वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने कहा है कि सरकारें और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट जैसे उत्पादों के प्रचार पर आसानी से विश्वास न करें.
बयान में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट से होने वाला नुकसान कम हैं, ये तंबाकू कंपनियों के प्रचार की एक रणनीति है.
WHO ने ग्लोबल टोबैको एपिडेमिक पर अपनी नई रिपोर्ट में बताया कि लंबे समय से तंबाकू उद्योग, तंबाकू नियंत्रण के लिए अपनाए जा रहे कदमों के खिलाफ काम कर रहा है.
कई उद्योगों का कहना है कि पारंपरिक सिगरेट के बदले इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट सुरक्षित है और ये सिगरेट पीने की आदत छोड़ने में मदद करता है. हालांकि WHO के मुताबिक इस बात के समर्थन में पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
जब सिगरेट पीने वाले पूरी तरह से निकोटिन छोड़ देंगे, तभी उन्हें फायदा मिलेगा.
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने हाल के वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए कई उपायों की घोषणा की है.
ई-सिगरेट से भी लग सकती है स्मोकिंग की लत
ई-सिगरेट में लिक्विड निकोटिन और दूसरे खतरनाक केमिकल होते हैं.

कई स्टडीज में बताया गया है कि ई-सिगरेट नशे की आदत पड़ने और जारी रखने को बहुत आसान बना देता है. इससे स्मोकर्स का एक नया वर्ग तैयार हो सकता है, जिन्होंने पहले कभी स्मोकिंग न की हो.
प्रमाण के अनुसार अमेरिकी किशोरों में ई-सिगरेट तेजी से लोकप्रिय हो रही है.
पारंपरिक सिगरेट जितना ही नुकसान देता है ई-सिगरेट
डब्लूएचओ तंबाकू नियंत्रण अधिकारी विनायक प्रसाद ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट और पारंपरिक सिगरेट पीने से होने वाले नुकसान एक जैसे हैं, सबसे बड़ा अंतर ये है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में कोई स्पष्ट धुआं नहीं है.
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बाजार पर निगरानी को मजबूत करना चाहिए, जो डब्लूएचओ का एक स्पष्ट लक्ष्य भी है.
(इनपुट: आईएएनएस)
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