अधिकतर लोग साल की शुरुआत में अपने लिए नए लक्ष्य तय करते हैं. जो ज्यादातर हमारी शारीरिक और सामाजिक सेहत से जुड़े होते हैं.
मेरा सुझाव है कि इस साल अपने लक्ष्यों को निर्धारित करते समय आप इसमें मेंटल हेल्थ को भी शामिल करें. असल में मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य सभी एक दूसरे पर आश्रित हैं. इनमें से किसी एक के बगैर दूसरा हासिल नहीं किया जा सकता.
मानसिक तौर पर हेल्दी रहकर आप खुद की बेहतर देखभाल कर सकते हैं. अपने आंतरिक संघर्षों से अच्छी तरह निपट सकते हैं. स्ट्रेस और विपरीत हालातों का बेहतर तरीके से सामना कर सकते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) मेंटल हेल्थ को सेहतमंद अवस्था के तौर पर परिभाषित करता है, जिसमें व्यक्ति को अपनी क्षमता का एहसास होता है कि वो तनाव का सामना कर सकता है, बेहतर तरीके से काम कर सकता है और वो समुदाय में अपना योगदान दे सकता है.
भारत में डिप्रेशन और चिंता सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य विकारों में से है. साल 2015 में, यह अनुमान लगाया गया था कि लगभग 33.2 करोड़ लोग डिप्रेशन से प्रभावित हैं.
खराब मानसिक स्वास्थ्य आपके जीवन के हर पहलू व्यक्तिगत संबंधों से लेकर कामकाज और कुलमिलाकर जीवन की संतुष्टि को प्रभावित करता है.
मेंटल हेल्थ को लेकर समाज में जो नकारात्मक रवैया है, इस वजह से ज्यादातर लोग अपनी मानसिक समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने और पेशेवर मदद लेने से हिचकिचाते हैं. मेंटल हेल्थ से जुड़ी कोई भी दिक्कत होने पर आपको चुप रहकर सब कुछ नहीं झेलना चाहिए. इसके अलावा किसी भी तरह की मदद मांगने में झिझकना भी नहीं चाहिए.
हालांकि, मानसिक बीमारी होने पर इसे उचित जानकारी, जागरुकता और कुछ बेसिक स्किल्स जैसे संगठन या सेल्फ मोटिवेशन से मैनेज किया जा सकता है. रिसर्च से पता चला है कि प्राप्त करने योग्य कुछ छोटे लक्ष्य निर्धारित करने से सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है.
इसलिए, एक रूटीन बनाना और लक्ष्य निर्धारित करना आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और इसे प्राथमिकता देने का एक शानदार तरीका है.
1. खुद की देखभाल
ये लाइफस्टाइल में बदलाव ही है जो आपको स्ट्रेस, चिंता और डिप्रेशन के लक्षणों को मैनेज करने में मदद करेगा. आपकी बेसिक जरूरतें पूरी होने के बाद अपनी खुद की देखभाल में कोई भी एक्टिविटी शामिल कर सकते हैं, जिसे आप एंजॉय करते हैं या जिससे रिलैक्स फील करते हैं. ऐसी बहुत सी एक्टिविटिज हैं, जिसे आप अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं जैसे स्किन की देखभाल, मेडिटेशन या डायरी लिखना.
ये सभी आसान सी चीजें हैं, जो आप हर दिन अपने लिए कर सकते हैं.
आप एक नया शौक भी अपना सकते हैं, कुछ ऐसी क्लासेज ले सकते हैं, जिसमें आपकी रुचि हो या आसपास की जगहों पर वीकेंड ट्रिप प्लान कर सकते हैं.
2. बेहतर संबंध
रिसर्च बताते हैं कि जब किसी व्यक्ति के एक या एक से अधिक करीबी और बेहतर संबंध होते हैं, तो उनमें लचीलेपन की संभावना अधिक होती है. लचीलापन स्ट्रेस और विपरीत स्थिति से निपटने की क्षमता पैदा करता है. इसमें सकारात्मक दृष्टिकोण, आशावाद और भावनाओं को काबू रखने जैसी सकारात्मक विशेषताएं शामिल हैं.
लचीलापन एक व्यक्ति को स्ट्रेस, जीवन की बड़ी घटनाओं और मानसिक लक्षणों से निपटने में मदद करता है. एक दूसरी स्टडी में पाया गया कि अन्य सामाजिक संबंधों की तुलना में दोस्ती का जीवन प्रत्याशा (life expectancy) पर अधिक पॉजिटिव और महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. इसलिए, रिश्तों को बनाए रखना मानसिक रूप से स्वस्थ रहने का एक महत्वपूर्ण घटक है.
3. एक्सरसाइज
फिजिकल एक्टिविटी और एक्सरसाइज शरीर में ऑक्सीजन के लेवल को सुधारने और कंट्रोल करने का बहुत अच्छा तरीका है. ऑक्सीजन के लेवल में बढ़ोतरी से ब्रेन की कार्यप्रणाली में सुधार होगा, नर्वस सिस्टम बेहतर होगा, फेफड़े साफ होंगे और बेहतर नींद आएगी.
रेगुलर एक्सरसाइज बॉडी में सेरोटोनिन के लेवल को बैलेंस करने में मदद करता है. सेरोटोनिन वो हार्मोन है जो मूड, भूख और नींद के चक्र को नियंत्रित करता है.
मनोचिकित्सक मधुकर त्रिवेदी के अनुसार, हर हफ्ते एक्सरसाइज के तीन या अधिक सेशन पुरानी मानसिक बीमारियों के इलाज में मदद कर सकते हैं.
4. आभार या कृतज्ञता
मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए आभार जताना एक और तरीका है. आभार या कृतज्ञता इस बात को बताता है कि आपके लिए क्या मूल्यवान और सार्थक है.
आभार व्यक्त करना सिर्फ धन्यवाद कहने से अधिक है. यह आपको अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की मंजूरी देता है, जो आपके जीवन के व्यक्तिगत से पेशेवर तक सभी पहलुओं पर प्रभाव डालता है.
अपने जीवन की सभी अद्भुत चीजों की सराहना करते हुए आभार मन से या बाहरी तौर पर भी व्यक्त किया जा सकता है. इसे हम अपने आसपास की दुनिया में अच्छाई को स्वीकार करके भी व्यक्त कर सकते हैं.
जब बात आपके स्वास्थ्य और खुद के देखभाल की आती है, तो आपको इसके बारे में कभी भी दोषी महसूस नहीं करना चाहिए. ये महत्वपूर्ण है कि आप पहचानें कि यह स्वार्थ नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जिम्मेदारी है. अपने रूटीन में इनमें से कुछ गतिविधियों को शामिल करने का प्रयास करें. आप निश्चित रूप से अपने स्वास्थ्य में सुधार देखेंगे.
अगर आप या आपके कोई जानने वाले किसी मानसिक बीमारी से परेशान हैं या कठिनाई महसूस कर रहे हैं, तो मेरा आग्रह है कि आप मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से बात करें या हेल्पलाइन के जरिए मदद लें.
(अगर आप या आपके कोई परिचित मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद चाहते हैं, तो कृपया विश्वसनीय और ट्रस्टेड मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की इस राज्यवार लिस्ट का रेफरेंस लें.)
(ये लेख ‘द लिव लव लाइफ फाउंडेशन’ की चेयरपर्सन एना चांडी ने लिखा है.)
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