क्या आप खाने-पीने का सामान खरीदने से पहले उनकी न्युट्रीश्नल वैल्यू चैक करते हैं? अगर नहीं तो आज के बाद से जरूर करिएगा. ऐसा करने की वजह है ये सर्वे.
दी इंडेक्स नाम के सर्वे ने भारत की कंज्यूमर मार्केट में बिकने वाले कुछ भरोसेमंद ब्रैंड्स की जांच की तो पाया कि भारत में बिकने वाले सिर्फ 12% पेय पदार्थ और 16% फूड आइटम ही हाई न्यूट्रिश्नल क्वालिटी के हैं. एक्सैस टू न्यूट्रिश्नल इंडैक्स के मुताबिक भारत में बिकने वाले कुछ ब्रैंड्स ही क्वालिटी न्यूट्रिशन देते हैं. इन ब्रैंड्स में पहले नंबर पर मदर डेयरी है.
क्या है दी इंडैक्स?
दी इंडैक्स एक डच नॉन प्रॉफिट संस्थान है जिसे बिल गेट्स और मेलिंडा गेट्स चलाते हैं. इस संस्थान ने भारत में बिकने वाली 9 कंपनियों के प्रोडक्ट्स की जांच की. सभी कंपनियां ये दावा करती हैं कि वो भारत में कुपोषण को दूर करने में मदद करती हैं. लेकिन जब इन कंपनियों के प्रोडक्टस की जांच की गई तो पाया गया कि ज्यादातर कंपनियां अपने दिये गए पोषण की मात्रा को भी पूरा नहीं कर पाई और फोर्टिफिकेशन टेस्ट में पास नहीं हो पाई.
इंडिया स्पैंड की अप्रैल 2016 की रिपोर्ट की मानें तो भारत में पोषण के मामले में केवल दो ही चैलेंज हैं. पहला बढ़ता कुपोषण और दूसरा मोटापा.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5 साल की उम्र के तकरीबन 38.4% बच्चे अपनी लंबाई की तुलना में कम वजन के हैं. वहीं, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 135 मिलियन लोग मोटापे के शिकार हैं.
एक्सेस टू न्यूट्रिशन इंडैकस के मुताबिक 9 कंपनियों में से मडर डेयरी पहले नंबर पर रही. हिन्दुस्तान यूनिलीवर और ब्रिटानिया दूसरे और तीसरे नंबर पर. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि नेस्ले 7वें नंबर पर है.
वहीं अगर कॉर्पोरेट प्रोफाइल को देखें तो अपनी बेहतरीन पॉलिसिज और प्रैक्टिस के साथ नेस्ले टॉप पर है और हिन्दुस्तान यूनिलीवर दूसरे और पेप्सी नंबर तीन पर है.
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