ICMR On BHU's Covaxin Vaccine Study: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के एक स्टडी में भारत बायोटेक के कोवैक्सिन का टीका लगाए जाने के एक साल बाद 900 से अधिक लोगों के समूह में "स्पेशल इंटरेस्ट" के लॉन्ग टर्म एडवर्स इवेंट्स की रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि यह गंभीर खामियों के साथ एक "खराब ढंग से डिजाइन की गई स्टडी" है. आइए जानते हैं ICMR ने पेपर की निंदा क्यों की?
क्या है मामला?
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने खुद को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की उस स्टडी से अलग कर लिया है, जिसमें भारत बायोटेक के कोविड वैक्सीन, कोवैक्सिन की सुरक्षा पर चिंता जताई गई थी.
एपेक्स मेडिकल रिसर्च बॉडी के महानिदेशक ने पेपर के लेखकों और उस जर्नल के एडिटर को लिखा है, और कहा है कि उन्होंने "गलत और भ्रामक" रूप से ICMR को एकनॉलेज किया है, जबकि ICMR ने पेपर के लिए किसी भी प्रकार की वित्तीय या तकनीकी सपोर्ट नहीं दी है. पत्रों में कहा गया है, ''ICMR को इस बुरी तरह डिजाइन किए गए स्टडी से नहीं जोड़ा जा सकता है.''
ICMR ने पेपर की निंदा क्यों की?
ICMR के मुताबिक, स्टडी में चार गंभीर खामियां हैं.
इनके पास कोई बिना वैक्सीन वाले लोगों कंट्रोल ग्रुप नहीं है, जिससे साबित किया जा सके कि साइड इफेक्ट्स वास्तव में टीकाकरण से जुड़े हैं.
इसमें यह उल्लेख नहीं किया गया है कि सैंपल पॉपुलेशन द्वारा इन एडवर्स इवेंट्स को कितनी बार रिपोर्ट किया गया था ताकि यह स्थापित किया जा सके कि वे टीकाकरण से जुड़े थे.
स्टडी टूल "एडवर्स इवेंट्स ऑफ स्पेशल इंटरेस्ट" की विश्व स्तर पर स्वीकृत परिभाषा के साथ कंसिस्टेंट नहीं है.
प्रतिभागियों के रिस्पांस टीकाकरण के एक साल बाद किसी भी क्लिनिकल रिकॉर्ड या चिकित्सक परीक्षण के वेरिफिकेशन के बिना दर्ज किए गये, जिससे बायस्ड रिपोर्टिंग की आशंका बढ़ जाती है.
पेपर में मेंशन किए गये मेथोडोलॉजी के अनुसार, रिसर्चरों ने टीकाकरण के 14 दिन बाद 1,000 से अधिक किशोर और वयस्क टीका प्राप्तकर्ताओं से टेलीफोन पर संपर्क किया, यह जानने के लिए कि क्या उन्हें किसी साइड इफेक्ट का अनुभव हुआ है.
रिसर्चरों ने एक साल बाद फिर से कोवैक्सिन लगवाए लोगों से संपर्क किया, जिसमें 1,024 प्रारंभिक प्रतिभागियों में से 926 ने उत्तर दिया. ऐसा ये जानने के लिए किया गया कि क्या पहले रिपोर्ट किए गए लक्षणों में से कोई अभी भी थे या क्या उनमें "स्पेशल इंटरेस्ट" का कोई दूसरा साइड इफेक्ट्स विकसित हुआ.
कैसे काम करती है कोवैक्सिन?
कोवैक्सिन एक माइक्रोब इनएक्टिव वैक्सीन (microbe inactive vaccine) है. पारंपरिक टीकों की तरह ये रोगजनक (pathogen) के मारे गए वर्जन (version) का उपयोग करता है, जो बीमारी का कारण बनता है.
डॉ. तुषार तायल फिट हिंदी को आगे बताते हैं, "जब ये वैक्सीन इंसान के शरीर में घुसता है, तो वायरस के ऊपर लगे हुए जो पार्टिकल्स होता हैं, जिनको हम एंटीजन बोलते हैं वो बॉडी में इम्यून रिस्पांस ट्रिगर करते हैं, जिसके द्वारा एंटीबॉडी और मेमोरी सेल्स बनते हैं. इससे होता ये है कि भविष्य में इंसान को कभी कोविड का इन्फेक्शन होता है, तो ये एंटीबॉडीज और मेमोरी सेल्स उन वायरस को खत्म कर देते हैं."
Covaxin के लिए SARS-CoV-2 स्ट्रेन को NIV, पुणे में अलग किया गया और भारत बायोटेक को ट्रांसफर कर दिया गया.
निष्क्रिय वैक्सीन को तब हैदराबाद में उनकी हाई कंटमीनेटेड फैसिलिटी (High Containment facility) में विकसित और निर्मित किया गया था.
कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
2021 में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि कोवैक्सिन के टीकाकरण के बाद हल्के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैं:
इंजेक्शन की जगह पर दर्द
थकान
बुखार
शरीर में दर्द
पेट में दर्द
मतली और उल्टी
चक्कर आना
झटके
पसीना आना
सर्दी और खांसी
एडवर्स इवेंट्स ऑफ स्पेशल इंटरेस्ट (AESI) का मतलब क्या है?
डॉ. तुषार तायल एडवर्स इवेंट्स ऑफ स्पेशल इंटरेस्ट का मतलब समझते हुए कहते हैं कि रूटीन साइड इफेक्ट के अलावा वैक्सीन में कोई मेजर साइड इफेक्ट देखा जा रहा है या नहीं.
कोवैक्सिन में कुछ एडवर्स इफेक्ट ऑफ स्पेशल इंटरेस्ट देखा गया है, जैसे वायरल जैसे लक्षण दिखना जिसे अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन कहते हैं या स्किन और चमड़े के नीचे साइड इफेक्ट होना, नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर या स्ट्रोक होना. कुछ लोगों की आंखों में समस्या और थायराइड की प्रॉब्लम भी देखी गई है.
एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि बहुत कम यानी 0.1% या 0.2% पॉपुलेशन में इतना गंभीर साइड इफेक्ट देखा गया है.
क्या वैक्सीन लगवा चुके लोगों के लिए चिंता की कोई बात है?
इस सवाल के जवाब में डॉ. तुषार तायल फिट हिंदी से लोगों को बिल्कुल भी चिंता या डरने से मना करते हैं. वो कहते हैं कि कोवेक्सिन वैक्सीन जो लोग लगवा चुके हैं उनको बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये वैक्सीन काफी रिसर्च के बाद बनी है और फायदे-साइड इफेक्ट्स को ध्यान में रख कर ही इसे लोगों को लगाया गया है.
वो आगे कहते हैं,
"अगर किसी को वैक्सीन से साइड इफेक्ट होने होते तो अब तक हो चुके होंगे. ऐसा नहीं है कि कई सालों या महीनों बाद इसके कोई लौंग टर्म साइड इफेक्ट होते हैं. हमें ये भी देखना है कि इस वैक्सीन के कारण कितने सारे लोगों को कोविड से सुरक्षा मिली है. इसके मामूली साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जो किसी भी वैक्सीन लगवाने से होते हैं, चाहे वो फ्लू वैक्सीन हो या टिटनेस वैक्सीन. इन सब वैक्सीन के भी छोटे-छोटे साइड इफेक्ट्स देखे जाते हैं."डॉ. तुषार तायल, कंसलटेंट- इंटरनल मेडिसिन, सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम
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