Delhi Air Pollution: दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति में बना हुआ है. ऐसे तो एयर पोल्यूशन सभी के लिए खतरनाक है पर छोटे बच्चों के लिए ये जहरीली हवा कई बीमारी का कारण बन सकती है. प्रदूषित हवा में पाए जाने वाले कण और गैस बच्चों के हेल्थ पर बुरा प्रभाव डालते हैं.
बच्चों पर प्रदूषित हवा का असर अधिक क्यों पड़ता है और बच्चों को हेल्दी और सेफ रखने के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं? जानते हैं इन सवालों के जवाब एक्सपर्ट्स से.
प्रदूषित हवा बच्चों को कैसे नुकसान पहुंचाती है?
फिट हिंदी से एक्सपर्ट्स ने कहा कि वायु प्रदूषण का सबसे बुरा प्रभाव 0-5 साल के बच्चों पर पड़ता है और यह उनके हेल्थ के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है. छोटे बच्चे इसके प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनका रेस्पिरेटरी सिस्टम अभी विकसित हो रहा होता है और उनके सांस लेने की दर अभी अधिक होती है.
डॉ. रवि शेखर झा फिट हिंदी से कहते हैं, "लंबे समय तक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन जैसे प्रदूषकों (pollutants) के संपर्क में रहने से उन्हें सांस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं, जैसे अस्थमा, फेफड़ों का ढंग से काम नहीं करना और आसानी से इन्फेक्शंस का शिकार होना".
एक्सपर्ट के अनुसार प्रदूषण बच्चों के मानसिक और संपूर्ण विकास पर भी इसका नेगेटिव प्रभाव पड़ता है.
"प्रदूषण बच्चों के मानसिक विकास को भी प्रभावित करता है और उनके न्यूरोलॉजिकल विकास पर बुरा असर डाल सकता है, जिससे उनकी शिक्षा और व्यवहार में दिक्कत हो सकती है."डॉ. रवि शेखर झा, डायरेक्टर एंड एचओडी, पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद
छोटे और तेज मेटाबॉलिज्म की वजह से बच्चे हवा में तैरते कणों को आसानी से सांस के जरिए अंदर खींच लेते हैं.
"बच्चों की बॉडी का डिफेंस सिस्टम भी हमारे जितना मजबूत नहीं होता है, इसलिए उनकी नाक में सिलिया जैसी चीजें उन्हें हवा में हानिकारक चीजों से पूरी तरह से बचाने में असमर्थ होती है.डॉ. शैली गुप्ता, कंसलटेंट- नियोनेटोलॉजिस्ट और बाल रोग विशेषज्ञ, मदरहुड हॉस्पिटल, गुड़गांव
प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों को कमजोर करता है और उन्हें दूसरी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना देता है. यही कारण है कि प्रदूषित हवा बच्चों के फेफड़ों के लिए बेहद हानिकारक है.
प्रदूषित हवा से बच्चों को कैसे बचाएं?
प्रदूषित हवा में बच्चों को बीमार पड़ने से बचाना कठिन काम होता है क्योंकि उन्हें मास्क पहनाना और घर के अंदर रखना मुश्किल है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि सबसे जरुरी है बाहर निकलते समय मास्क पहनना और घर वापस आ कर हाथ, आंखों और चेहरे को अच्छे से पानी से साफ करना. बच्चों को वायु प्रदूषण के नुकसानदायक प्रभावों से बचाने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं.
बाहर निकलते समय N95 मास्क का इस्तेमाल करें.
सबसे अधिक प्रदूषण वाले घंटों में बच्चों को आउटडोर गतिविधियों से दूर रखें और घर में एयर प्यूरीफायर पौधों और मशीन का इस्तेमाल करें.
घर के अंदर अगरबत्ती, मोमबत्ती, मच्छर भगाने वाले कॉइल नहीं जलाएं.
बच्चों को हाइड्रेटेड रखें. गुनगुना पानी, सूप, ओआरएस पिलाएं.
प्रिजर्वेटिव डाले गए फूड खाने न दें.
ताजे फल और सब्जी खिलाएं ताकि विटामिन ए और सी बॉडी में पर्याप्त मात्रा में रहें.
डॉक्टर की सलाह से मल्टीविटामिन सिरप या टेबलेट दें.
पर्याप्त नींद लेने दें.
हाथ की स्वच्छता बनाए रखें.
बच्चों की बाहरी गतिविधियों को सीमित करें, खासकर शाम को.
बच्चे को अस्थमा है, तो उसकी जांच करवाएं और डॉक्टर की बताई दवा दें.
डॉ. शैली गुप्ता कहती हैं कि जिम्मेदार माता-पिता और समाज के रूप में रोल मॉडल बनकर अपने बच्चों की इम्युनिटी को मजबूत किया जा सकता है. उन्हें अच्छा खाने, कसरत करने और साफ-सफाई से जुड़ी अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना एक बेहतरीन कदम है.
प्रदूषण से बचाव के लिए जरूरी है कि हम सभी मिल कर हवा साफ रखने की कोशिश करें और बच्चों को स्वस्थ सुरक्षित वातावरण प्रदान करें.
भविष्य में प्रदूषण के ऐसे प्रकोप से बचने के लिए डॉ. रवि शेखर झा पॉलिसी मेकर्स और कम्युनिटी के लोगों से सख्त नियम बनाने और जागरूकता फैलाने की सिफारिश करते है.
"पॉलिसी मेकर्स और कम्युनिटी के लोगों को सख्त नियम और वायु प्रदूषण घटाने वाली गतिविधियों को लागू करना अब बहुत महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि इन्हीं कदमों से भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सकता है."डॉ. रवि शेखर झा, डायरेक्टर एंड एचओडी, पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद
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