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French Fries बना सकता है डिप्रेशन का शिकार, फ्राइड फूड खाने के हैं नुकसान-रिसर्च

French Fries Health Risks: घर-घर का पसंदीदा फ्रेंच फ्राइज भी पहुंचा सकता मेंटल हेल्थ को नुकसान.

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Side Effects Of Eating French Fries: फ्रेंच फ्राइज (French Fries) पीढ़ियों से पसंदीदा स्नैक के रूप में घर-घर खाया जाता है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए ये ‘कम्फर्ट फूड’ की तरह देखा जाता है पर, हाल ही में हांग्जो, चीन में एक रिसर्च टीम ने पाया कि तले हुए खाद्य पदार्थों का लगातार सेवन डिप्रेशन और एंग्जायटी का करण भी बनता है.

दुनिया भर में स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंग्जायटी जैसे मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम बढ़ रहे हैं, खास कर युवाओं में. ऑफिस, फैमिली, सोसाइटी तो पहले से ही मेंटल हेल्थ पर अच्छा- बुरा असर डाल रही थी पर अब घर-घर का पसंदीदा फ्रेंच फ्राइज भी इसमें शामिल हो गया.

क्या कहती है फ्रेंच फ्राइज (French Fries) से जुड़ी ये रिसर्च? फ्राइड फूड से क्यों होती है डिप्रेशन और एंग्जाइटी की समस्या? क्या हैं फ्राइड फूड खाने के नुकसान? आइए जानते हैं फिट हिंदी के इस आर्टिकल में.

French Fries बना सकता है डिप्रेशन का शिकार, फ्राइड फूड खाने के हैं नुकसान-रिसर्च

  1. 1. क्या कहती है रिसर्च?

    तले हुए खाद्य पदार्थ मोटापे, हाई ब्लड प्रेशर और दूसरी शारीरिक बीमारियों के लिए जोखिम कारक माने जाते हैं.

    हांग्जो, चीन में एक रिसर्च टीम ने पाया कि तले हुए खाद्य पदार्थों का लगातार सेवन, विशेष रूप से तले हुए आलू, उन लोगों की तुलना में एंग्जायटी के 12% अधिक और डिप्रेशन के 7% अधिक जोखिम से जुड़ा था, जो तले हुए खाद्य पदार्थ नहीं खाते हैं. यह आंकड़ा युवाओं में खास कर युवा पुरुषों में अधिक देखने को मिला.

    हालांकि, न्यूट्रीशन की स्टडी करने वाले एक्सपर्ट्स ने कहा कि परिणाम शुरुआती हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि तले हुए खाद्य पदार्थ मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जुड़े हैं या फिर जो लोग डिप्रेशन या एंग्जायटी से जूझ रहे हैं, वे तले हुए खाद्य पदार्थ अधिक खा रहे हैं.

    स्टडी ने 11.3 वर्षों में 140,728 लोगों का मूल्यांकन (evaluated) किया. पहले दो वर्षों में डिप्रेशन वाले प्रतिभागियों को बाहर करने के बाद, तले हुए भोजन का सेवन करने वालों में एंग्जायटी के कुल 8,294 मामले और डिप्रेशन के 12,735 मामले पाए गए, जबकि विशेष रूप से तले हुए आलू खाने वालों में, तले हुए सफेद मांस खाने वालों की तुलना में, डिप्रेशन के जोखिम में 2% की वृद्धि पाई गई.

    रिसर्च में यह भी पाया गया था कि युवा पुरुषों का झुकाव नियमित रूप से एक से अधिक तले हुए भोजन खाने की ओर था.

    इस रिसर्च पर डॉ. परमजीत सिंह फिट हिंदी से कहते हैं, "PNAS (यूएसए की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज) में प्रकाशित रिसर्च में आया है कि फ्रेंच फ्राइज जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ डिप्रेशन और एंग्जायटी के खतरे को बढ़ाता है".

    "हां, डिप्रेशन और फ्राइड फूड खासकर आलू का संबंध वैज्ञानिक रूप से मान्य है. एक्रिलामाइड नामक पदार्थ यहां जोड़ने वाली कड़ी हो सकता है. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और न्यूरो इंफ्लेमेशन मैडियेटिंग मैकेनिज्म (mediating mechanism) की तरह काम कर सकते हैं."
    डॉ. परमजीत सिंह, सलाहकार मनोचिकित्सक, पीएसआरआई अस्पताल, नई दिल्ली
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  2. 2. फ्राइड फूड से क्यों होती है डिप्रेशन और एंग्जाइटी की समस्या?

    डॉ. परमजीत सिंह कहते हैं कि तला हुआ भोजन और डिप्रेशन के बीच की कड़ी बायडायरेक्शनल (bidirectional) है, जिसका मतलब है कि तला हुआ भोजन डिप्रेशन के रिस्क और रेट को बढ़ाने का कारण बन सकता है. क्लिनिकल डिप्रेशन में रहने वाले लोग भी इस तरह के आरामदायक खाद्य पदार्थों (comfort food) को ज्यादा खाने की ओर आकर्षित रहते हैं और इस तरह के खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन भी डिप्रेशन का एक लक्षण हो सकता है.

    वहीं डॉ. मीनाक्षी जैन फिट हिंदी से कहती हैं, "जंक फूड जैसे फ्रेंच फ्राइज, मिठाईयां, चॉकलेट में ट्रांस फैट और चीनी की मात्रा काफी अधिक होती है. इन उत्पादों को एक चिकना और हल्का बनाने के लिए अक्सर इनमें से फाइबर और प्रोटीन निकाल दिए जाते हैं. इनमें अक्सर पोषक तत्वों की कमी होती है और उत्पादों को उपभोक्ताओं के लिए अधिक आकर्षक बनाने के साथ-साथ उत्पाद के शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए प्रिजर्वेटिव्स, इमल्सीफायर, आर्टिफिशियल कलर जैसे पदार्थ मिलाए जाते हैं. खाद्य उत्पादों में पाए जाने वाली इन सभी चीजों के कारण शरीर में इन्फेक्शन और पेट खराब होता है".

    "इस बात के पुख्ता प्रमाण के लिए रिसर्च की जा रही हैं कि इन प्रो-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थों के नियमित सेवन से मोटापा, मधुमेह और डिस्लिपिडेमिया जैसी शारीरिक स्थिति पैदा करके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक रोगों का खतरा बढ़ सकता है."
    डॉ. मीनाक्षी जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ साइकेट्रिक, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद
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  3. 3. क्या हैं फ्राइड फूड/तले हुए फूड खाने से नुकसान?

    "यहां कुछ बिंदुओं को मौलिक रूप से समझना आवश्यक है. सबसे पहले तेल का सेवन और तेल में फ्राइड पदार्थों का सेवन दोनों में फर्क समझें. जहां हमारे शरीर को उचित मात्रा में पौष्टिक तेल या वसा की जरूरत है, वहीं फ्राइड पदार्थ निश्चित रूप से दिल समेत संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं."
    डॉ. डी. के. झांब, डायरेक्टर एंड एचओडी, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल, गुरुग्राम

    डॉ. डी. के. झांब आगे कहते हैं, "अक्सर लोग फ्राइड को न खाने की एवज में तेल ही पूरी तरह से खाना छोड़ देते हैं. यानी तेल की मात्रा और खाए जाने वाले पदार्थ को कितने तापमान पर पकाया गया है इस बात पर निर्भर करता है कि तेल युक्त या फ्राइड भोजन आपके लिए कितना लाभदायक या हानिकारक है".

    जिन फ्राइड पदार्थों में तेल की अधिक मात्रा होती है, यानी वे पदार्थ जिन्हें पूरा तेल में डुबा कर पकाया जाता है वे निश्चित रूप से हानिकारक होते हैं साथ ही अधिक तापमान पर फ्राई किए गए पदार्थ बेहद हानिकारक होते हैं.

    दरअसल जब इन्हें बनाया जाता है, तो वे हाइड्रोजनेट हो जाता है. उनमें हाइड्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है और पोषक तत्व कम या नष्ट हो जाते हैं. ये शरीर और धमनियों के लिए हानिकारक हो जाता है, क्योंकि एक समय बाद ये धमनियों में जमा हो जाते हैं. साथ ही इसमें ट्राईसाइक्लिक एसिड यानी टीसीए की मात्रा बढ़ जाती है.

    एक्सपर्ट कहते हैं कि ये दोनों ही स्थितियों धमनियों में ब्लॉकेज उत्पन्न कर सकती हैं. इसलिए बहुत मुमकिन है कि लगातार ऐसे पदार्थों का सेवन करने वाले लोग एक समय बाद बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल, सांस फूलना जैसी समस्या का सामना करें या जिनका पहले से कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है या हार्ट की बीमारी के रोगी हैं, उनको ऐसे पदार्थों के सेवन का गंभीर परिणाम देखने को मिले. फ्राइड फूड खाने से होने वाली कुछ समस्याएं ये हैं:

    • स्ट्रोक

    • ब्रेन स्ट्रोक

    • हाई बैड कोलेस्ट्रॉल

    • बढ़ा हुआ बीपी

    • बढ़ा हुआ ब्लड शुगर

    • सांस फूलना

    इसलिए तले से बने भोजन से दूरी बनाएं, लगातार अपना कोलेस्ट्रॉल जांचते रहें. डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही अपने खान पान के पदार्थों को तय करें.

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  4. 4. युवाओं में बढ़ रहा एंग्जायटी और डिप्रेशन

    दुनिया भर के लोगों में मानसिक और शारीरिक समस्याएं बढ़ रही हैं. एक्स्पर्ट्स की मानें तो युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक का प्रमुख कारण स्ट्रेस है. बढ़ते स्ट्रेस से युवा डिप्रेशन और एंग्जायटी की ओर भी बढ़ने लगते हैं. हर दिन बढ़ता हुआ काम, नंबर की चिक-चिक, आसमान छूती महंगाई, शहरों में रहन-सहन का खर्चीला तरीका, बॉस की डिमांड कई बार इतने तनाव दे देती है कि हाइपरटेंशन और ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियां हमें घेर ही लेती है.

    डॉ. परमजीत सिंह कहते हैं कि किशोर और युवा वयस्कों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है. फ्राइड फूड से परहेज या कमी डिप्रेशन से बचाव, शारीरिक स्वास्थ्य और मोटापे के लिए भी फायदेमंद है. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अलग-अलग काम नहीं करते. दोनों को डाइटरी मैनेजमेंट से स्वस्थ बनाया जा सकता है. वैसे अभी भोजन और न्यूट्रीशन का मेंटल हेल्थ पर पड़ने वाले असर की ओर काफी रिसर्च बाकी है.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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क्या कहती है रिसर्च?

तले हुए खाद्य पदार्थ मोटापे, हाई ब्लड प्रेशर और दूसरी शारीरिक बीमारियों के लिए जोखिम कारक माने जाते हैं.

हांग्जो, चीन में एक रिसर्च टीम ने पाया कि तले हुए खाद्य पदार्थों का लगातार सेवन, विशेष रूप से तले हुए आलू, उन लोगों की तुलना में एंग्जायटी के 12% अधिक और डिप्रेशन के 7% अधिक जोखिम से जुड़ा था, जो तले हुए खाद्य पदार्थ नहीं खाते हैं. यह आंकड़ा युवाओं में खास कर युवा पुरुषों में अधिक देखने को मिला.

हालांकि, न्यूट्रीशन की स्टडी करने वाले एक्सपर्ट्स ने कहा कि परिणाम शुरुआती हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि तले हुए खाद्य पदार्थ मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जुड़े हैं या फिर जो लोग डिप्रेशन या एंग्जायटी से जूझ रहे हैं, वे तले हुए खाद्य पदार्थ अधिक खा रहे हैं.

स्टडी ने 11.3 वर्षों में 140,728 लोगों का मूल्यांकन (evaluated) किया. पहले दो वर्षों में डिप्रेशन वाले प्रतिभागियों को बाहर करने के बाद, तले हुए भोजन का सेवन करने वालों में एंग्जायटी के कुल 8,294 मामले और डिप्रेशन के 12,735 मामले पाए गए, जबकि विशेष रूप से तले हुए आलू खाने वालों में, तले हुए सफेद मांस खाने वालों की तुलना में, डिप्रेशन के जोखिम में 2% की वृद्धि पाई गई.

रिसर्च में यह भी पाया गया था कि युवा पुरुषों का झुकाव नियमित रूप से एक से अधिक तले हुए भोजन खाने की ओर था.

इस रिसर्च पर डॉ. परमजीत सिंह फिट हिंदी से कहते हैं, "PNAS (यूएसए की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज) में प्रकाशित रिसर्च में आया है कि फ्रेंच फ्राइज जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ डिप्रेशन और एंग्जायटी के खतरे को बढ़ाता है".

"हां, डिप्रेशन और फ्राइड फूड खासकर आलू का संबंध वैज्ञानिक रूप से मान्य है. एक्रिलामाइड नामक पदार्थ यहां जोड़ने वाली कड़ी हो सकता है. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और न्यूरो इंफ्लेमेशन मैडियेटिंग मैकेनिज्म (mediating mechanism) की तरह काम कर सकते हैं."
डॉ. परमजीत सिंह, सलाहकार मनोचिकित्सक, पीएसआरआई अस्पताल, नई दिल्ली
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फ्राइड फूड से क्यों होती है डिप्रेशन और एंग्जाइटी की समस्या?

डॉ. परमजीत सिंह कहते हैं कि तला हुआ भोजन और डिप्रेशन के बीच की कड़ी बायडायरेक्शनल (bidirectional) है, जिसका मतलब है कि तला हुआ भोजन डिप्रेशन के रिस्क और रेट को बढ़ाने का कारण बन सकता है. क्लिनिकल डिप्रेशन में रहने वाले लोग भी इस तरह के आरामदायक खाद्य पदार्थों (comfort food) को ज्यादा खाने की ओर आकर्षित रहते हैं और इस तरह के खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन भी डिप्रेशन का एक लक्षण हो सकता है.

वहीं डॉ. मीनाक्षी जैन फिट हिंदी से कहती हैं, "जंक फूड जैसे फ्रेंच फ्राइज, मिठाईयां, चॉकलेट में ट्रांस फैट और चीनी की मात्रा काफी अधिक होती है. इन उत्पादों को एक चिकना और हल्का बनाने के लिए अक्सर इनमें से फाइबर और प्रोटीन निकाल दिए जाते हैं. इनमें अक्सर पोषक तत्वों की कमी होती है और उत्पादों को उपभोक्ताओं के लिए अधिक आकर्षक बनाने के साथ-साथ उत्पाद के शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए प्रिजर्वेटिव्स, इमल्सीफायर, आर्टिफिशियल कलर जैसे पदार्थ मिलाए जाते हैं. खाद्य उत्पादों में पाए जाने वाली इन सभी चीजों के कारण शरीर में इन्फेक्शन और पेट खराब होता है".

"इस बात के पुख्ता प्रमाण के लिए रिसर्च की जा रही हैं कि इन प्रो-इंफ्लेमेटरी खाद्य पदार्थों के नियमित सेवन से मोटापा, मधुमेह और डिस्लिपिडेमिया जैसी शारीरिक स्थिति पैदा करके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक रोगों का खतरा बढ़ सकता है."
डॉ. मीनाक्षी जैन, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ साइकेट्रिक, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद

क्या हैं फ्राइड फूड/तले हुए फूड खाने से नुकसान?

"यहां कुछ बिंदुओं को मौलिक रूप से समझना आवश्यक है. सबसे पहले तेल का सेवन और तेल में फ्राइड पदार्थों का सेवन दोनों में फर्क समझें. जहां हमारे शरीर को उचित मात्रा में पौष्टिक तेल या वसा की जरूरत है, वहीं फ्राइड पदार्थ निश्चित रूप से दिल समेत संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं."
डॉ. डी. के. झांब, डायरेक्टर एंड एचओडी, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल, गुरुग्राम

डॉ. डी. के. झांब आगे कहते हैं, "अक्सर लोग फ्राइड को न खाने की एवज में तेल ही पूरी तरह से खाना छोड़ देते हैं. यानी तेल की मात्रा और खाए जाने वाले पदार्थ को कितने तापमान पर पकाया गया है इस बात पर निर्भर करता है कि तेल युक्त या फ्राइड भोजन आपके लिए कितना लाभदायक या हानिकारक है".

जिन फ्राइड पदार्थों में तेल की अधिक मात्रा होती है, यानी वे पदार्थ जिन्हें पूरा तेल में डुबा कर पकाया जाता है वे निश्चित रूप से हानिकारक होते हैं साथ ही अधिक तापमान पर फ्राई किए गए पदार्थ बेहद हानिकारक होते हैं.

दरअसल जब इन्हें बनाया जाता है, तो वे हाइड्रोजनेट हो जाता है. उनमें हाइड्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है और पोषक तत्व कम या नष्ट हो जाते हैं. ये शरीर और धमनियों के लिए हानिकारक हो जाता है, क्योंकि एक समय बाद ये धमनियों में जमा हो जाते हैं. साथ ही इसमें ट्राईसाइक्लिक एसिड यानी टीसीए की मात्रा बढ़ जाती है.

एक्सपर्ट कहते हैं कि ये दोनों ही स्थितियों धमनियों में ब्लॉकेज उत्पन्न कर सकती हैं. इसलिए बहुत मुमकिन है कि लगातार ऐसे पदार्थों का सेवन करने वाले लोग एक समय बाद बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल, सांस फूलना जैसी समस्या का सामना करें या जिनका पहले से कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है या हार्ट की बीमारी के रोगी हैं, उनको ऐसे पदार्थों के सेवन का गंभीर परिणाम देखने को मिले. फ्राइड फूड खाने से होने वाली कुछ समस्याएं ये हैं:

  • स्ट्रोक

  • ब्रेन स्ट्रोक

  • हाई बैड कोलेस्ट्रॉल

  • बढ़ा हुआ बीपी

  • बढ़ा हुआ ब्लड शुगर

  • सांस फूलना

इसलिए तले से बने भोजन से दूरी बनाएं, लगातार अपना कोलेस्ट्रॉल जांचते रहें. डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही अपने खान पान के पदार्थों को तय करें.

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युवाओं में बढ़ रहा एंग्जायटी और डिप्रेशन

दुनिया भर के लोगों में मानसिक और शारीरिक समस्याएं बढ़ रही हैं. एक्स्पर्ट्स की मानें तो युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक का प्रमुख कारण स्ट्रेस है. बढ़ते स्ट्रेस से युवा डिप्रेशन और एंग्जायटी की ओर भी बढ़ने लगते हैं. हर दिन बढ़ता हुआ काम, नंबर की चिक-चिक, आसमान छूती महंगाई, शहरों में रहन-सहन का खर्चीला तरीका, बॉस की डिमांड कई बार इतने तनाव दे देती है कि हाइपरटेंशन और ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियां हमें घेर ही लेती है.

डॉ. परमजीत सिंह कहते हैं कि किशोर और युवा वयस्कों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है. फ्राइड फूड से परहेज या कमी डिप्रेशन से बचाव, शारीरिक स्वास्थ्य और मोटापे के लिए भी फायदेमंद है. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अलग-अलग काम नहीं करते. दोनों को डाइटरी मैनेजमेंट से स्वस्थ बनाया जा सकता है. वैसे अभी भोजन और न्यूट्रीशन का मेंटल हेल्थ पर पड़ने वाले असर की ओर काफी रिसर्च बाकी है.

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