हममें से कई लोग अक्सर कमर से लेकर एड़ियों तक के दर्द का रोज़ाना सामना करते हैं और उसे काम की थकान मान नज़रंदाज़ कर देते हैं। अगर ऐसा ही कुछ आपके साथ हो रहा है, तो यह लेख आपके लिए है।
कमर और पैरों में अक्सर होने वाले तेज़ दर्द का कारण कई बार साइटिका होता है। असल में, साइटिका उस बीमारी का नाम है, जो साइटिक नर्व में होने वाली समस्या से होती है।
साइटिक नर्व हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी के निचले भाग से पैरों तक जाने वाली प्रमुख नर्व है. इसलिए साइटिका का दर्द कमर से पैरों तक महसूस होता है. कुछ लोगों में एक पैर की जगह दोंनो पैरों में यह समस्या देखी जा सकती है.
इस परेशानी से गुज़रने वाले लोगों को कमर के निचले हिस्से, पैरों और एड़ियों में दर्द के अलावा सुन्नपन, झनझनाहट और थकान महसूस हो सकती है।
साइटिका के कारण
अगर साइटिका होने के कारण की बात करें, तो इसकी मुख्य वजह साइटिक नर्व में समस्या, सूजन या चोट हो सकती है। यह किसी दुर्घटना या फिर उठने-बैठने के ग़लत तरीके से साइटिक नर्व पर दबाव के कारण हो सकता है। साइटिका की समस्या लंबे समय तक गाड़ी चलाने या जिम में बिना किसी प्रशिक्षक के व्यायाम करने से भी हो सकती है। साइटिक नर्व में समस्या या क्षति के और भी कारण हैं:
स्लिप्ड हर्नियेटेड डिस्क (निचली रीढ़ की हड्डियों का अव्यवस्थित होना)
स्पाइनल स्टेनोसिस (रीढ़ की नस से संबंधित एक समस्या)
पेल्विस की चोट या फ्रैक्चर
ट्यूमर
घंटों एक ही जगह पर खड़े या बैठे रहना
व्यायाम के समय कमर को सही सहारा न देना
झटके से नीचे झुकना या पलटना
भारी सामान लगातार उठाते रहना
बैठने के सही ढंग को नज़रंदाज़ करना
शारीरिक वज़न का बढ़ना
साइटिका के लक्षण
साइटिका के लक्षण एक से दूसरे मरीज़ के लिए भिन्न हो सकते हैं। उनमें से कुछ लक्षण इस तरह के होते हैं:
कमर, कूल्हों और पैरों में हल्के दर्द का बने रहना
कमर की तुलना पैरों में अधिक दर्द महसूस होना
कई बार एक पैर में तीव्र दर्द का एहसास होना
पैरों के साथ पैरों की उंगलियों में भी दर्द रहना
कमर और पैरों में झुनझुनी महसूस होना
पैरों का बेजान महसूस होना
कमज़ोरी लगना
पैरों में पीछे के ओर दर्द होना
उठने-बैठने में कठिनाई का सामना करना
साइटिका किसी को भी और कभी भी हो सकता है, पर लंबे समय तक लगातार बैठे या खड़े रहने वाले लोग इसकी चपेट में ज़्यादा आते हैं। 2017 के मुक़ाबले 2021 में साइटिका के मरीज़ों की संख्या काफ़ी बढ़ गयी है।डॉ हरीश ग्रोवर, पीएचडी स्पाइन, Painflame clinic Gurgaon
साइटिका से बचाव के उपाय
डॉ हरीश ग्रोवर के अनुसार, मरीज़ों की बढ़ती संख्या का एक कारण लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठ कर लैप्टॉप पर काम करना है। साइटिका की समस्या से बचने के लिए, कुछ सावधानियाँ बरतनी बहुत जरूरी हैं। जैसे कि:
लंबे समय तक बैठना या खड़े रहना टालना
नियमित रूप से व्यायाम या योग करना
लंबे समय तक ड्राइव न करना
पीठ को सीधा करके सही मुद्रा में बैठने की कोशिश करना
शारीरिक वज़न पर नियंत्रण रखना
खान-पान पर ध्यान देना
प्रतिदिन एक निर्धारित समय के लिए पैदल चलना
वज़नदार वस्तुओं को झटके से उठाने से बचना
काम के लिए आरामदेह कुर्सी का चयन करना
साइटिका बीमारी ज़्यादातर नौजवानों में देखी जाती है और इसका एक बड़ा कारण है नौकरी, व्यवसाय या अन्य किसी कारण से लंबे समय तक यात्रा करना। जिम या योग बिना सही सलाह या प्रशिक्षक के करना भी एक प्रमुख कारण बनता जा रहा है।डॉ राघव बर्वे, ओर्थपेडीक सर्जन- जोशी हॉस्पिटल, पुणे
साइटिका होने के बाद, ली जाने वाली सावधानियाँ
डॉ राघव बर्वे, वरिष्ट ओर्थोपेडिक् सर्जन जो कि पुणे के रूबी हॉल क्लिनिक, जोशी, रत्ना मेमोरियल और दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल में पिछले 25 वर्षों से मरीज़ों को देख रहे हैं, ने बताया कि ज़्यादातर साइटिका के रोगी जीवनशैली में बदलाव लाकर ठीक हो जाते हैं, पर कुछ मरीज़ों को सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। ज़्यादातर मरीज़ों को फिजियोथेरेपी से आराम मिलता है, इस बारे में हड्डी के डॉक्टर की सलाह लें। साइटिका होने पर अपने दिनचर्या में बदलाव लाकर हम इस बीमारी को गंभीर रूप लेने से रोक सकते हैं, उनमें से कुछ बदलाव नीचे दिए गए हैं:
दर्द में ज़्यादा से ज़्यादा आराम करें
किसी भी तरह का शारीरिक व्यायाम बिना डॉक्टर की सलाह के न करें
दिन में एक बार 30 मिनट के लिए आरामदेह जूते पहन धीमी गति से चलें
वज़नदार वस्तुओं को न उठाएँ
कुछ समय के लिए ड्राइविंग न करें
सोने के लिए आरामदेह बिस्तर को चुने
अपनी पीठ को सीधी कर सही मुद्रा में बैठें
पौष्टिक आहार व विटामिन डी का सेवन करें
कमर दर्द की समस्या का सामना लगभग सभी करते हैं। उनमें से कइयों का कमर दर्द साइटिका का रूप ले लेता है। फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि किसी को ज़्यादा तो किसी को कम दर्द झेलना पड़ता है। बढ़ती उम्र के साथ साइटिक धीरे-धीरे लगभग सभी के जीवन में दस्तक देता है, पर इसका समय से पहले आना चिंता का विषय भी हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से समय रहते दिखाने में ही समझदारी है।
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