कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन तैयार कर रही अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर (Pfizer) और जर्मन बायोटेक फर्म बायोएनटेक (BioNtech) के ट्रायल के अच्छे नतीजे सामने आए हैं. कंपनी की बनाई एक्सपेरिमेंटल कोविड-19 वैक्सीन का पहला क्लीनिकल ट्रायल सफल रहा है. ये वैक्सीन स्वस्थ हो चुके कोरोना मरीजों में इम्यून रिस्पॉन्स (प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया) को बढ़ा रही है. हालांकि, इम्युनिटी बढ़ने के साथ ही कुछ साइड इफेक्ट भी सामने आए हैं.
वैक्सीन के साइड इफेक्ट भी दिखे
medRXiv में छपे ट्रायल डेटा के मुताबिक वैक्सीन की ज्यादा डोज बुखार समेत और साइड इफेक्ट्स का भी कारण बन रही है. फाइजर रिसर्च लैब में वायरल वैक्सीन के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर फिलिप डॉर्मिटजर ने कहा कि दूसरे वैक्सीन कैंडिडेट का ट्रायल भी जारी है. अभी हम सिर्फ इतना ही कह सकते हैं कि वैक्सीन ट्रायल के शुरुआती दौर में बढ़ी इम्युनिटी और सेफ्टी डेटा के आधार पर ये असरदार वैक्सीन साबित होगी.
हालांकि, इस ट्रायल स्टडी का पीयर रिव्यू अभी नहीं किया गया है.
ज्यादा डोज से हुआ बुखार
ट्रायल में शामिल किए 45 मरीजों को वैक्सीन की 3 अलग-अलग डोज और प्लेसीबो दी गईं. मरीजों में 12 को 10 माइक्रोग्राम, 12 को 30 माइक्रोग्राम, 12 को 100 माइक्रोग्राम डोज दी गई. वहीं, 9 मरीजों को प्लेसीबो दिया गया. इनमें उन मरीजों को बुखार की शिकायत सामने आई, जिन्हें 100 माइक्रोग्राम डोज दी गई थी. इसके तीन हफ्ते बाद उन्हें दूसरी डोज दी गई. इसके बाद 10 माइक्रोग्राम डोज वाले 8.3% और 30 माइक्रोग्राम वाले 75% मरीजों को बुखार हो गया.
इसके अलावा ठीक से नींद न आने की भी शिकायत सामने आई.
बता दें, मिल्केन इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 14 COVID-19 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल स्टेज में हैं, जिसमें इनोवियो, कैन्सिनो, एस्ट्राजेनका और मॉडर्ना शामिल हैं. कुल मिलाकर, 178 वैक्सीन डेवलपमेंट के अलग-अलग स्टेज में हैं.
फाइजर और बायोएनटेक वैक्सीन, मॉडर्ना वैक्सीन की तरह, मेसेंजर RNA तकनीक पर आधारित है, जो सेल में पाए जाने वाले एक प्रमुख जेनेटिक मेसेंजर का इस्तेमाल प्रोटीन बनाने के लिए करती है, जो इम्यून सिस्टम को वायरस अटैक से लड़ना सीखाती है. मॉडर्ना ने अभी तक अपने वैक्सीन को लेकर डेटा जारी नहीं किया है, लेकिन जल्द ही ऐसा होने की उम्मीद है.
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