इस समिति ने बाल चिकित्सा सुविधाओं की कमी के बारे में भी चेतावनी दी है और अधिक जोखिम वाले बच्चों के लिए बेहतर तैयारी की मांग की है.
रिपोर्ट का शीर्षक 'थर्ड वेव प्रिपेयर्डनेस: चिल्ड्रन वल्नरेबिलिटी एंड रिकवरी' ('Third Wave Preparedness: Children Vulnerability and Recovery') है और इसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजैस्टर मैनेजमेंट (NIDM) ने तैयार किया है.
NIDM की रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत में COVID-19 की दूसरी लहर और सामने आई चुनौतियां खतरनाक रही हैं और तत्काल, छोटे और मध्यम से लंबी अवधि की प्राथमिकताओं के साथ सभी स्तरों पर मजबूत नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत है."
रिपोर्ट पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) को सौंप दी गई है.
समिति ने बड़ी संख्या में बच्चों के प्रभावित होने की स्थिति में बाल चिकित्सा सुविधाओं की कमी का भी जिक्र किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, "बड़ी संख्या में बच्चों के संक्रमित होने की संभावित स्थिति से निपटने के लिए बाल चिकित्सा सुविधाएं - डॉक्टर, कर्मचारी, वेंटिलेटर, एम्बुलेंस आदि पर्याप्त नहीं हैं."
विशेषज्ञों ने पहले से किसी बीमारी वाले बच्चों और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए टीकाकरण को प्राथमिकता देने का भी सुझाव दिया है.
रिपोर्ट में कहा गया है, "सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार घबराने की जरूरत नहीं हैं, लेकिन चिंता का कारण ये है कि भारत में 18 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है."
भारत में 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए Zydus Cadila के ZyCoV-D वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई है, लेकिन वैक्सीन अभी लगनी शुरू नहीं हुई है.
चेतावनी के संकेत
NIDM की रिपोर्ट दो संकेतों पर प्रकाश डालती है, जो तीसरी लहर की शुरुआत की भविष्यवाणी करते हैं-
नए मामलों के घटने की दर में सुस्ती
R-वैल्यू में वृद्धि
रिपोर्ट में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार नए मामलों की गिरावट की दर में मंदी और सकारात्मकता दर में मामूली वृद्धि का उल्लेख किया गया है.
यह भी बताया गया है कि COVID-19 के रिप्रोडक्शन नंबर R-वैल्यू में वृद्धि हुई है, जो कि जुलाई के अंतिम कुछ दिनों में 0.96 से 1 हो गया.
कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर विशेषज्ञों की प्रमुख सिफारिशें
छोटे बच्चों और पहले से किसी बीमारी वाले बच्चों का टीकाकरण अब आगे की प्राथमिकता होनी चाहिए.
बाल चिकित्सा क्षमताओं में तत्काल वृद्धि और बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को प्राथमिकता देना.
एक समग्र होम केयर मॉडल.
कोविड वार्डों को इस तरह तैयार किया जाना चाहिए कि संक्रमित बच्चों के अभिभावक उनके साथ सुरक्षित रूप से रह सकें.
जागरुकता कार्यक्रम जो लोगों को यह समझाते हैं कि बच्चे वयस्कों से अलग हैं और उनकी जरूरतें अलग हैं.
शिक्षकों और अभिभावकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि अगर कोई बच्चा संक्रमित हो तो क्या करें.
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