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पीने के पानी में माइक्रोप्लास्टिक! क्या परेशान होने की जरूरत नहीं?

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Health News
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माइक्रोप्लास्टिक सिर्फ नदियों और समुद्र में मौजूद नहीं है बल्कि ये किस तरह हमारे खाने के नमक, नल के पानी और पीने के पानी में मौजूद है, इसे लेकर कई रिपोर्ट्स सामने आ चुके हैं.

साल 2017 में Orb Media की ओर से की गई एक स्टडी के मुताबिक दुनिया भर से लिए गए टैप वॉटर सैंपल में 83 फीसदी पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स पाया गया था. भारत इस मामले में तीसरे नंबर पर था, जहां का 82.4 फीसदी टैप वॉटर दूषित पाया गया.

हालांकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक नई रिपोर्ट बताती है कि माइक्रोप्लास्टिक को लेकर चिंता करने के लिए अभी पर्याप्त कारण नहीं हैं.

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माइक्रोप्लास्टिक बेहद सूक्ष्म कण होते हैं, ये 5 मिलीमीटर से भी छोटे होते हैं.

यूएन की इस रिपोर्ट में WHO के डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक हेल्थ की डायरेक्टर डॉ मारिया नीरा के हवाले से कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक को लेकर हमारे पास मौजूद सीमित जानकारी के आधार पर पानी में माइक्रोप्लास्टिक का जो लेवल है, उससे हेल्थ को कोई रिस्क नजर नहीं आता. हालांकि हमें इस बारे में और पता लगाने की जरूरत है.

माइक्रोप्लास्टिक का हमारी सेहत पर क्या असर पड़ता है, इस बारे में जल्द से जल्द ज्यादा जानकारी जुटाने की जरूरत है क्योंकि ये सभी जगह है, यहां तक कि हमारे पीने के पानी में भी. 
डॉ मारिया नीरा, डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक हेल्थ, WHO

इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 150 माइक्रोमीटर (एक माइक्रोमीटर एक मीटर का दस लाखवां हिस्सा होता है) से बड़े माइक्रोप्लास्टिक इंसानों के शरीर में अवशोषित नहीं होते.

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क्या है माइक्रोप्लास्टिक?

Orb Media की एक दूसरी रिपोर्ट में पाया गया था कि कई ब्रांड्स का बोतलबंद पानी 90 फीसदी तक माइक्रोप्लास्टिक से दूषित था, जिसे सेहत को नुकसान हो सकता है.

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