World Arthritis Day 2022: हर साल 12 सितंबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड अर्थराइटिस डे मनाया जाता है. इस बीमारी से लाखों लोग परेशान हैं. कुछ दिनों पहले टीवी और भोजपुरी फिल्मों की मशहूर एक्ट्रेस संभावना सेठ (Sambhavna Seth) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था जिसमें वो रोती हुई नजर आ रही हैं. संभावना Rheumatoid Arthritis यानी युवाओं में पाए जाने वाले गठिया से जूझ रही हैं. संभावना ने एक वीडियो शेयर करके इस बात की जानकारी दी थी.
Arthritis से लाखों लोग परेशान
Arthritis से आज दुनिया भर में लाखों लोग परेशान हैं. अर्थराइटिस (Arthritis) यानी गठिया आजकल की बदलती जीवनशैली, मोटापा, गलत खानपान जैसी वजहों से ये बीमारी अब केवल बुजुर्गो तक ही सीमित नहीं रह गई है. युवा वर्ग भी इसका शिकार होते जा रहे हैं.
अर्थराइटिस (Arthritis) शब्द का वास्तविक अर्थ ज्वाइंट इंफ्लेमेशन होता है, यानी जोड़ों में सूजन. इसे गठिया या जोड़ों की बीमारी भी कहते हैं. जब बिना चोट लगे चलने में तकलीफ हो, जोड़ों में दर्द रहे और जोड़ों को काम करने में दिक्कत हो रही हो, तो हो सकता है आप अर्थराइिटस (Arthritis) के शिकार हो रहे हों. यह एक संयुक्त या एकाधिक जोड़ों को प्रभावित कर सकता है.
डॉक्टरों से जानें अर्थराइटिस (Arthritis) क्या है, आजकल क्यों हो रहे हैं युवा वर्ग इसका शिकार और इससे बचने के उपाय भी.
क्या है अर्थराइटिस (Arthritis) या गठिया?
"अर्थराइटिस (Arthritis) का सबसे अधिक प्रभाव घुटनों में और उसके बाद कुल्हे की हड्डियों में दिखाई देता है. पैर के अंगूठे की हड्डी में अर्थराइटिस होना भी आम समस्या है, पर क्योंकि उस पर वजन नहीं होता है, तो पता नहीं चलता है. घूटने पर शरीर का पूरा वजन पड़ता है और जब चलने में तकलीफ होती है, तो लोगों को वहां अर्थराइटिस (Arthritis) की समस्या का पता तुरंत चल जाता है" ये कहना है डॉ कौशल कांत मिश्रा का, जो फोर्टिस एस्कॉर्ट्स बोन एंड ज्वाइंट इंस्टिट्यूट में ऑर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के डायरेक्टर हैं.
डॉ कौशल कांत मिश्रा बताते हैं कि
अर्थराइटिस (Arthritis) में घुटने से कुल्हे की हड्डियों, कंधे, कोहनी फिर उसके बाद दूसरे जोड़ों में दिक्कत शुरू होती है. कई लोग समय-समय पर अपने बदन में दर्द और अकड़न भी महसूस करते हैं. ऐसे लोगों को अर्थराइटिस (Arthritis) हो सकता है. अर्थराइटिस (Arthritis) या गठिया के सबसे आम प्रकार ऑस्टियो अर्थराइटिस, गाउट, फाइब्रोमायल्गिया और रुमेटाइड अर्थराइटिस हैं.
युवाओं में अर्थराइटिस (Arthritis) के लक्षण
गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर एंड ऑर्थोपेडिक्स संस्थान के डिवीजन ऑफ स्पाइन के डायरेक्टर डॉ. विनीश माथुर बताते हैं कि "युवाओं में रूमेटॉयड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) की समस्या देखी जाती है. जो समय पर इलाज न करने से धीरे-धीरे और गंभीर होती जाती है. इसलिए आपको सही समय पर अपना चेकअप और इलाज शुरू कर लेना चाहिए ताकि ये समस्या गंभीर न हो जाए". ये हैं उसके कुछ लक्षण:
चलने फिरने में दिक्कत महसूस होना
बार-बार उठने बैठने में भी दर्द होना
जोड़ों में सूजन का लगातार बने रहना
हाथ-पैर की उंगलियों में जलन-दर्द महसूस करना
सुबह सवेरे जोड़ों में दर्द होना
रूमेटॉयड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) की समस्या युवाओं में देखी जाती है.
"अगर आपके शरीर का कोई जोड़ बिना चोट लगे दर्द दे रहा हो और हफ्ते भर पैन किलर लेने के बाद भी दर्द बना हुआ हो, तो डॉक्टर को दिखाएं. व्यायाम करें और संतुलित आहार खाएं साथ ही कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन भी करें".डॉ. विनीश माथुर, डायरेक्टर, डिवीजन ऑफ स्पाइन, मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर एंड ऑर्थोपेडिक्स संस्थान, मेदांता हॉस्पिटल
फिजिकल ऐक्टिविटी बहुत महत्वपूर्ण है. जितना चलेंगे या एक्टिव रहेंगे उतनी अर्थराइटिस (Arthritis) की समस्या कम होगी.
युवाओं में अर्थराइटिस (Arthritis) के कारण
रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) यानी युवाओं में पाए जाने वाला गठिया. इस अर्थराइटिस में दर्द 30 से 40 वर्ष की आयु में शुरू हो जाता है. जोड़ों में सूजन आती है और मौसम के साथ दर्द घटता-बढ़ता है.
जेनेटिक- अगर परिवार में पहले से ही अर्थराइटिस (Arthritis) की समस्या चली आ रही हो, तो उन सदस्यों के बच्चों में इसके होने कि आशंका बढ़ जाती है.
मोटापा- वजन का अधिक होना इसका एक कारण है. शरीर में कैल्शियम की कमी होने या मसल्स के कमजोर होने पर भी ऐसा हो सकता है.
खराब दिनचर्या- घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना, वो चाहे काम के लिए हो या मनोरंजन के लिए. कम से कम चलने फिरने वालों में ये समस्या ज्यादा देखने को मिलती है.
यूरिक एसिड का बढ़ना- जोड़ों में जब यूरिक एसिड जमा होने लगता है, तो वहां सूजन की समस्या हो जाती है, जिसकी वजह से अर्थराइटिस (Arthritis) की समस्या होती है.
कार्टिलेज का कम होना- हड्डियों के बीच कार्टिलेज का कम होना भी एक बड़ा कारण है. चलने फिरने से जोड़ों पर दवाब पड़ता है और उनमें मौजूद कार्टिलेज उस दवाब को सोखकर हड्डियों को सुरक्षित करते हैं. उसके कम होने से अर्थराइटिस (Arthritis) की परेशानी होती है.
बच्चों में भी अर्थराइटिस (Arthritis) की समस्या देखने को मिलती है. बच्चों में होने वाली अर्थराइटिस को 'जुवेनाइल रूमेटाइड अर्थराइटिस' के नाम से जाना जाता है.
यह 10-12 साल के बच्चों में देखा जाता है और यह जेनेटिक कारणों से होता है.
माता-पिता या परिवार के किसी दूसरे सदस्य को अगर अर्थराइटिस (Arthritis) है, तो बच्चे को होने की संभावना बढ़ जाती है. इसे इलाज करके ही नियंत्रण में लाया जा सकता है.
रूमेटॉयड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) एक ऐसा अर्थराइटिस है, जिसको सही इलाज और दवाईयों से ठीक या कंट्रोल किया जा सकता है.
अर्थराइटिस (Arthritis) से बचाव
अर्थराइटिस (Arthritis) जोड़ों में होने वाली ऐसी बीमारी है, जो होने के बाद आजीवन रहती है. लेकिन अपने दिनचर्या में कुछ बदलाव लाकर अर्थराइटिस (Arthritis) के तीव्र दर्द को कम कर सकते हैं:
अपना वजन कम रखें, क्योंकि ज्यादा वजन से आपके घुटने और कूल्हों पर दबाव पड़ता है.
व्यायाम और चलते-फिरते रहने से भी मदद मिलती है.
दवा समय पर लेते रहें, इनसे दर्द और अकड़न में राहत मिलेगी.
एक जगह पर लगातार बैठे नहीं रहें, हर 30 से 45 मिनट के बाद उठकर कुछ मिनट टहलें.
रोजाना साइकिल चलाएं.
शुगर को नियंत्रण में रखें.
आरामदायक कुर्सी पर सीधे बैठकर काम करें.
लक्षणों का आभास होते ही डॉक्टर से मिलें और दर्द निवारक गोली का उपयोग खुद से न करें.
"पोपोस्ट ट्रॉमैटिक अर्थराइटिस, जो एक्सीडेंट के बाद होता है, मनुष्य के हाथ में है और जिसे बचाया जा सकता है. एक्सिडेंट में अगर जोड़ों में फ्रैक्चर आया हो, तो उसका सही तरीके से इलाज होना चाहिए. इलाज सही नहीं होने पर Arthritis की समस्या हो जाती है".डॉ कौशल कांत मिश्रा, डायरेक्टर, ऑर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स बोन एंड ज्वाइंट इंस्टिट्यूट, दिल्ली
अर्थराइटिस (Arthritis) का इलाज
इसमें जो शुरुआती इलाज होता है, वो एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाईयों और इंजेक्शन से होता है. जोड़ों की सतह जब एकदम खराब हो जाए यानी कि जब दोनों हड्डियां आपस में घिस रही हों, तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है.
अगर अर्थराइटिस (Arthritis) है, तो डॉक्टर से संपर्क करें और जल्द से जल्द इलाज शुरू करें. एक बार अर्थराइटिस हो जाने पर उसे बदला नहीं जा सकता. वजन कम रखें, क्योंकि ऐसे लोगों को अर्थराइटिस का दर्द कम होता है और उनके शरीर पर इसका बुरा प्रभाव भी कम पड़ता है.
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