देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को कहा कि लॉकडाउन का चौथा चरण यानी लॉकडाउन 4 पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा, नए नियमों वाला होगा.
भारत में कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर 24 मार्च को 21 दिनों के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया था, जिसे 3 मई के लिए बढ़ाया गया और फिर 17 मई तक के लिए बढ़ाया गया.
पिछले 50 दिनों में कई पब्लिक हेल्थ एक्पर्ट्स ने फिट से बातचीत में बताया कि देश में लॉकडाउन इसलिए लगाया था ताकि कोरोना संकट से निपटने के लिए हमारा हेल्थकेयर सिस्टम तैयार हो सके.
फिट को दिए इंटरव्यू में डॉ के श्रीनाथ रेड्डी ने बताया, "इस लॉकडाउन से बाहर निकलने का समय आ गया है, भारत में लंबा लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकता है. लॉकडाउन का उद्देश्य वायरस के ट्रांसमिशन को धीमा करना था और हेल्थकेयर सिस्टम को तैयारी का वक्त देना था."
यह अगले चरण पर आगे बढ़ने का समय है, जहां हमें बड़ी संख्या में व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करना जारी रखना है ताकि ट्रांसमिशन धीमा हो, लेकिन इसके साथ ही देश के हर जिले और हर हिस्से में आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को फिर से शुरू करना है.डॉ के श्रीनाथ रेड्डी, प्रेसिडेंट, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए यही तस्वीर दिखाई है कि भारत में स्वास्थ्य सेवा की क्षमता बढ़ गई है. हालिया आंकड़े बताते हैं कि भारत में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 1.30 लाख COVID-19 बेड और देश भर में 35,000 से अधिक आईसीयू बेड हैं. आइसोलेशन के लिए 6.4 लाख बेड हैं.
पीएम मोदी ने अपने भाषण में संकेत दिया कि लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से N95 मास्क और पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) का उत्पादन करने की क्षमता अब रोजाना 2 लाख से अधिक हो गई है.
मंत्रालय के मुताबिक कुल COVID-19 रोगियों में से केवल 1.1 प्रतिशत वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं, 3.3% मेडिकल ऑक्सीजन पर और 4.8 प्रतिशत मरीज आईसीयू बेड पर हैं.
कुल मिलाकर, यह डेटा आशाजनक लगता है, लेकिन भारत के COVID-19 बोझ का लगभग 64% वहन करने वाले शीर्ष 5 शहरों के जमीनी स्तर पर हालात कैसे हैं?
मुंबई और पुणे में ICU बेड की कमी
मुंबई, देश में सबसे ज्यादा COVID-19 के मामलों वाला शहर (13 मई तक मुंबई में 15 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जो देश के किसी भी राज्य से अधिक हैं). 7 मई को इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक शहर में पहले से ही आईसीयू बेड की कमी है. मुंबई और पुणे में राज्य द्वारा चलाए जा रहे COVID-19 के मरीजों के लिए हॉस्पिटल में ICU बेड की कमी के चलते राज्य सरकार ने प्राइवेट और सेना के अस्पतालों के इस्तेमाल की बात कही.
उन्होंने COVID ड्यूटी के लिए 25,000 प्राइवेट डॉक्टरों को रिपोर्ट करने के लिए भी कहा. इसी रिपोर्ट में बताया गया कि मुंबई में करीब 400 डॉक्टरों और हेल्थकेयर प्रोफेशनल की कमी है.
इकोनॉमिक टाइम्स की ही एक दूसरी रिपोर्ट में शहर के पांच बड़े अस्पतालों में बेड की उपलब्धता के बारे में बताया. 1 मई तक, BMC से संचालित RN कूपर अस्पताल में COVID मामलों के लिए 11 बेड, KEM 6 और कस्तूरबा हॉस्पिटल में 12 बेड थे.
प्राइवेट अस्पतालों में, PR हिंदुजा में COVID रोगियों के लिए 42 बेड थे, इन पर पहले से ही मरीज एडमिट थे. वॉकहार्ट हॉस्पिट में एक बेड और लीलावती में भी एक बेड ही उपलब्ध था. एसएच रिलायंस जैसे कुछ निजी अस्पतालों में अधिक बेड उपलब्ध थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि मुंबई में मरीजों को हॉस्पिटल बेड के लिए कुछ घंटों से लेकर 3 दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है.
डेडिकेटेड COVID-19 अस्पतालों में क्रिटिकल मरीजों के लिए 4,750 बेड हैं. 1,750 बेड मई के पहले हफ्ते ही जोड़े गए.
COVID-19 और दिल्ली के हालात
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में नागरिकों से शहर में COVID-19 से निपटने के लिए सुझाव देने के लिए हेल्पलाइन शुरू की, जिसके जरिए करीब 5 लाख सुझाव दिए गए. लेकिन अगर लॉकडाउन खोला जाए, तो मामले और बढ़ने की स्थिति में राज्य की मदद में इतना काफी है?
यहां पांच प्राइवेट अस्पतालों को COVID केंद्रों में बदल दिया गया है. इनमें फोर्टिस हॉस्पिटल- शालीमार बाग, सरोज मेडिकल इंस्टीट्यूट और खुशी हॉस्पिटल (हर हॉस्पिटल में 50 बेड), सर गंगा राम सिटी हॉस्पिटल (120 बेड) और महा दुर्गा चैरिटेबल ट्रस्ट हॉस्पिटल (100 बेड) शामिल हैं.
दिल्ली के दो सरकारी अस्पताल- लोक नायक (2000 बेड) और राजीव गांधी सुपर स्पेशएलिटी हॉस्पिटल (500 बेड) COVID हॉस्पिटल बनाए गए हैं.
28 अप्रैल की एक रिपोर्ट के अनुसार, शहर में लगभग 1,106 वेंटिलेटर हैं और उनमें से केवल 306 सरकारी अस्पतालों में हैं, बाकी 800 प्राइवेट हैं.
हाल ही में, एक रिपोर्ट में शहर के लोक नायक COVID हॉस्पिटल में मौतों की रिपोर्ट में गड़बड़ी की बात बताई गई. हॉस्पिटल में 6 मई तक लगभग 47 मौतों की रिपोर्ट थी, जब सरकार ने अस्पताल से केवल पांच मौतों और शहर से 66 लोगों की मौत की सूचना दी थी. एक जांच शुरू की गई है और मौत के बैकलॉग को COVID 19 डेथ कमिटी देख रही है.
नए मामलों के बावजूद, 14 मई को, दिल्ली में मामलों की मृत्यु दर केवल एक प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. वहीं इसका राष्ट्रीय औसत 3.1 प्रतिशत है.
दिल्ली में एक और समस्या है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के अनुसार, शहर में 400 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है.
वहीं लॉकडाउन हटाए जाने के बाद मामले बढ़ने का खतरा बना हुआ है. इससे पहले फिट से बातचीत में क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ सुमित रे कहते हैं, "कर्व को फ्लैट करने का मकसद पूरा नहीं हुआ. इसके मामले बढ़ने की रफ्तार धीमी हुई हो, ये भले ही माना जा सकता है, लेकिन जब हम लॉकडाउन हटाएंगे, तो मामले बढ़ेंगे."
अहमदाबाद
28 अप्रैल को, गुजरात सरकार ने हल्के और बिना लक्षण वाले रोगियों के लिए होम क्वॉरन्टीन को लागू करना शुरू किया. ऐसा उन लोगों के लिए किया गया, जिन्हें क्रिटिकल केयर की जरूरत है और जिनमें मॉडरेट लक्षण नजर आ रहे हैं.
14 मई तक गुजरात में COVID-19 के 9,267 मामलों की पुष्टि हुई है. इनमें से 3,562 लोग ठीक या डिस्चार्ज हो चुके हैं, जबकि 566 लोगों की जान जा चुकी है. अहमदाबाद में 6 हजार से ज्यादा मामले और 400 से ज्यादा मरीजों की मौत दर्ज की गई है.
सिविल अस्पताल, अहमदाबाद में 1200 बेड और कैंसर अस्पताल में 500 बेड हैं. खबरों के मुताबिक, गंभीर मामलों को लिए सिविल हॉस्पिटल से 465 से अधिक COVID-19 के मरीजों को ट्रांसफर किया गया.
पहले की एक रिपोर्ट में, गुजरात के सीएम रुपाणी ने कहा था कि राज्य सरकार की योजना बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर सपोर्ट की संख्या को 25,000 तक बढ़ाने की है. शहर में कितने बेड हैं, इस बारे में कोई स्पष्ट रिपोर्ट नहीं है.
गुजरात हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक गुजरात में 66 डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर और 342 डेडिकेटेड कोविड केयर सेंटर हैं.
चेन्नई: मजबूत हेल्थ सिस्टम, अधिक टेस्टिंग, फिर भी ये है समस्या
तमिलनाडु राज्य का पब्लिक हेल्थकेयर सिस्टम देश के राज्यों में सबसे बेहतरीन हेल्थकेयर सिस्टम में से एक है.
तमिलनाडु में 37 सरकारी और 16 प्राइवेट लैब में COVID-19 टेस्टिंग की जा रही है. अब तक 2,54,899 सैंपल लिए गए हैं और टेस्टिंग के लिए भेजे गए हैं और राज्य ने देश में सबसे अधिक टेस्ट किए हैं, प्रति मिलियन करीब 3367 से अधिक लोग. यहां मृत्यु दर 0.69 रही है.
लेकिन क्या मामले बढ़ने पर भी हालात पर काबू रखा जा सकेगा?
न्यू इंडियन एक्सप्रेस में 5 मई को आई एक रिपोर्ट के मुताबिक शहर में बेड की कमी थी. नगर निगम ने बिना लक्षणों वाले और स्टेबल रोगियों को COVID-केयर सेंटर में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है. ये सेंटर प्राइवेट कॉलेज और चेन्नई ट्रेड सेंटर में तैयार किए गए हैं.
उसी आर्टिकल में, डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन और ओमंडुरार मेडिकल कॉलेज के डीन नारायण बाबू ने कहा, "शहर के सरकारी अस्पतालों में COVID-19 रोगियों के लिए 1,750 बेड हैं और करीब 1,200 बेड भर चुके हैं. पिछले कुछ दिनों में, अस्पतालों में बेडों की संख्या कम से कम 500 बढ़ गई है. ओमंडुरार अस्पताल में 500 में से 270 बेड और स्टेनली अस्पताल में 400 में से 190 बेड भर चुके हैं."
कोयम्बेडु बाजार क्लस्टर की बदौलत राज्य में कोरोना के मामले बढ़ने के बावजूद डॉक्टरों को हालात पर काबू पाने की उम्मीद है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)