उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के ताजे रुझान से पता चलता है कि पश्चिमी हिस्से की तुलना में राज्य के पूर्वी हिस्सों में कोरोना वायरस का संक्रमण ज्यादा है यानी यहां औसत से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं.
केस पॉजिटिविटी रेट (CPR) या जांच में संक्रमित निकलने वाले लोगों की संख्या के अनुसार, यह पांच प्रतिशत की सीमा के आसपास है.
जिलेवार आकलन से पता चलता है कि सबसे ज्यादा केस पॉजिटिविटी रेट वाले 10 में से 7 जिले उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से में हैं.
गोरखपुर में केस पॉजिटिविटी रेट सबसे ज्यादा
गोरखपुर 13.9 प्रतिशत मामलों के साथ शीर्ष पर है. उसके बाद देवरिया (11), महराजगंज (9.2), कुशीनगर (8.9), प्रयागराज (7.8), वाराणसी (7.7) और आजमगढ़ (7.0) हैं.
शीर्ष 10 अन्य जिलों में लखनऊ (10.5), कानपुर (13.7) और सीतापुर (7.3) शामिल हैं, जो मध्य उत्तर प्रदेश में हैं.
मेरठ मंडल के छह जिलों- गाजियाबाद (4.4), गौतम बुद्ध नगर (4.1), मेरठ (2.7), हापुड़ (1.5), बुलंदशहर (1.3) और बागपत (0.7) में औसत CPR 2.4 प्रतिशत पाया गया, जो राज्य और राष्ट्रीय औसत से कम था.
पहले चरण में बड़े पैमाने पर कोविड-19 मामलों को देखने वाले आगरा में अब 2.0 प्रतिशत केस पॉजिटिविटी रेट है.
केस पॉजिटिविटी रेट का 3%-5% की सीमा में होना अच्छा
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) दस्तावेजों का हवाला देने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, 3 प्रतिशत से कम और 12 प्रतिशत से अधिक की सीपीआर अपर्याप्त परीक्षण करने का परिणाम थी और स्थिति का सूक्ष्म मूल्यांकन करने के लिए कहा गया. 3-5 प्रतिशत की सीमा में सीपीआर को स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा अच्छा माना गया.
उत्तर प्रदेश के 33 जिले इस श्रेणी के हैं.
22 जिलों में, सीपीआर राज्य के औसत 4.8 प्रतिशत से अधिक है, जबकि 25 जिलों में यह 3 प्रतिशत से नीचे है.
उत्तर प्रदेश के सीपीआर के बारे में अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अमित मोहन प्रसाद ने कहा, "मामलों में वृद्धि के बावजूद, उत्तर प्रदेश का सीपीआर सुरक्षित जोन में बना हुआ है. यह मुख्य रूप से हमारे द्वारा टेस्टिंग पर जोर देने के कारण है. इसके अलावा, हम स्थिति पर बेहतर नियंत्रण के लिए लगातार अपनी रणनीति में सुधार कर रहे हैं ताकि कम से कम लोगों की मौत हो."
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