जब हम मासिक धर्म के दौरान दर्द का अनुभव करते हैं, तो हम अक्सर इस दर्द को कम करने के बारे में लिखे आर्टिकल पढ़ते हैं. इनमें बताए तरीके अक्सर जल्दी काम करने वाले लेकिन टेम्परेरी (temporary) समाधान होते हैं.
लेकिन अगली बार उस आइसक्रीम का टब या पिज्जा उठाने से पहले सोचें - क्या यह सिर्फ आपका यूटरस है या आपके आंत का स्वास्थ्य भी, जो आपके हार्मोनल स्वास्थ्य और मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर रहा है?
दोनों अंगों की पूरी तरह से अलग भूमिका होती है तो, वास्तव में हार्मोन और आंत का स्वास्थ्य कैसे जुड़ा हुआ है?
फिट ने डॉ विनीता दिवाकर, कंसल्टेंट- स्त्री रोग, मणिपाल हॉस्पिटल्स, गाजियाबाद, और डॉ. पूंगुजाली लिस्टन, एमएस- स्त्री रोग और एआरटी और आरएम में एडवांस डिप्लोमा, के साथ बात की. ये दोनों विशेषज्ञ इन दोनों चीजों के बीच के संबंध को समझने में हमारी मदद करती हैं और उन्हें मैनेज करने के टिप्स देती हैं.
मासिक धर्म आंतों के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?
सिक्लिकल गट सिम्पटम्स मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान, स्वस्थ महिलाओं और महिलाएं जिन्हें आंत की परेशानियां हैं, जैसे की इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज या सिन्ड्रोम, दोनों में आम है.
"पीरियड्स के दौरान हार्मोन का स्तर बदलता है. पीरियड्स आने से एक हफ्ते पहले, प्रोजेस्टेरोन के स्तर में एक स्पाइक आता है, जो मांसपेशियों को आराम देने का काम करता है. यह कोलन को रिलैक्स कर देता है और आंतों में भोजन के ट्रांजिट (transit) को धीमा कर देता है, जिससे सूजन और कब्ज हो सकता है."डॉ पूंगुजाली लिस्टन
फिर, एस्ट्रोजन का स्तर मासिक धर्म से ठीक पहले गिर जाता है, जो पाचन को धीमा कर सकता है.
पीरियड के दौरान प्रोस्टाग्लैंडीन नामक एक लोकली काम करने वाला हार्मोन जारी होता है.
डॉ पूंगुजाली बताती हैं कि प्रोस्टाग्लैंडिंस न केवल यूटरस को सिकोड़ते हैं, बल्कि उसकी परत को गिराते हैं. यह आंत की स्मूद मांसपेशियों के संकुचन (contract) का कारण भी बनता है, जिससे ऐंठन और दस्त हो सकता है. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में गिरावट दर्द के प्रति संवेदनशीलता भी बढ़ा सकती है.
पीरियड्स के बाद आपका एस्ट्रोजन लेवल फिर से बढ़ने लगता है. इन परिवर्तनों से आपके पाचन तंत्र में ऐंठन हो सकती है और गैस्ट्रिक गतिशीलता बढ़ सकती है. इससे डायरिया हो सकता है.
इंटेस्टाइनल माइक्रोबायोम क्या है? यह हार्मोन को कैसे प्रभावित करता है?
माइक्रोबायोम का अर्थ है, शरीर की विभिन्न नलिकाओं में मौजूद बैक्टीरिया, फंगस और वायरस की दुनिया - मूल रूप से, अच्छी आंत वाले जीव.
डॉ विनीता दिवाकर कहती हैं कि "उनमें से कुछ में एंजाइम बीटा ग्लूकोसेरेब्रोसिडेज का उत्पादन करने की क्षमता होती है - जो निष्क्रिय एस्ट्रोजन को दोबारा सक्रिय कर सकता है."
"एस्ट्रोजन ओवरी द्वारा बनाया जाता है, लिवर द्वारा निष्क्रिय किया जाता है और फिर मल के साथ बाहर निकलने के लिए एक्स्क्रीटरी (excretory) प्रक्रिया में आंत में प्रवेश करता है."डॉ विनीता दिवाकर
रीऐक्टवेटेड एस्ट्रोजन मोलेक्यूल फिर से अवशोषित (absorb) होता है और फिर यह ब्लड सर्कुलेशन में प्रवेश करता है. जब शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है, तो ये मोलेक्यूल ओवरी को प्रभावित करने वाले कन्ट्रोलिंग सिग्नल के बैलन्स को बिगाड़ देते हैं. इससे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है.
यदि संक्षेप में कहा जाए, तो आंतों का माइक्रोबायोटा (microbiota) शरीर में निम्नलिखित प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है:
पोषक तत्वों का पाचन और अवशोषण (absorption)
इम्यून सिस्टम का रेगुलेशन
सूजन का रेगुलेशन
भूख का रेगुलेशन
नर्वस सिस्टम का मॉडुलेशन (modulation)
विटामिन और अमीनो-एसिड का सिंथेसिस
विभिन्न हार्मोनों का नियंत्रण
खराब आंत स्वास्थ्य से कैसे मासिक धर्म के दौरान मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे बदतर हो जाते हैं? यह कितना गंभीर हो सकता है?
विनीता दिवाकर कहती हैं कि ''मस्तिष्क और आंत के स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंध है और यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है.''
यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि यह प्रभाव थोड़े मूड स्विंग से लेकर गंभीर सूइसाइडल टेंडेंसी तक हो सकता है. तो अगर आपको लगता है कि आप में प्रीमेन्स्ट्रुअल सिम्प्टम हैं और मेन्स्ट्रूएशन के दौरान आपके पेट का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है, तो फिर नीचे दिए गए भोजन की सूची ध्यान से पढ़ें जिसमें मेन्स्ट्रूऐशन के दौरान खाने और ना खाने वाले चीजों के बारे में बताया गया है. साथ ही मेंटल रेस्ट के तरीके, जैसे योग और मेडिटेशन, अपनाएं.
मासिक धर्म के दौरान किस प्रकार का भोजन करना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए?
फलों और पत्तेदार हरी सब्जियों के अलावा, मासिक धर्म के दौरान आपको क्या खाना चाहिए:
अदरक
इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो ऐंठन को कम करने में मदद करते हैं. यह मतली को भी कम करता है.
मछली और चिकन
प्रोटीन सामान्य तंदुरुस्ती में मदद करता है. मछली ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर होती है, जिससे मासिक धर्म का दर्द कम हो सकता है और यह पीरियड के दौरान होने वाले मूड स्विंग और डिप्रेशन को कम करने में भी मदद करता है.
लेंटिल और बीन्स
लेंटिल और बीन्स प्रोटीन से भरपूर होते हैं, इसलिए वे शाकाहारियों के लिए अच्छे विकल्प हैं. ये आयरन से भी भरपूर होते हैं.
हल्दी
हल्दी को एंटी-इंफ्लेमेटरी मसाले के रूप में जाना जाता है और यह पीएमएस को कम करता है.
डार्क चॉकलेट
डार्क चॉकलेट आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि मैग्नीशियम प्रीमेंस्ट्रुअल लक्षणों की गंभीरता को कम करता है. यह एंडोर्फिन बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है.
पुदीने की चाय
यह पीरियड से पहले के लक्षणों को शांत कर सकता है और ऐंठन, मतली और दस्त से राहत दिला सकता है.प्रोबायोटिक्स
पेट के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रोबायोटिक्स की आवश्यकता होती है, जो उच्च एस्ट्रोजन के लक्षणों को कम करता है. कई लोगों को पीरियड के दौरान या उसके बाद में यीस्ट इन्फेक्शन हो जाता है. दही जैसे प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ आपके वजाइना में "अच्छे" बैक्टीरिया को बढ़ाकर कर आपको इन्फेक्शन से लड़ने में मदद कर सकते हैं.
किन चीजों से बचें?
नमक
नमक वाटर रिटेंशन का कारण बन सकता है, जिसके कारण ब्लोटिंग हो सकती है. ब्लोटिंग को कम करने के लिए पीरियड्स शुरू होने के एक हफ्ते पहले से नमक का सेवन कम कर दें.
चीनी
अत्यधिक चीनी के सेवन से शुगर रश के बाद क्रैश आ सकता है. इससे मूड और खराब हो सकता है.
मसालेदार भोजन
यह पीरियड्स के लक्षणों, जैसे सूजन, ऐंठन, दस्त और पेट दर्द, को बढ़ा सकते हैं.
कॉफी
कैफीन वाटर रिटेंशन और बलोटिंग का कारण बन सकता है. यह सिरदर्द को भी बढ़ा सकता है जो कि पीरियड्स के दौरान सामान्य परेशानी होती है. अगर आपको पीरियड्स के दौरान दस्त या पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं, तो कॉफी से बचें. जिन लोगों को एक दिन में कई कप कॉफी पीने की आदत होती है, उन्हें पूरी तरह से कॉफी छोड़ने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इससे कैफीन विदड्रॉअल सिरदर्द हो सकता है.
रेड मीट
रेड मीट में प्रोस्टाग्लैंडिंस की मात्रा अधिक होती है, जो मांसपेशियों के संकुचन को बढ़ाता है और ऐंठन को बदतर कर सकता है.अल्कोहल
अल्कोहल डिहाइड्रेशन का कारण बनता है, जो पीरियड्स के दौरान होने वाले सिरदर्द और ब्लोटिंग को और खराब कर सकता है. यह दस्त और मतली को भी बदतर कर सकता है.
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