टाइप टू डायबिटीज से पीड़ित लड़कियों को अनियमित माहवारी होने का जोखिम ज्यादा होता है. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो में हुई एक नए स्टडी में यह दावा किया गया है.
माहवारी में अनियमितताओं की वजह गर्भावस्था, हार्मोन असंतुलन, संक्रमण, बीमारियों, सदमा लगने और कुछ दवाइयों का सेवन आदि हो सकते हैं.
मोटापे की समस्या से पीड़ित वयस्क महिलाओं में पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसे माहवारी संबंधी विकार के खतरे होते हैं, जिससे डायबिटीज या अन्य मेटाबोलिज्म से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं.
हालांकि लड़कियों में युवावस्था में डायबिटीज टाइप टू होने की वजह से उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ने वाले असर के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है.
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो की मेगान केल्से ने बताया:
“टाइप टू डायबिटीज से पीड़ित लड़कियों में माहवारी संबंधी समस्याओं का पता लगाना जरूरी है. अनियमित पीरियड की वजह से असहनीय दर्द हो सकता है. इससे लिवर में फैट जमने की बीमारी का खतरा, प्रजनन संबंधी समस्याएं और आगे चलकर एंडोमेट्रियल कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है.”मेगान केल्से, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो
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वैज्ञानिकों ने इन नतीजों पर पहुंचने के लिए ट्रीटमेंट ऑप्शन्स फॉर टाइप टू डायबीटिज इन यूथ (टुडे) स्टडी के डेटा का अतिरिक्त विश्लेषण किया. इस स्टडी के लिए ने उन लड़कियों के पीरियड की अनियमितता की फ्रीक्वेंसी का मूल्यांकन किया गया, जिन्हें हाल ही में डायबिटीज की बीमारी हुई है.
रिसर्चर्स ने पाया कि स्टडी में शामिल 20 फीसदी से ज्यादा लड़कियों के पीरियड अनियमित थे. उन लड़कियों में से कई में टेस्टोस्टेरोन का स्तर भी ज्यादा था.
(इनपुट: भाषा)
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