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अपने मासिक चक्र से जानें, कब प्रेग्नेंट हो सकती हैं आप 

पीरियड्स की तारीखों से आप खुद जान सकती हैं मां बनने का समय

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प्रेग्नेंसी यानी गर्भावस्था के मायने सिर्फ प्रजनन और स्वस्थ बच्चे को लेकर ही नहीं है बल्कि इसके लिए प्लानिंग करना भी जरूरी है. अगर आप गर्भवती होने की सोच रही हैं, तो वित्तीय और भावनात्मक सिक्योरिटी की योजना बनाने के अलावा, अपने मासिक धर्म चक्र को बारीकी से देखना भी महत्वपूर्ण है. एक शब्द जिसे आपको समझने की जरूरत है,  वो है ओव्यूलेशन.

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ओव्यूलेशन क्या है?

पीरियड्स की तारीखों से आप खुद जान सकती हैं मां बनने का समय
ओव्यूलेशन प्रक्रिया में अंडाशय से अंडाणु रिलीज होता है
(Photo: iStock)

ओव्यूलेशन शब्द में ही प्रेग्नेंसी से संबंधित कई परेशानियों का जवाब है. ओव्यूलेशन एक प्रक्रिया है, जिसमें अंडाशय से अंडाणु रिलीज होता है, जो फैलोपियन ट्यूब में चला जाता है. फिर वो शुक्राणु द्वारा फर्टिलाइजेशन के लिए उपलब्ध रहता है. फर्टिलाइजेशन से जाइगोट (युग्मनज) बनता है, जो आखिरकार गर्भाशय में भ्रूण बन जाता है.

दिलचस्प बात ये है कि महिला के शरीर में अंडाणु सबसे बड़ी कोशिका है और ये बिना माइक्रोस्कोप के भी दिख सकती है.

प्रेगनेंसी को कैसे प्रभावित करता है ओव्यूलेशन?

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अंडाणु के फैलोपियन ट्यूब में जाने के एक या 2 दिन पहले प्रेग्नेंट होने की ज्यादा संभावना होती है
(Photo:iStock)

अंडाणु के फैलोपियन ट्यूब में जाने के एक या 2 दिन पहले प्रेग्नेंट होने की ज्यादा संभावना होती है. वास्तव में, ओव्यूलेशन से पहले 6 दिन के समय में गर्भवती होने की संभावना अधिक रहती है. इन 6 दिनों में ओव्यूलेशन शुरू होने का दिन भी शामिल होता है. इस अवधि में महिलाओं में सेक्सुअल इच्छा बढ़ जाती है.

इसका मतलब ये नहीं है कि ओव्यूलेशन अवधि के बाद महिलाएं गर्भवती नहीं हो सकतीं, महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान भी गर्भवती हो सकती हैं. लेकिन ओव्यूलेशन के आसपास की अवधि में प्रेग्नेंट होने की संभावना ज्यादा होती है.

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कैसे जानें अपने ओव्यूलेशन का समय?

पीरियड्स की तारीखों से आप खुद जान सकती हैं मां बनने का समय
हर महिला का मासिक चक्र अलग होता है
(फोटो: iStock)

आपके पीरियड्स का पहला दिन आपके मासिक धर्म चक्र का पहला दिन होता है. अंतिम दिन अगले पीरियड से पहले का आखिरी दिन होता है. औसत रूप से यदि आपका 28 दिन का मासिक धर्म चक्र है, तो ओव्यूलेशन अगले माहवारी से 14 दिन पहले होता है. हालांकि, यह मासिक चक्र अलग-अलग महिलाओं में बदल सकता है.

ऑस्ट्रेलिया के फर्टिलिटी कोलिशन के मुताबिक ओव्यूलेशन शुरू होने के 3 तीन दिनों में प्रेग्नेंट होने की संभावना करीब 27 से 33 प्रतिशत तक बढ़ जाती है और फिर इसमें गिरावट आने लगती है.

कई महिलाएं, जिनका मासिक चक्र 28-30 दिनों का होता है, उनमें पीरियड्स के 10वें दिन से गर्भ धारण करने की अवधि की शुरुआत होती है. 
डॉ मोनिका वाधवा, सीनियर कसंल्टेंट, ऑब्सट्रेटिक्स और गायनेकोलॉजी विभाग, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा
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अपने मासिक धर्म को ऐसे समझें

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अगर मासिक धर्म चक्र का ध्यान रख कर फैमिली प्लान करेंगी तो सफल होंगी
(Photo:Wikimedia commons)

अगर आपका मासिक धर्म चक्र 28 दिनों का है, तो ओव्यूलेशन 14वें दिन होगा. वहीं गर्भधारण करने की सबसे ज्यादा संभावना 12, 13 और 14वें दिन होगी.

अगर आपका मासिक धर्म चक्र 35 दिनों का है, तो ओव्यूलेशन 21वें दिन होगा. वहीं गर्भधारण करने की सबसे ज्यादा संभावना 19, 20 और 21वें दिन होगी.

अगर आपका मासिक धर्म चक्र 21 दिनों का है, तो ओव्यूलेशन 7वें दिन होगा. वहीं गर्भधारण करने की सबसे ज्यादा संभावना 5, 6 और 7वें दिन होगी.

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ओव्यूलेशन के साथ, कुछ दूसरी बातों पर भी गौर करने की जरूरत है

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अंडरवेट या ओवरवेट होना भी प्रजनन क्षमता के लिए हानिकारक हो सकता है
(फोटो: iStock)

अगर ओव्यूलेशन अवधि जानने के बाद भी गर्भधारण में समस्या होती है, तो इन चीजों को जांचना चाहिए.

1. वजन-अंडरवेट या ओवरवेट होना भी प्रजनन क्षमता के लिए हानिकारक हो सकता है. स्वस्थ शरीर के लिए बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 18 से 24 के बीच होने की सलाह दी जाती है. अगर आप गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं, तो भी यह BMI अनुकूल है.

2009 में किए गए फर्टिलिटी एंड स्टर्लिटी जर्नल के एक अध्ययन में कहा गया कि मोटापे से ग्रस्त महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) होने की अधिक आशंका रहती है, जो बांझपन का एक प्रमुख कारण है.

दूसरी ओर, कम वजन होने से लेप्टिन हार्मोन की कमी हो सकती है, जो भूख को नियंत्रित करता है. साल 2009 में ही हारवर्ड द्वारा किये गए एक और अध्ययन के मुताबिक लेप्टिन की कमी माहवारी में दिक्कत पैदा करती है और प्रजनन क्षमता को कम करती है.

फिट रहना महत्वपूर्ण है, लेकिन फिटनेस को लेकर बहुत ज्यादा उत्साही होना भी अच्छा नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कठिन व्यायाम वास्तव में आपके मासिक चक्र को बाधित कर सकते हैं, जिससे गर्भ धारण में समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

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2. पहले से किसी बीमारी से पीड़ित होना: अपने डॉक्टर से परामर्श लेकर मधुमेह, अस्थमा, थाइरॉयड, मिर्गी जैसी बीमारियों की जांच करवाइये. इस तरह की बीमारियां गर्भधारण को प्रभावित कर सकती हैं.

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्प्रेगनेंसी की प्लानिंग कर रही हैं, तो कुछ टेस्ट कराने जरूरी हैं
(फोटो: iStock)

इसके अलावा यौन संक्रमित बीमारियों की भी जांच करानी चाहिए क्योंकि प्रेग्नेंसी की बात आने पर आपको अपनी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानना जरूरी है.

क्लैमाइडिया और गोनोरिया जैसे यौन संक्रमण सालों बाद भी प्रजनन क्षमता में समस्या पैदा कर सकते हैं. कुछ मामलों में, महिलाएं जब तक प्रेग्नेंट होने की कोशिश नहीं करती, तब तक इस बात से अनजान रहती हैं कि वो इस बीमारी से ग्रसित हैं.

डॉक्टर वाधवा आगे कहती हैं,

आप कुछ बेसिक जांच जैसे हीमोग्लोबिन, शुगर, थाइरॉयड करवा सकती हैं या अपनी स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह से अन्य कोई जांच भी करवा सकती हैं. इसके अलावा, अगर आप बच्चे के लिए प्लान कर रही हैं, तो फॉलिक एसिड टैबलेट खाना भी शुरू करना चाहिए.
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3. तनाव - वैज्ञानिकों ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि तनाव प्रेग्नेंसी से जुड़ा एक निश्चित कारण है या नहीं. हालांकि, मानव प्रजनन पर 2014 के एक अध्ययन के अनुसार शरीर में तनाव से संबंधित रसायनों और गर्भधारण के साथ समस्याओं के बीच एक लिंक है. इसके अतिरिक्त, तनाव से हार्मोन बदलते हैं और इसके परिणामस्वरूप, ओव्यूलेशन में भी बदलाव हो सकता है.

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