दिल्ली में चिकनगुनिया का कहर जारी है. इससे अभी तक 10 मौतें हो चुकी हैं. चिकनगुनिया पर राजनीति भी जमकर हो रही है. लेकिन कई ऐसी बातें हैं, जिनके चलते लोगों के बीच कई तरह के भ्रम फैल रहे हैं.
चिकनगुनिया ज्यादातर दक्षिण भारत के प्रदेशों में अधिक देखने को मिलता है. लेकिन इस बार ये उत्तर भारत में भी बड़े पैमाने पर फैल रहा है.
चिकनगुनिया से संबंधित सारे सवालों के जवाब के लिए क्विंट ने बात की अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. एस चटर्जी से. पढ़ें बातचीत का ब्योरा और जानें सवालों के जवाब.
चिकनगुनिया के लक्षण क्या है?
डॉ चटर्जी के अनुसार, चिकनगुनिया में बुखार के साथ-साथ जोड़ों में बहुत तेज दर्द होता है. यह दर्द असहनीय होता है.
बचाव के उपाय क्या हैं?
चिकनगुनिया से बचाव का मुख्य उपाय मच्छरों से बचाव है. अपने आसपास पानी जमा न होने दें, ताकि उनमें मच्छर का लार्वा न पनपे. इसके लक्षण सामने आने पर दर्द निवारक गोलियों का सोच-समझकर डॉक्टर की सलाह के मुताबिक इस्तेमाल करें.
चिकनगुनिया और डेंगू में क्या अंतर है?
चिकनगुनिया में बुखार के साथ-साथ जोड़ों में तेज दर्द होता है. वहीं डेंगू में प्लेटेलेट्स का ज्यादा नुकसान होता है. जैसे ही चिकनगुनिया के लक्षण सामने आएं, घबराएं नहीं. जल्द से जल्द अपनी जांच कराएं और तय करें कि आप चिकनगुनिया से ग्रस्त हैं या नहीं.
क्या चिकनगुनिया जानलेवा है?
अगर एक स्वस्थ्य आम आदमी को चिकनगुनिया हो ,तो यह कभी भी जानलेवा नहीं हो सकता. लेकिन पहले से बीमार आदमी को चिकनगुनिया हो जाए, तब यह परेशानी करने वाला मामला बन जाता है.
डॉ. चटर्जी के अनुसार, अगर कोई इंसान हार्ट अटेक, ब्रेन हेमरेज या दूसरी शारीरिक दिक्कतों से परेशान है, तो मल्टी ऑर्गन फेलियर के चलते उसकी मौत हो सकती है. दिल्ली में होने वाली मौतों के पीछे यही कारण है.
तो आप भी सावधानी बरतें और चिकनगुनिया से अपने आप को बचाएं, अगर लक्षण सामने आएं तो घबराएं नहीं, बल्कि डॉक्टर से सलाह लेकर सही कदम उठाएं.
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