देखा गया. कानपुर शहर के लाला लाजपत राय चिकित्सालय में ब्लड चढ़ाने के बाद 14 बच्चों में हेपेटाइटिस बी, सी और एचआईवी (HIV) जैसे संक्रमण की पुष्टि हुई है. हालांकि, ये आकंड़ा पिछले दस सालों का है.

एक्सपर्ट अनुभा तनेजा मुखर्जी का कहना है कि सुरक्षित ब्लड और बेहतर स्क्रीनिंग के तौर-तरीकों को लागू करना वक्त का तकाजा है.

"दुर्भाग्यवश हमारे देश में ब्लड ट्रांसफ्यूजन सेवाएं अव्यवस्थित हैं और ब्लड ट्रांसफ्यूजन से जुड़े सभी पहलुओं में मानकों का अभाव है. यहां तक कि एचआईवी, एचआईसी जैसे उन इंफेक्शन को लेकर भी स्क्रीनिंग में ढिलाई बरती जाती है, जो ट्रांसफ्यूजन के जरिए फैलते हैं."
अनुभा तनेजा मुखर्जी, सदस्य सचिव, थैलसीमिया पेशेंट्स एडवोकेसी ग्रुप (टीपीएजी)

टीपीएजी की सदस्य सचिव अनुभा तनेजा मुखर्जी ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन को सुरक्षित बनाने के उपायों के बारे में बताते हुए कहा, "सभी मरीजों को सुरक्षित और पर्याप्त ब्लड मिल सके, इसके लिए जरूरी है कि ब्लड कलेक्शन, टेस्टिंग, प्रोसेसिंग, स्टोरेज और डिस्ट्रिब्यूशन संबंधी सभी गतिविधियों का संचालन राष्ट्रीय स्तर पर सप्लाई नेटवर्कों के जरिए होना चाहिए.

"ब्लड संबंधी नीतियों के लिए साक्ष्य-आधारित और नैतिक स्तर पर कानूनी प्रावधानों को लागू किया जाना चाहिए ताकि सभी मरीज़ों की ट्रांसफ्यूज़न संबंधी जरूरतें समय पर पूरी की जा सकें."
अनुभा तनेजा मुखर्जी, सदस्य सचिव, थैलसीमिया पेशेंट्स एडवोकेसी ग्रुप (टीपीएजी)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
और खबरें
×
×