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क्या हर 15 मिनट पर पानी पीकर आप नए कोरोनावायरस से बच सकते हैं?

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पिछले साल दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में एक अनजान वायरस के फैलने की खबरें आईं, संक्रमित लोगों में निमोनिया जैसे लक्षण नजर आ रहे थे. कुछ ही दिनों में ये पता लगा लिया गया कि ये एक नए तरह का कोरोनावायरस है, जो सर्दी-खांसी-जुकाम से लेकर फेफड़ों में गंभीर क्षति की वजह बन सकता है.

इस वायरस को नोवल कोरोनावायरस कहा गया है और इसके मामले बढ़ते गए, खासकर चीन के हुबेई प्रांत में रहने वाले या वहां की यात्रा करने वाले ज्यादातर लोग इससे संक्रमित हुए. अब हालात ये हैं कि दुनिया भर के 123 से ज्यादा देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं.

चूंकि ये वायरस बिल्कुल नया है, इसलिए इसे लेकर तमाम गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं. कई फेक न्यूज के बारे में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने जानकारी दी और स्पष्ट किया कि ऐसे दावे सही नहीं हैं.

हाल में हमारे पास एक और मैसेज आया, जिसमें कोरोनावायरस से संक्रमण की पहचान, इलाज और बचाव को लेकर कुछ दावे किए गए हैं.

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वायरल मैसेज में क्या लिखा है?

इस मैसेज में लिखा है:

नए कोरोनावायरस से संक्रमण के बाद काफी दिनों तक इसके लक्षण सामने नहीं आ सकते हैं. जब तक संक्रमित शख्स में बुखार या खांसी जैसे लक्षण नजर आते हैं, तब तक काफी देर हो गई रहती है और फेफड़ों में फाइब्रोसिस की समस्या आ चुकी रहती है.

ताइवान के विशेषज्ञों ने खुद से इस संक्रमण की पहचान का तरीका बताया है, जिसे हर सुबह किया जा सकता है:

गहरी सांस लें और इसे 10 सेकेंड के लिए रोकें. अगर आप बिना खांसे, बिना किसी तकलीफ या भारीपन के ऐसा कर सकते हैं, तो इससे ये साबित होता है कि फेफड़ों में कोई फाइब्रोसिस नहीं है और इससे ये भी पता चलता है कि आपको कोई इंफेक्शन नहीं है.

इसके अलावा इसी वायरल मैसेज में जापान के डॉक्टरों का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस बात का ख्याल रखें कि आपका मुंह और गला कभी सूखने न पाए, इसके लिए कम से कम हर 15 मिनट पर एक-एक घूंट पानी पीते रहें. ऐसा करने की वजह बताई जा रही है कि अगर वायरस आपके मुंह में हों, तो ऐसे में पानी पीने से वायरस पेट में चले जाएंगे और फिर पेट में पाए जाने वाले एसिड से ये वायरस मर जाएंगे. अगर आप रोजाना पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं, तो ये वायरस आपकी सांस की नली और फेफड़ों में जा सकते हैं.

सही या गलत?

हमने इसी मैसेज को एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया, आर्टेमिस हॉस्पिटल में मेडिकल सर्विसेज के चीफ और चेयरपर्सन डॉ सुमित रे और मैक्स सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत में सीनियर कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ अश्विनी सेतिया को भेजा.

तीनों ही विशेषज्ञों ने इस मैसेज में किए जा रहे तमाम दावों को गलत और भ्रामक बताया है.

हम आपको एक-एक कर इन्हें समझाते हैं.

क्या काफी दिनों तक सामने नहीं आते नए कोरोनावायरस से संक्रमण के लक्षण?

ऐसा पाया गया है कि नए कोरोनावायरस वायरस से संक्रमण के 2 से 10 दिनों बाद लोग बीमार पड़े या उनमें बुखार जैसे लक्षण नजर आए.

डॉ सेतिया बताते हैं कि किसी भी संक्रमण में (वायरस, बैक्टीरिया या कोई अन्य कीटाणु, जो शरीर में आते हैं) जब तक लक्षण नजर नहीं आते, उसे इन्क्यूबेशन पीरियड कहते हैं, जो एक या दो हफ्ते का हो सकता है.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक ऐसा भी हो सकता है कि कुछ लोग इस नए कोरोनावायरस से संक्रमित होने के बाद भी बीमार न पड़ें और उनमें कोई लक्षण सामने न आए.

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फेफड़ों की फाइब्रोसिस और नोवेल कोरोनावायरस: क्या है कनेक्शन?

डॉ सुमित रे बताते हैं, "कोरोनावायरस डिजीज 2019 (COVID-19) से पीड़ित मरीजों में से कुछ ही प्रतिशत लोगों के फेफड़ों में गंभीर क्षति हो सकती है, जिसे एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS) कहते हैं, इनमें से भी एक निश्चित प्रतिशत में ही किसी को फाइब्रोसिस होगा."

इस मैसेज में फाइब्रोसिस और कोरोनावायरस इंफेक्शन का पता लगाने के लिए सांस रोकने का जो तरीका बताया गया है, विशेषज्ञ इससे इनकार करते हैं.

डॉ सुमित रे कहते हैं:

फाइब्रोसिस चेक करने की इस मैसेज में बताई गई तकनीक काम नहीं करती. फाइब्रोसिस का पता सीटी स्कैन के जरिए लगाया जा सकता है.

वहीं WHO ने अपने एक वीडियो में बताया है कि आप नोवेल कोरोनावायरस से संक्रमित हैं या नहीं, ये पता करने के लिए PCR (polymerase chain reaction) टेस्ट किया जाता है. इस टेस्ट में वायरस की पहचान उसके जेनेटिक फिंगरप्रिंट से की जाती है.

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क्या गला तर करते रहने से नहीं होगा नए कोरोनावायरस का खतरा?

डॉ रे ने हमें बताया कि संक्रमण को रोकने की कथित जापानी तरीका बिना किसी वैज्ञानिक तर्क के है.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन या किसी भी पब्लिक हेल्थ अथॉरिटी की ओर से ऐसी कोई एडवाइजरी नहीं दी गई है कि गला सूखने से आपको नए कोरोनावायरस का ज्यादा खतरा हो.

डॉ अश्विनी सेतिया के मुताबिक इस तरह की कोई स्टडी नहीं है कि हर 15 मिनट पर पानी पीते रहने से किसी को नए कोरोनावायरस से संक्रमण का खतरा नहीं होगा या फिर पेट का एसिड इस वायरस को मार देगा.

हमारे पेट में पाए जाने वाला एसिड अपने आप में फर्स्ड लाइन ऑफ डिफेंस है, जो बहुत सारे कीटाणुओं को मार देता है, लेकिन कुछ कीटाणुओं पर एसिड का कोई असर नहीं होता. अगर सारे वायरस या दूसरे कीटाणु पेट के एसिड से मर जाते तो हेपेटाइटिस A, हेपेटाइटिस E या डायरिया जैसे रोग किसी को होते ही नहीं.
डॉ सेतिया

जहां तक पर्याप्त पानी पीने की बात है, इस पर डॉ रे और डॉ सेतिया दोनों ही कहते हैं कि पानी की कमी न होने देना वैसे भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. डॉक्टरों के मुताबिक इंफेक्शन के मामलों में डिहाइड्रेशन हो जाता है, जिसके कारण शरीर की संक्रमण से लड़ने और किसी अंग की क्षति को रोकने की क्षमता कम हो जाती है. इसलिए पर्याप्त पानी पीने में कोई बुराई नहीं है.

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COVID-19 से बचने के लिए क्या करें?

कोरोनावायरस डिजीज 2019 से बचने के लिए हाथ और रेस्पिरेटरी हाइजीन बनाए रखने, खांसी, छींक और सांस से जुड़ी दूसरी बीमारियों के लक्षण वाले मरीजों के निकट संपर्क से बचने और जिन जगहों पर इसके मामले सामने आ रहे हैं, वहां की यात्रा न करने की सलाह दी जा रही है.

वहीं बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई होने पर आपको चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए ताकि किसी गंभीर संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके.

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