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स्टीम थेरेपी: साइनस में राहत से स्किन केयर तक, भाप लेने के फायदे

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Health News
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सर्दी-जुकाम, नाक बंद होते ही पानी का भाप लेना सबसे सही उपाय माना जाता है. इसे स्टीम थेरेपी, स्टीम इलहेलेशन थेरेपी भी कहा जाता है. ये वो घरेलू नुस्खा है जिसे आसानी से आजमाया जा सकता है.

लेकिन सिर्फ जुकाम ही नहीं, इससे अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों में भी राहत मिलती है. हम इस बारे में बात करें उससे पहले जानिए-

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स्टीम थेरेपी कैसे काम करती है?

स्टीम थेरेपी में गर्म, नम हवा/भाप जब नजल पैसेज(nasal passages) यानी नाक के रास्ते, गले और फेफड़ों से होकर गुजरती है तो वहां जमे बलगम(Cough) को ढीला कर देती है. ये आपके नजल पैसेज में सूजन, सूजी हुई खून की नलियों को भी राहत पहुंचाती है.

ये जानना जरूरी है कि स्टीम थेरेपी कोई इलाज नहीं है. ये किसी संक्रमण जैसे सर्दी या फ्लू का इलाज नहीं करता है, न ही किसी वायरस को खत्म करता है, बल्कि आपके शरीर को उससे लड़ने के दौरान बेहतर महसूस कराने में मदद कर सकता है.

साइनस में आराम

भाप लेने से साइनस में आराम मिलता है और सांस लेना थोड़ा आसान होता है. ये आपकी नाक में जकड़न, बहती नाक और छींक से राहत देता है.

भाप लेने से बलगम का सही स्राव होता है और आपको नाक की जकड़न से छुटकारा मिलता है, जिससे सिरदर्द को कम करने में मदद मिलती है. ये आपके म्यूकस मेम्ब्रेन को आराम पहुंचाता है और नाक को सही नमी मिलने से ब्लॉकेज कम हो जाता है. ये सब मिलकर साइनस से जुड़े दर्द को कम करता है.

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टॉक्सिन्स हटाए

गर्म भाप से पसीना निकलता है, जो शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स(Toxins) विषाक्त पदार्थों और वेस्ट प्रोडक्ट- जो आपकी इम्युनिटी को प्रभावित कर सकते हैं, उन्हें निकालने में मदद करता है. इसके अलावा, स्टीम थेरेपी शरीर में हाइपोथर्मिया की एक अवस्था को उकसाने में मदद करता है जिससे शरीर में वायरस, बैक्टीरिया और अन्य विषाक्त पदार्थों का सर्वाइवल मुश्किल होता है.

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त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार

स्टीम थेरेपी के दौरान पसीना निकलने और स्किन पोर्स में जमी डेड स्किन सेल्स, बैक्टीरिया और गंदगी से छुटकारा पाने में मदद मिलती है. ये मुंहासे, ब्लैकहेड्स को कम करता है. साथ ही, ये त्वचा की सतह तक ब्लड सर्कुलेशन में सुधार लाकर इसे स्वस्थ और चमकदार बनाता है. ये आपके स्कैल्प में भी खून के प्रवाह को बढ़ाता है, बालों की इलैस्टिसीटी(elasticity) में सुधार और सीबम प्रोडक्शन को कंट्रोल करके फायदा पहुंचाता है.

इनके अलावा इन्फ्लुएंजा, ब्रोंकाइटिस, सांस की एलर्जी, छाती की जकड़न, गले के दर्द, नाक का सूखापन दूर करने में स्टीम थेरेपी से मदद मिलती है. 
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स्टीम थेरेपी के वक्त इन बातों का रखें ख्याल

किसी भी घरेलू उपाय को अपनाने से पहले, आपके लिए इसके इस्तेमाल का सही तरीका सीखना जरूरी है ताकि आप इस प्रक्रिया में खुद को चोट या नुकसान न पहुंचाएं. सबसे ज्यादा खतरा गर्म पानी से जलने का होता है, इसलिए इसे हैंडल करते समय अतिरिक्त सावधानी जरूरी है.

आप ऑनलाइन या मार्केट से इलेक्ट्रिक स्टीम इनहेलर (जिसे वेपोराइजर(vaporizer) भी कहा जाता है) खरीद सकते हैं. इसमें इंडिकेट किए गए लेवल तक पानी भरने की जरूरत होती है. वेपोराइजर बिजली से मशीन से बाहर निकलने से पहले ठंडा होने वाला वाष्प(Vapour) तैयार करता है. कुछ वेपोराइजर मास्क के साथ आते हैं जो आपके मुंह और नाक के चारों ओर फिट हो सकते हैं.

इलेक्ट्रिक स्टीम इनहेलर
(फोटो: iStock)

हालांकि, ये स्टीम वेपोराइजर जल्दी गंदे हो सकते हैं, इसलिए आपको बैक्टीरिया और फंगल ग्रोथ को रोकने के लिए इसे हमेशा साफ करते रहना चाहिए.

इसके अलावा ध्यान रखें कि-

  • एक बार में 10 से 15 मिनट से ज्यादा समय तक भाप न लें. जुकाम होने पर लक्षणों के हिसाब से आप इसे दिन में 2-3 बार ले सकते हैं.
  • हमारी नाक और गले के अंदर मौजूद म्यूकस लाइनिंग काफी नाजुक होती है और ज्यादा गर्म भाप उन्हें क्षति पहुंचा सकता है.
  • बार-बार भाप लेने के लिए एक ही पानी का इस्तेमाल करने से शरीर में बैक्टीरिया के संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.
  • अगर आप स्टीम थेरेपी का इस्तेमाल करने से किसी भी असुविधा, दर्द या जलन का अनुभव करते हैं, तो इसे रोक दें.
  • अपनी आंखों को भाप के संपर्क में आने से बचाएं. आपकी आंखें बंद और भाप से दूर होनी चाहिए.

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