ये शायद दूसरी बार है, जब ह्यूमन इम्यूनोडिफिसियंसी वायरस यानी HIV से पीड़ित किसी मरीज को ठीक किया गया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की ये रिपोर्ट यही कहती है. HIV से एड्स होता है. HIV-AIDS ने 80 के दशक की शुरुआत में इंसानों को प्रभावित किया और इससे अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है.
इस वायरस से ठीक होने वाले पहले मरीज के बारे में लगभग 12 साल पहले पता चला था.
रिसर्चर्स कई साल से उसी तरह इलाज की कोशिश करते रहे, पर उन्हें कामयाबी नहीं मिली. लेकिन अब एक उम्मीद की जा सकती है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस रिसर्च को Nature जर्नल में पब्लिश किया जाएगा.
ये महत्वपूर्ण खोज बोन-मैरो (अस्थि मज्जा) के ट्रांसप्लांट से सामने आई है, जिसे अब तक मरीज में कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है, न कि एचआईवी के लिए. भले ही ट्रांसप्लांट HIV मरीज के लिए आदर्श विकल्प नहीं है, लेकिन इस पर उम्मीद इस बात पर निर्भर करेगी कि रिसर्चस इसका क्या नतीजा निकालते हैं.
एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी की दवाइयों के जरिए HIV पेशेंट का लंबे समय तक जीना संभव हो सका है, लेकिन इसे अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है.
कैंसर और HIV से ठीक होने वाले पहले पेशेंट टिमोथी रे ब्राउन ने CCR5 प्रोटीन में म्यूटेशन के साथ बोन-मैरो ट्रांसप्लांट कराया था.
अब ब्राउन के बाद 'लंदन पेशेंट' के नाम से जाने जा रहे इस दूसरे मरीज को हॉजकिन्स लिंफोमा (hodgkin’s lymphoma) था, ये लसीका तंत्र (Lymphatic System) का कैंसर होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली का ही एक हिस्सा होती है. मई 2016 में उसने वही CCR5 म्यूटेशन रिसीव किया. उसने 2017 से एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी ड्रग्स लेना बंद कर दिया और वो HIV से मुक्त है.
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