विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी को है और इससे पहले, कैंसर विशेषज्ञों ने कहा है कि कैंसर के मरीज भी कोविड-19 वैक्सीन ले सकते हैं, लेकिन चिकित्सकों की देखरेख में.
उन्होंने कहा कि वैक्सीन ट्रायल में कुछ कैंसर रोगियों को भी शामिल किया गया था. कई स्टडीज के मुताबिक ये टीके कैंसर के रोगियों के लिए सुरक्षित हैं.
ऐसे समय में, जब भारत सहित कई देशों ने कोविड टीकाकरण अभियान शुरू किया है, कैंसर के रोगी यह सुनने के लिए इंतजार में हैं कि क्या वे भी वैक्सीन लगवा सकते हैं?
डॉक्टरों ने कहा कि यह समन्वित वैश्विक टीकाकरण कार्यक्रम के साथ सुरक्षित और प्रभावी टीके के साथ ही किया जा सकता है.
दुनियाभर में विकसित किए जा रहे 200 से अधिक टीकों में से तीन का भारत में स्वदेशी उत्पादन किया जा रहा है. इन सभी टीकों का उद्देश्य SARS-CoV-2 संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा देना है.
कोविड-19 टीकों की प्रभावकारिता भी घातक बीमारी (ट्यूमर प्रकार, रोग सीमा, आंतरिक या चिकित्सा-प्रेरित इम्यून सप्रेशन) के अलग-अलग संदर्भों वाले रोगियों में अलग-अलग हो सकती है.
डॉक्टरों के अनुसार, टीकाकरण का फायदा यह है कि यह जोखिमों से उबार लेता है.
किम्स अस्पताल के सलाहकार सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और रोबोटिक सर्जन, अजय चाणक्य वल्लभानेनी ने आईएएनएस से कहा, "चूंकि कैंसर रोगियों में वैक्सीन की प्रभावकारिता और प्रतिरक्षा की अवधि अभी भी अज्ञात और अस्पष्ट है, इसलिए वैक्सीन लगने के बाद ऐसे रोगियों पर निगरानी रखने का सुझाव दिया जाता है."
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इंसान के शरीर में बढ़ती कैंसर कोशिकाएं इम्यून सिस्टम को कमजोरी करती हैं और मरीज में कोरोना जैसे संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है.
डॉक्टरों का मानना है कि टीकाकरण का समय व्यक्तिगत चिकित्सा परिदृश्यों पर निर्भर करता है और आदर्श रूप से सिस्टेमैटिक थेरेपी शुरू होने के पहले किया जा सकता है. लेकिन अगर मरीज की सिस्टेमैटिक थेरेपी पहले ही शुरू हो चुकी है, तो उस दौरान भी वैक्सीन दी जा सकती है.
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