भारतीय फार्मा कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने शुक्रवार, 20 अगस्त 2021 को इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी दे दी है.
"जायडस कैडिला की कोविड वैक्सीन भारत में इमरजेंसी यूज की मंजूरी पाने वाली 6वीं कोरोना वैक्सीन है और दूसरी स्वदेशी कोविड वैक्सीन है."
Covaxin और Covishield के बाद रूस की Sputnik V को मंजूरी मिली थी. 29 जून को भारत सरकार ने अमेरिकी कंपनी Moderna की कोविड वैक्सीन भी पास कर दी थी. वहीं, हाल ही में जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन को मंजूरी दी थी.
जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन से जुड़ी खास बातें
ये दुनिया की पहली DNA आधारित वैक्सीन है.
इसे 12 साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों और बड़ों को लगाया जा सकेगा.
ZyCoV-D तीन डोज वाली वैक्सीन है- इसका दूसरा डोज पहले डोज के 28 दिन बाद लगाया जाएगा. वहीं, तीसरा डोज पहले डोज के 56 दिन बाद लगेगा यानी हर डोज में 4-4 हफ्ते का अंतर रहेगा.
ZyCoV-D एक निडिल फ्री वैक्सीन है, ये जेट इंजेक्टर से लगेगी.
ZyCoV-D के तीसरे फेज के ट्रायल के लिए 28 हजार से ज्यादा लोगों को इनरोल किया गया है. इसमें 12 से 18 साल तक के बच्चे भी शामिल हैं. कंपनी के मुताबिक अंतरिम नतीजों में लक्षण वाले कोविड केस में वैक्सीन 66.6 फीसदी प्रभावी रही है.
कैसे काम करती है ZyCoV-D वैक्सीन
ZyCoV-D एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है. DNA (और RNA) वैक्सीन— 1990 के दशक में पहली बार विकसित अपेक्षाकृत एक नई टेक्नोलॉजी है, जिसमें पारंपरिक वैक्सीन की तरह पैथोजन के एक कमजोर रूप का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
इसके बजाए इस तरह की वैक्सीन वायरस के जेनेटिक कोड का इस्तेमाल कर काम करती है. प्लास्मिड वेक्टर को कोशिकाओं में डाला जाता है और फिर इसे न्यूक्लियस में रोपित कर दिया जाता है. इसे दूसरे मैसेंजर आरएनए (mRNA) मॉलीक्यूल में ट्रांसफर कर दिया जाता है, जो कोशिका के माध्यम से इम्यून प्रतिक्रिया करता है. इस तरह की वैक्सीन हमारी कोशिकाओं को खास निर्देश देती है, जो इम्यून सिस्टम को वायरस की पहचान करने और प्रतिक्रिया देने के लिए निर्देश देती है.
सैद्धांतिक रूप से DNA वैक्सीन mRNA वैक्सीन जैसे ही नतीजे देती हैं, और इसलिए जायडस की कोरोना वैक्सीन का असर भी मॉडर्ना, फाइजर सहित बाजार में पहले से मौजूद दूसरी mRNA वैक्सीन जैसा ही होने की संभावना है.
DNA वैक्सीन का एक फायदा ये है कि mRNA वैक्सीन की तुलना में ये ऊंचे तापमान पर अधिक स्थिर होती हैं और इसलिए भारत जैसे गर्म देशों में इस्तेमाल के लिए अधिक उपयुक्त होती हैं.
इसके अलावा, अगर वायरस म्यूटेट हो जाता है, तो (डीएनए वैक्सीन) प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल तेजी से कुछ हफ्तों में वैक्सीन को संशोधित करने के लिए किया जा सकता है.
कंपनी की योजना ZyCoV-D की सालाना 10-12 करोड़ डोज बनाने की है.
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