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Flu Cases: बदलते मौसम में बढ़ रहे फ्लू के मामले, रखें इन बातों का ख्याल

Season Change: इस बार फ्लू के लक्षणों को जाने में पहले से अधिक समय लग रहा है.

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Rise In FLU Cases: तापमान और मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव के साथ, देश भर में सर्दी-खांसी, बुखार और सांस से जुड़ी समस्या बढ़ रही हैं. इस कारण अस्पताल के ओपीडी में अचानक से मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी देखी है जा रही है.

डॉक्टर ये भी बता रहे हैं कि इस बार फ्लू के लक्षणों को जाने में अधिक समय लग रहा है. ऐसे मौसम में बीमार पड़ने से बचने के लिए हम क्या सावधानियां बरत सकते हैं, यह समझने के लिए फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से बात की.

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मौसम में बदलाव के साथ किन बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं?

मौसम बदलने के साथ व्यक्ति को कई तरह की बीमारियों के लक्षण महसूस हो सकते हैं. साथ ही कुछ मामलों में कोविड ​​​और पोस्ट-कोविड ​​​​इफेक्ट्स के बारे में भी पता लगाना चाहिए. हाल ही में कुछ क्षेत्रों में कोविड ​​​​मामलों में वृद्धि हुई है.

"अभी मौसम तेजी से बदल रहा है, इसलिए सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या काफी बढ़ी हुई है. बदलते मौसम में इम्यूनिटी कमजोर होने से वायरल इंफेक्शन का खतरा भी काफी बढ़ जाता है. हमने अपने अस्पताल की ओपीडी में अचानक से मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी देखी है, जो कि वायरल बुखार से पीड़ित हैं".
डॉ. रवि शेखर झा, डायरेक्टर एंड यूनिट हेड- पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद
  • अस्थमा के अटैक भी सामान्य से कई गुना ज्यादा सामने आ रहे हैं.

  • रेस्पिरेट्री समस्याएं भी बढ़ रही हैं.

  • कुछ लोगों को मौसम के बदलने से साइनसाइटिस या आर्थराइटिस जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

  • एलर्जेन्स के प्रवेश के कारण त्वचा में रैशेज की समस्याएं बढ़ रही हैं.

दिल्ली, सीके बिड़ला हॉस्पिटल के डायरेक्टर, डॉ. विकास मित्तल भी ओपीडी में मौसम से जुड़ी परेशानियों के शिकार मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी की बात कहते हैं. साथ ही वो स्वाइन फ्लू (H1N1 वायरस) और H3N2, RSV, पैराइंफ्लुएंजा B इंफेक्शंस के बढ़ते मामलों में वृद्धि की बात भी कहते हैं.

"मौसम बदलने के साथ ही निमोनिया, अस्थमा, सीओपीडी और फेफड़ों के दूसरे रोगों में वृद्धि हुई है."
डॉ. विकास मित्तल, डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी, सीके बिड़ला हॉस्पिटल®, दिल्ली

डॉ. झा बताते हैं कि कुछ मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती करने की जरूरत भी पड़ रही है.

"हर रोज ओपीडी (OPD) में आने वाले करीब 20% मरीज वायरल इंफेक्शन से पीड़ित हैं, जिनमें से कुछ को भर्ती करने की जरूरत भी पड़ रही है."
डॉ. रवि शेखर झा, डायरेक्टर एंड यूनिट हेड- पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद

इन लक्षणों पर रखें ध्यान, तुरंत करें डॉक्टर से संपर्क 

एक्सपर्ट्स के बताए लक्षण:

  • बुखार 103 डिग्री से ज्यादा हो

  • उल्टी आ रही हो

  • खांसी की वजह से बेहोशी आ रही हो

  • जरा सी भी बात पर सांस फूल रही हो

  • ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा हो

  • खाना पीना कम हो गया हो

  • शरीर पर दाने निकल गए हों

  • बेहोशी या कंफ्यूज़न जैसी फीलिंग हो रही है

5 दिनों से ज्यादा समय तक सांस फूलने की शिकायत बनी रहे, तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. फ्लू के लक्षणों में सुधार नहीं दिखाई देना किसी गंभीर कंडीशन का लक्षण हो सकता है, जिसके लिए मेडिकल जांच और इलाज की जरूरत होती है.

"सांस फूलने, खांसी, बलगम बनने, अस्थमा, सीओपीडी और मध्य फेफड़े के रोगों (आईएलडी) जैसी क्रोनिक कंडीशंस के बिगड़ने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. ये लक्षण सांस की बीमारी के बिगड़ने का संकेत होता है और इसमें समय पर मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है ताकि आगे किसी भी कॉम्प्लिकेशन से बचा जा सके."
डॉ. विकास मित्तल, डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी, सीके बिड़ला हॉस्पिटल®, दिल्ली
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बदलते मौसम में बीमार होने से कैसे बचें?

बदलते मौसम में बीमार पड़ने से बचने के कुछ उपाय: 

  • साफ-सफाई का ध्यान रखें- हाथ धोने के नियम का पालन करते रहें, खासकर खाना तैयार करने से पहले हाइजिन का ध्यान जरुर रखें 

  • अच्छी डायट लें– पौष्टिक भोजन से आपका इम्यून सिस्टम मजबूत रहेगा. अपने फूड में फलों, सब्जियों और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर आहार शामिल करें. 

  • मौसम के अनुसार कपड़े पहनें– मौसम के हिसाब से कपड़ें चुनें ताकि आपका शरीर सही तरीके से रैग्युलेट हो सके. 

  • साफ पानी पिएं– साफ और उबला हुआ पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं, ताकि डीहाइड्रेशन से बचा जा सके. 

  • टीकाकरण (वैक्सीनेशन) समय पर करवाएं– फ्लू वैक्सीन लगवाएं और अगर कोई खास वैक्सीन उपलब्ध हो, तो उसे समय पर अपडेट करें. 

  • भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें- अगर आपके इलाके में आसपास कोई बीमारी हो, तो सार्वजनिक जगहों पर जाने से बचें. 

  • नियमित रूप से व्यायाम करें– शारीरिक व्यायाम करने से शरीर के मैटाबॉलिज़्म में सुधार होता है, जो इम्यून सिस्टम को काफी बूस्ट करता है.

इन उपायों का पालन कर आप अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं, खासतौर से बदलते मौसम में ऐसा करना जरूरी है.

क्या ऐसी मौसमी बीमारी में एंटीबायोटिक दवा काम करती है?

⁠एंटीबायोटिक्स सिर्फ बैक्टीरियल इंफेक्शंस पर काम करते हैं, वायरल इंफेक्शन जैसे कि फ्लू या जुकाम पर ये बेअसर होते हैं.

अगर आप बीमार महसूस कर रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है. अपने लक्षणों को समझने के लिए और सही ट्रीटमेंट के लिए हमेशा डॉक्टरी सलाह लें.

"एंटीबायोटिक्स का अंधाधुंध इस्तेमाल करने से बैक्टीरियल रेजिस्टेंस बढ़ सकता है, इसलिए इन दवाओं का सही इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें. बिना प्रेस्क्रिप्शन के एंटीबायोटिक्स लेने से साइड इंफेक्ट्स हो सकते हैं और सही इलाज भी नहीं होगा."
डॉ. रवि शेखर झा, डायरेक्टर एंड यूनिट हेड- पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद

डॉ. विकास मित्तल कहते हैं, "मौसमी रोगों से बचने के लिए एंटीबायोटिक का इस्तेमाल केवल तभी करें जब कोई सेकंडरी बैक्टीरियल इंफेक्शन गंभीर हो जाए. याद रखें कि रोग के शुरुआती दिनों में एंटीबायोटिक से बचना चाहिए".

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