ADVERTISEMENTREMOVE AD

न सिर्फ महाराष्ट्र, पूरे देश में तेजी से पांव पसार रहा है कोरोना

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

पिछले 2 सप्ताह में देश भर में COVID मामलों में लगातार ऊपर की ओर उछाल जिस ओर संकेत कर रही है, वो ये कि हम कोरोना की दूसरी लहर के शुरुआती चरणों में हैं. अब सवाल ये है कि हमें कितना चिंतित होना चाहिए? और हम इसके प्रभाव को कैसे कम कर सकते हैं? फिट ने इसके मद्देनजर एक्सपर्ट्स से बात की.

सबसे पहले, आइए देखें कि आंकड़े क्या कहते हैं.

देश भर में पिछले 24 घंटों (23 मार्च) में कुल 40,715 मामले दर्ज हुए हैं. हालांकि, ये आंकड़े एक दिन पहले के 46,951 मामलों से 13% कम हैं. लेकिन पिछले हफ्ते कुल मिलाकर 2,60,000 नए कोरोना के मामले सामने आए.

समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं. जुलाई 2020 में कोरोना के आंकड़े इसी तरह के थे, जब इसमें लगातार बढ़त हो रही थी और सितंबर में एक दिन में 100,000 नए कोरोना मामलों के साथ ये पीक पर पहुंच गया था.

पिछले साल इस समय, पहली बार 'जनता कर्फ्यू’ की घोषणा 22 मार्च को की गई थी जब भारत में कुल 415 कोरोना के मामले दर्ज किए गए थे और 23 मार्च 2020 को कई राज्यों ने पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
पिछली बार एक दिन में कोरोना के इतने ज्यादा मामले नवंबर में दर्ज किए गए थे. 11 नवंबर, 2020 को कोरोना संक्रमण के नए 47,905 मामले सामने आए थे.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के ताजा डेटा के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 199 मौतें हुई हैं जिनमें सिर्फ महाराष्ट्र से 58 लोग शामिल हैं.

ये सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं हो रहा

महाराष्ट्र में संख्या में बढ़त जारी है, देश के दैनिक मामलों के 60% से ज्यादा मामले महाराष्ट्र से हैं. 23 मार्च को, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 24,645 (60.53%) दैनिक मामले दर्ज हुए. कुल एक्टिव मामलों की संख्या 216540 पर पहुंच गई.

वहीं रविवार को, सिर्फ मुंबई से ही 3775 केस मिले - मार्च 2020 में शहर में महामारी की शुरुआत के बाद से ये एक दिन में रिपोर्ट की गई सबसे बड़ी संख्या थी.

महाराष्ट्र से लगातार आ रहे बड़े आंकड़े हमारी सामूहिक चिंताओं का केंद्र रहे हैं, लेकिन अन्य राज्यों में दिख रही लगातार बढ़त इस बात का प्रमाण है कि ये सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं है.

फिट पर पहले छपे एक लेख में, डॉ स्वप्निल पारिख ने कहा था, "ये सिर्फ महाराष्ट्र के लिए चिंता करने की बात नहीं है, हम एक ऐसी स्थिति को देख रहे हैं जो पूरे देश को प्रभावित करेगा क्योंकि भारत में तंग सीमाएं नहीं हैं."

15 से 22 मार्च के बीच कोविड से सबसे बुरे तरीके से प्रभावित राज्यों में दर्ज मामले

21 से 22 मार्च के बीच महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश से देश भर के 83% नए मामले सामने आए.

मार्च 2021 की शुरुआत में, दिल्ली में कोरोना के मामलों में गिरावट देखी गई थी. स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने तो ये तक कह दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी में COVID-19 'एंडेमिक फेज' के नजदीक है. जबकि ताजा आंकड़े इशारा करते हैं कि महामारी अभी खत्म होने से दूर है.

पिछले सप्ताह, खास तौर से दिल्ली में मामलों में तेजी से बढ़त देखी गई, दैनिक मामले 15 मार्च (407 ताजा मामले) और 22 मार्च (825 ताजा मामले) के बीच दोगुने हो गए.

देश का दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य पंजाब में 22 मार्च को 2644 नए मामलों के साथ लगातार चोथे दिन 2000 से अधिक मामले रिपोर्ट किए गए. चंडीगढ़ प्रशासन ने इस उछाल के बीच सभी स्कूलों को 31 मार्च तक बंद रखने की घोषणा की. उत्तर प्रदेश में कक्षा 8 तक के लिए स्कूल 31 मार्च तक बंद रहेंगे. यूपी में फिलहाल 3396 कोरोना के एक्टिव मामले हैं. दोनों शहरों ने होली के त्योहारों को लेकर भी अंकुश लगाए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आंकड़े हमें क्या बता रहे हैं?

मुंबई में इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट और ‘The Coronavirus: What You Need to Know About the Global Pandemic’ किताब के लेखक डॉ स्वप्निल पारिख कहते हैं- "इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये दूसरी लहर है."

“इस बार ऐसा लग रहा है कि ट्रांसमिसिबिलिटी बढ़ गई है. हालांकि, मृत्यु दर और अस्पताल में भर्ती होने की दर अभी बहुत अधिक नहीं है, लेकिन मामलों में वृद्धि की दर चिंताजनक है”- उन्होंने कहा.

वो आगे व्याख्या करते हैं कि ये समय के अंतराल की बात है कि कैसे वायरस पहले फैलता है और फिर इसके गंभीर परिणाम उभरने लगते हैं और हफ्तों पहले लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की शुरुआत होती है, और यहां तक कि मौतें भी होती हैं.

वे कहते हैं- "शुरुआती संकेत हमेशा संख्या में शुरुआती बढ़त होती है. हम दूसरे देशों में भी इसे देख चुके हैं."

डॉ. पारिख एक और चिंता पर बात करते हैं कि कैसे ज्यादा मामले उन क्षेत्रों में रिपोर्ट किए जा रहे हैं जहां उच्च सीरोप्रिवलेंस है और युवा लोगों के संक्रमित होने के उदाहरण ज्यादा हैं.

“इस समय अस्पतालों में भर्ती होने और मृत्यु दर में बढ़त की दर के आधार पर जो शुरुआती संकेत मिल रहे हैं वो ये है कि ये (दूसरी लहर) बदतर है.”
डॉ स्वप्निल पारिख
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वो कहते हैं, "हमें पीक पर पहुंचने से कुछ हफ्ते पहले वैक्सीनेशन बढ़ाना होगा."

वैक्सीन को काम करने में कुछ सप्ताह लगते हैं और व्यक्ति दूसरी डोज के बाद ही पूरी तरह से सुरक्षित हो पाता है. “इसलिए अगर हम आज भी वैक्सीनेशन बढ़ाते हैं, तो लोगों को 2-3 हफ्तों तक सुरक्षा नहीं मिलेगी और 3 सप्ताह तक हम एक आपदा का सामना कर सकते हैं.”

इसके अलावा अगर हम अन्य प्राथमिक निवारक उपायों का पालन नहीं करते हैं तो सिर्फ वैक्सीन से मदद नहीं मिलने वाली है.

उन्होंने कहा, "अच्छी बात ये है कि इस बार हमारे स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षित रहेंगे."

डॉ रे क्लस्टर क्षेत्रों को पहचानने और अलग करने और उन पर ध्यान केंद्रित करने की बात करते हैं.

एक अन्य महत्वपूर्ण कारक जिसपर नजर रखने की जरूरत है वो है जीनोमिक म्यूटेशन- “ये देखने के लिए कि कौन सा म्यूटेशन डॉमिनेटिंग है, हमें म्यूटेशन में जीनोमिक सीक्वेंस पर नजर रखना होगा.”

और निश्चित रूप से, हमें कोविड नियमों का पालन अब पहले से कहीं ज्यादा सजगता से करने की जरूरत है. वैक्सीन के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंगऔर मास्क बेहद जरूरी है.

(- IANS से इनपुट के साथ)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×