ADVERTISEMENTREMOVE AD

केरल में जीका वायरस के मामले, जानिए क्या हैं इसके लक्षण

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

COVID-19 महामारी के बीच केरल में जीका वायरस (Zika virus) के मामले भी सामने आए हैं. केरल के तिरुवनंतपुरम में जीका वायरस के कुल 13 मामलों का पता चला है.

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने गुरुवार 8 जुलाई को कहा कि राज्य में जीका वायरस के मामलों का पता चला है.

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "यह पहली बार है कि केरल में जीका वायरस की सूचना मिली है. राज्य की राजधानी जिले के एक अस्पताल में पिछले महीने 24 वर्षीय गर्भवती महिला को बुखार, सिरदर्द और चकत्ते के साथ रिपोर्ट किया गया था. पहले रिजल्ट में जीका वायरस के माइल्ड पॉजिटिव संकेत दिखे और बाद में जांचे गए 19 सैंपल में से 13 सैंपल को भी जीका पॉजिटिव पाया गया. सभी सैंपल अब एनआईवी, पुणे भेजे गए हैं."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

केरल में जीका के मामले, अलर्ट कर दिए गए हैं सभी जिले

जॉर्ज ने कहा,

"स्वास्थ्य विभाग और जिला अधिकारियों ने एडीज प्रजाति के मच्छरों के सैंपल कलेक्ट किए हैं, जिनके काटने से लोग जीका वायरस से संक्रमित होते हैं. सभी जिलों को इसके बारे में सतर्क कर दिया गया है और जरूरी उपाय शुरू कर दिए गए हैं."

जीका वायरस गर्भवती महिलाओं के लिए जटिलताएं पैदा कर सकता है. जीका वायरस संक्रमण कैसे होता है, इसके क्या लक्षण दिखते हैं, इसका इलाज कैसे होता है? जानिए यहां.

जीका वायरस संक्रमण के बारे में

कैसे फैलता है जीका वायरस?

यह मुख्य रूप से एडीज प्रजातियों के संक्रमित मच्छर के काटने से होता है. ये वही प्रजाति है, जिसके काटने से डेंगू होता है.

ये वायरस कितने समय तक शरीर में रह सकता है?

संक्रमित होने पर जीका वायरस आमतौर पर एक हफ्ते तक एक संक्रमित व्यक्ति के खून में रहता है.

जीका के लक्षण क्या हैं?

याद रखें कि ये कोई जानलेवा बीमारी नहीं है. आमतौर पर 5 संक्रमित लोगों में से 1 में इसके लक्षण दिखते हैं.

आम लक्षणों में बुखार, चकत्ते, जोड़ों में दर्द या आंखों का लाल होना शामिल है.

आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 2 से 7 दिन बाद इसके लक्षण दिखने शुरू होते हैं. ज्यादातर लोगों को इंफेक्शन के बाद भी भर्ती होने की जरूरत नहीं होती और इस वायरस के कारण मौत होने की आशंका न के बराबर होती है.

फिर जीका को लेकर डर क्यों?

जीका दशकों से है. लेकिन दक्षिण और मध्य अमेरिका में पैदा होने वाले ऐसे नवजातों की संख्या बढ़ी है, जिनकी खोपड़ी छोटी होती है, इस कंडिशन को 'माइक्रोसिफेली' कहा जाता है.

ऐसी आशंका जताई गई है कि जीका वायरस से संक्रमित गर्भवती महिलाएं असामान्य रूप से छोटे सिर वाले बच्चों को जन्म दे रही हैं, जिससे दुनियाभर में जीका को लेकर डर के हालत बन गए हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जीका का इलाज क्‍या है?

इस वायरस को लेकर कोई विशेष इलाज नहीं है. डॉक्टर आराम की सलाह देते हैं. खुद को हाइड्रेटेड रखें, बुखार और दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामॉल जैसी दवाइयों की मदद ली जा सकती है.

जीका वायरस से बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

मच्छरों से बचें. फिलहाल इसके लिए कोई वैक्सीन नहीं है, इसलिए जब तक ये विकसित न हो जाए, तब तक इलाज से ज्यादा बचाव ही सबसे बेहतर उपाय है.

(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×