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दिल्ली का ग्रीन वॉर रूम: कैसे वायु प्रदूषण से लड़ रहे इंजीनियर और वैज्ञानिक?

फिट ने दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी के ग्रीन वॉर रूम का दौरा किया ताकि उनके काम को और अच्छी तरह से समझा जा सके.

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"हमारा हर दिन का काम यातायात पुलिस के साथ कोऑर्डिनेट करना ताकि सड़कों पर अधिक भीड़ न हो (वाहनों से बढ़ते इमिशन को रोकने के लिए) से लेकर डेटा का विश्लेषण, जो प्रदूषण कंट्रोल के लिए नीतियां बनाने में मदद करेगा, करने तक हो सकता है."
चेतन अरोड़ा, जूनियर एनवायरनमेंट इंजीनियर

2020 में स्थापित, दिल्ली के ग्रीन वॉर रूम को राष्ट्रीय राजधानी में एयर पॉल्यूशन और एयर क्वालिटी को कंट्रोल करने का काम सौंपा गया है.

भारत के कई हिस्सों में प्रदूषण एक गंभीर चिंता का विषय है. लेकिन दिल्ली में यह बात विशेष रूप से लागू है - यहां यह सचमुच जिंदगी और मौत के बारे में है.

इसी साल अगस्त में शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी एंड पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई थी कि अगर वर्तमान में एयर पॉल्यूशन के स्तर को कम नहीं किया गया तो दिल्लीवासियों को अपने जीवन के 11.9 वर्ष खोने की आशंका है. इसी रिपोर्ट में दो दूसरी बातों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिनसे दिल्लीवासियों को चिंतित होना चाहिए:

  • जहां दिल्ली के निवासियों को अपने जीवन के लगभग 12 वर्ष खोने का खतरा है, वहीं दूसरे शहरों में यह आशंका 5.3 वर्ष की है.

  • दिल्ली में PM 2.5 की कॉन्सन्ट्रेशन 126.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है - यानी WHO की सीमा, जो 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, से 25 गुना अधिक.

चिंता की बात यह भी है कि साल-दर-साल अक्टूबर और नवंबर में, दिवाली के ठीक बाद, दिल्ली में AQI का स्तर 999 (जो मॉनिटरिंग स्टेशनों के लिए ऊपरी सीमा है) को पार कर जाता है.

आने वाले पीक एयर पॉल्यूशन के सीजन से पहले, फिट ने ग्रीन वॉर रूम, जो दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी का एक हिस्सा है, के काम को अच्छी तरह से समझने के लिए उसका दौरा किया.

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ग्रीन वॉर रूम कैसे काम करता है?

दिल्ली के ग्रीन वॉर रूम के रोज के कामकाज में बहुत सारा डेटा मॉनिटरिंग और दिल्ली सरकार के दूसरे विभागों के साथ कोआर्डिनेशन शामिल है.

पिछले तीन महीने से टीम का नेतृत्व कर रहीं पर्यावरण वैज्ञानिक नंदिता मोइत्रा फिट को बताती हैं:

“हम हर समय दिल्ली में 13 प्रमुख प्रदूषक हॉटस्पॉट की एयर क्वालिटी की रियल टाइम मॉनिटरिंग करते हैं. हमारे पास दिल्ली के 24 कमिशन ऑफ एयर क्वालिटी मैनिज्मन्ट (CAQM) स्टेशनों से आने वाला एयर क्वालिटी डेटा भी है.

सीधे शब्दों में कहें तो ग्रीन वॉर रूम टीम यह करती है:

  • दिल्ली के प्रत्येक क्षेत्र की एयर क्वालिटी पर नजर रखती है

  • उन क्षेत्रों की पहचान करती है, जहां प्रदूषण या प्रदूषक स्तर अधिक है

  • खास क्षेत्रों में प्रदूषकों के सोर्स का पता लगाती है

  • प्रदूषकों के स्रोत को टारगेट करने के लिए स्थानीय विभागों के साथ कोऑर्डिनेट करती है

ग्रीन वॉर रूम में जूनियर एनवायरनमेंट इंजीनियर चेतन अरोड़ा का कहना है कि आमतौर पर प्रदूषकों के चार मुख्य सोर्स हैं, जो एयर क्वालिटी को खराब करते हैं - खुले में चीजें जलाना, कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन गतिविधियां, बायोमास जलाना और वाहन प्रदूषण.

दिल्ली में सर्दियों से पहले, टीम इन 13 हॉटस्पॉट की निगरानी कर रही है, जो इन प्रदूषकों के प्रमुख केंद्र हैं:

  • आनंद विहार

  • अशोक विहार

  • बवाना

  • द्वारका

  • मुंडका

  • नरेला

  • जहांगीरपुरी

  • ओखला

  • पंजाबी बाग

  • आर के पुरम

  • रोहिणी

  • विवेक विहार

  • वजीरपुर

इनसे निपटने के लिए, टीम में 13 फील्ड इंजीनियर हैं, जो डस्ट कंट्रोल की निगरानी के लिए ग्राउंड स्टाफ के रूप में काम करते हैं और कंट्रोल उपायों के लिए दूसरे विभागों को सूपर्वाइज करते हैं.

टीम ऐम्बीअन्ट एयर क्वालिटी, PM 2.5 और PM 10 प्रदूषकों की भी निगरानी करती है और CAQM डेटा से बुलेटिन कम्पाइल करती है. वे दिल्ली-गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में लैंडफिल के सुधार की भी निगरानी करते हैं.

प्रदूषकों को कंट्रोल में रखने का दूसरा पक्ष

लेकिन ग्रीन वॉर रूम जागरूकता फैलाने और शिकायतें सुनने के लिए जनता के साथ भी जुड़ती है.

टीम, प्रदूषण के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए बायोडायवर्सिटी, स्वच्छता से संबंधित पोस्टर और स्लोगन सोशल मीडिया पर लगाती है.

टीम के एक दूसरे जूनियर एनविरोमेन्ट इंजीनियर अनुराग पवार का कहना है कि हर दिन जब वह काम पर निकलते हैं, तो उनकी जिम्मेदारियों के पहले सेट में उन शिकायतों को देखना शामिल होता है, जो लोग 'ग्रीन दिल्ली' मोबाइल एप्लिकेशन पर दर्ज करते हैं और जो दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी को माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X (फॉर्मर्ली ट्विटर) पर ट्वीट करते हैं.

ये शिकायतें कैसी दिखती हैं?

“आमतौर पर लोग तब शिकायत करते हैं जब निर्माण कार्य के कारण धूल बहुत अधिक बढ़ जाती है. या किसी सड़क निर्माण कार्य के बीच में रुकने के कारण उस जगह पर अधिक धूल और गंदगी रहती है. गार्बेज डिस्पोजल को लेकर भी हमें शिकायतें मिलती रहती हैं. इमिशन बढ़ने के कारण पीक ट्रैफिक के दौरान लोग हमें जियोमार्कर भी भेजते हैं."
अनुराग पवार

और इन शिकायतों से कैसे निपटा जाता है? पवार बताते हैं कि उन्हें मिलने वाली हर शिकायत संबंधित क्षेत्र के नोडल अधिकारी को भेज दी जाती है.

इसके बाद नोडल अधिकारी इसे संबंधित विभाग को सौंप देते हैं (ग्रीन वॉर रूम पब्लिक वर्क्स विभाग, जल विभाग सहित दिल्ली सरकार के 27 विभागों के साथ कोऑर्डिनेट करता है) जो समस्या को हल करने के लिए बनाए गए हैं.

पवार का दावा है कि फील्ड इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर दोनों शिकायतों का समाधान होने तक इन विभागों को सूपर्वाइज करते हैं और उन पर निगरानी रखते हैं.

अक्टूबर 2020 में लॉन्च होने के बाद से, 'ग्रीन दिल्ली' एप्लिकेशन को जनता से 74,000 से अधिक शिकायतें मिली हैं.

टीम फिट को बताती है कि शिकायतों का समाधान करने के लिए कोई निश्चित समय नहीं होता है. वे कहते हैं, "उदाहरण के लिए, जब वे निर्माण से संबंधित होते हैं, तो अधिक समय लग सकता है, जबकि गार्बेज डिस्पोजल या ट्रैफिक समस्याओं जैसे अन्य मुद्दों को बहुत जल्दी हल किया जा सकता है."

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दिवाली और सर्दी: ग्रीन वॉर रूम की असली परीक्षा

सर्दियों से पहले ग्रीन वॉर रूम ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. मोइत्रा कहती हैं,

"हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि प्रदूषण कितना बढ़ेगा लेकिन हम एंटीसिपेट कर रहे हैं कि जैसे-जैसे सर्दी करीब आएगी यह बढ़ेगा."

इसकी तैयारी के लिए, उन्होंने मशीनीकृत रोड स्वीपिंग मशीन, एंटी-स्मॉग गन और वाटर स्प्रिंकलर को तैनात किया है ताकि प्रदूषक नीचे सेटल कर जाएं और उन्हें हटाया जा सके.

इन सबके बावजूद रविवार 15 अक्टूबर को दिल्ली में AQI 245, यानी 'पुअर' (‘poor’) श्रेणी, में दर्ज किया गया.

पवार कहते हैं, “सर्दियों से पहले, मौसम संबंधी कारक भी हैं, जिन पर हमें नजर रखनी होगी. उदाहरण के लिए, अगर हवाएं तेज हो जाती हैं या बारिश होती है, तो प्रदूषण का स्तर उतना ऊंचा नहीं होगा. लेकिन अगर ऐसी चीजें नहीं होती हैं, तो हमें AQI को कंट्रोल में रखने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी.”

हालांकि क्या यह पर्याप्त है?

जबकि टीम का कहना है कि वह AQI के स्तर को कंट्रोल में रखने की पूरी कोशिश कर रही है, साल दर साल दिल्ली में एयर क्वालिटी में गिरावट देखी जा रही है.

लोकलसर्किल्स द्वारा पिछले साल दिल्ली-एनसीआर में कराए गए एक सर्वे के अनुसार क्षेत्र में 5 में से 4 परिवार (80%) 'गंभीर' वायु प्रदूषण के कारण बीमारियों से पीड़ित थे. सर्वे में शामिल लोगों के अनुसार उन्हें यह इशू थे:

  • रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन

  • गला खराब

  • बहती नाक

  • अस्थमा जैसी लॉन्ग-टर्म समस्याएं

नवंबर 2022 में IIT दिल्ली के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार PM 2.5 प्रदूषकों के संपर्क में हर 10 माइक्रोग्राम/मीटर क्यूब की वृद्धि के साथ, महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता 7.23% बढ़ जाती है.
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जब प्रदूषण का हेल्थ, लाइवलीहुड और लाइफ पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है, तो यह सवाल उठता है - क्या ग्रीन वॉर रूम दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक में प्रदूषकों से लड़ने के लिए पर्याप्त है?

अरोड़ा स्वीकार करते हैं कि सुधार की गुंजाइश है. वे फिट को बताते हैं:

“ग्राउन्ड लेवल मोनिट्रिंग अधिक फ्रीक्वेंटली और तेज होनी चाहिए, खासकर सर्दियों में. हमें समय-समय पर लोगों और विभागों को ग्रीन दिल्ली पोर्टल का उपयोग करने के बारे में ट्रेन करना चाहिए क्योंकि कभी-कभी शिकायतों को हल करने में देरी होती है, जिसे इसके द्वारा संबोधित किया जा सकता है.

प्रदूषण के स्तर पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली और क्या कर रही है?

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय द्वारा पिछले कुछ दिनों में की गई घोषणाओं की एक श्रृंखला के अनुसार, दिल्ली क्या कर रही है:

  • राय ने 16 अक्टूबर को केंद्र को पत्र लिखकर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने को कहा. उन्होंने केंद्र से दिल्ली-NCR में केवल CNG और इलेक्ट्रिक वाहनों को चलने की अनुमति देने को भी कहा.

  • 16 अक्टूबर को पब्लिक वर्क्स विभाग ने दिल्ली के प्रमुख निर्माण स्थलों पर वायु प्रदूषण सेंसर लगाने की इनिशिएटिव ली. 

  • उसी दिन, राय ने पौधारोपण अभियान भी चलाया.

  • एंटी-डस्ट अभियान के तहत, राय ने 15 अक्टूबर को घोषणा की कि 21 निर्माण स्थलों से 8.35 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया.

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