Delhi Heat Wave Alert: देश के कई हिस्सों में गर्मी का प्रकोप बना हुआ है. दिल्ली-एनसीआर के इलाकों में फिलहाल गर्मी से राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
बढ़ती गर्मी को देखते हुए कुछ दिनों पहले दिल्ली में शिक्षा निदेशालय ने क्षेत्र के सभी स्कूलों के लिए गाइडलाइन्स जारी की गई हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्तर भारत में चल रही गर्मी की लहर के कारण बच्चे प्रभावित न हों.
फिट हिंदी का ये आर्टिकल नए गाइडलाइन्स और बच्चों को गर्मी के प्रकोप से बचाने से जुड़े जरुरी सवालों के एक्सपर्ट जवाब ले कर आया है.
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, दिल्ली के स्कूलों को बच्चों को हीट वेव से बचाने के लिए क्या करना चाहिए?
स्कूलों को दोपहर के समय एसेंबली रखने से बचने के लिए कहा गया है.
जब लू की घोषणा की जाती है, तो स्कूलों को खुले में कक्षाएं नहीं चलानी चाहिए या किसी भी एक्टिविटी के लिए छात्रों को बाहर नहीं रखना चाहिए.
उन्हें फंक्शनल आरओ सिस्टम ( RO system) और स्वच्छ पेयजल तक उचित पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.
स्टूडेंट्स को क्लासेज के बीच में पानी पीने के लिए ब्रेक दिया जाना चाहिए.
स्कूल मैनेजमेंट कमिटी को हीट वेव की स्थिति के बारे में पैरेंट्स को जागरूक करना चाहिए.
इसके अलावा, निदेशालय ने यह भी कहा कि अगर स्कूल में गर्मी से संबंधित कोई हेल्थ प्रॉब्लम सामने आती है, तो उन्हें इसकी सूचना नजदीकी हेल्थ फैसिलिटी को देनी चाहिए. अगर कोई स्टूडेंट गर्मी के कारण ठीक महसूस नहीं करता है, तो स्कूल में फर्स्ट एड किट, ओआरएस की सुविधा मुहैया होनी चाहिए.
गाइडलाइन्स भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की उस चेतावनी के बाद आए हैं कि क्षेत्र में मई में "सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान" देखा जाएगा.
बच्चों को अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए आप क्या प्रिवेंटिव उपाय कर सकते हैं?
"बच्चों को पर्याप्त पानी पिलाने से उनमें गर्मी से संबंधित सभी विकारों को काफी हद तक रोका जा सकता है. यदि हम उन्हें पर्याप्त नमक दे रहे हैं और उन्हें लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में नहीं रख रहे हैं, तो हीट स्ट्रोक जैसी समस्या से हम उन्हें बचा सकते हैं."डॉ. कृष्ण चुघ, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड एचओडी, शिशु रोग, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव
उन्हें पानी, ओआरएस, छाछ, ताजे फलों का रस, नींबू पानी से हाइड्रेटेड रखें.
किसी भी कार्बोनेटेड और शुगर वाले ड्रिंक से बचें.
सुनिश्चित करें कि जब वे बाहर निकलें तो चश्मा, टोपी/कॉटन स्कार्फ पहनें.
हल्के रंग के पतले-हवादार कपड़े पहनें.
बाहर जाते समय छाता लेकर जाएं.
दोपहर के समय जब सूरज अपने चरम पर हो तो बाहर जाने से बचें.
जितना हो सके धूप में निकलने से बचें.
मौसमी फल खाएं.
"बच्चों में गर्मी संबंधी समस्याओं को काफी हद तक रोका जा सकता है. उन्हें पूरी तरह हाइड्रेटेड रखें. उन्हें पर्याप्त नमक दें, विशेष रूप से दोपहर की गर्मी में उन्हें लंबे समय तक बाहर न रखें. अगर बाहर हैं तो बीच-बीच में उन्हें शेड में आराम करने दें."डॉ. कृष्ण चुघ, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड एचओडी, शिशु रोग, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव
गर्मी से होने वाली बीमारी की स्थिति में आपको क्या करना चाहिए?
बच्चा पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं ले रहा है या सूर्य के संपर्क में अधिक है, तो गर्मी से संबंधित तीन तरह की बीमारियां हो सकती हैं.
हीट क्रैम्प
हीट एग्जॉशन
हीट स्ट्रोक
हीट स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसके तहत बाहरी तापमान बढ़ने के कारण शरीर के टेम्परेचर कंट्रोल सिस्टम पर प्रेशर बढ़ जाता है और व्यक्ति अचेत (unconscious) हो सकता है. ऐसा अधिकतर गर्म मौसम के संपर्क में अधिक समय बिताने पर होता है.
ऐसे समझें कि बच्चा गर्मी से बीमार हो गया है?
कोई बच्चा लंबे समय तक धूप में रहता है, उसे पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है और उसमें नीचे बताए गए लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे गर्मी से संबंधित बीमारी हो सकती है.
चक्कर आना
मतली-उल्टी आना
तेजी से सांस लेना
हाई हार्ट रेट
सिर दर्द
पेशाब कम आना
मांसपेशियों में ऐंठन
बेहोशी
"अत्यधिक गर्मी से बच्चों में कई समस्याएं हो सकती हैं. हीट स्ट्रोक निस्संदेह सबसे बुरा है. कई बच्चों में गर्मी से थकावट, मांसपेशियों में ऐंठन, मांसपेशियों में विकार और त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं."डॉ. कृष्ण चुघ, प्रिंसिपल डायरेक्टर एंड एचओडी, शिशु रोग, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव
बच्चे को गर्मी से जुड़ी कोई समस्या हो, तो क्या करना चाहिए?
बच्चे को ठंडी जगह पर ले आएं और छाया में रखें
अतिरिक्त कपड़े हटा दें.
शरीर को गीले कपड़े से पोछें और बच्चे के सिर पर कमरे के तापमान वाला थोड़ा सा पानी डालें.
नींबू पानी जैसे ठंडे तरल पदार्थ दें
लक्षण बने रहें तो नजदीकी मेडिकल एक्सपर्ट से तुरंत सलाह लें.
बहुत अधिक गर्मी से अचानक बहुत अधिक ठंड में जाने से भी बचना चाहिए.
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