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क्या गेम एडिक्शन एक तरह का मानसिक रोग है?

जानें क्या हैं गेम एडिक्ट होने के लक्षण.

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क्या आपका बच्चा भी गेम्स का एडिक्ट है? अगर ऐसा है तो आपके लिए एक बुरी खबर है!

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपने बीमारियों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण ( इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीजेज या आईसीडी) में ‘ गेमिंग डिसऑर्डर’ को एक नई बीमारी के तौर पर शामिल किया है. आईसीडी डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रकाशित किया जाने वाले मैनुअल है, जो पिछली बार 1990 में अपडेट किया गया था. ताजा एडिशन आईसीडी-11 में गेमिंग डिसऑर्डर को गंभीर बीमारी बताया गया है, जिस पर नजर रखने की जरूरत है.

डब्ल्यूएचओ की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, “गेमिंग डिसऑर्डर को एडिक्टिव डिसऑर्डर(लत वाली बीमारी) की श्रेणी में रखा गया है.”

डब्ल्यूएचओ के अनुसार गेमिंग की बीमारी ‘लगातार या बार-बार उभरने वाला गेमिंग (डिजिटल या वीडियो गेमिंग) व्यवहार है, जोऑनलाइन (उदाहरण के लिए इंटरनेट पर) या ऑफलाइन हो सकता है.

सीएनएन से बातचीत में डब्ल्यूएचओ के मेंटल हेल्थ सब्सटेंस एब्यूज विभाग के सदस्य व्लादिमीर पोजन्याक ने कहा कि इस वर्गीकरण का मतलब है कि स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स और संस्थाओं को “इस कंडीशन की मौजूदगी के लिए अधिक सतर्क” रहना होगा और तय करना होगा कि “इस दशा से प्रभावित लोगों को उचित मदद” समुचित तरीके से बढ़ाया जा सके.

अगर बहुत ज्यादा गेम खेलने वालों की बात करें तो दुनिया भर के लाखों गेमर गेमिंग डिसऑर्डर के दायरे  में नहीं आएंगे. मैं ये साफ कर दूं कि इस बीमारी के खास लक्षण होते हैं, जिसका पता सिर्फ हेल्थ प्रोफेशनल लगा सकते हैं, जिन्होंने इसके इलाज के लिए ट्रेनिंग ली है.
व्लादिमीर पोजन्याक, सदस्य, डब्ल्यूएचओ का मेंटल हेल्थ सब्सटेंस एब्यूज विभाग  

हालांकि वह ध्यान दिलाते हैं कि इस बीमारी की मौजूदगी “बहुत कम” है.

गेम एडिक्ट होने के लक्षण

आईसीडी के शुरुआती ड्राफ्ट में कई तरह के व्यवहार के बारे में बताया गया है, जिन्हें देख कर डॉक्टर तय कर सकते हैं कि क्या किसी शख्स का गेम खेलना गंभीर बीमारी बन चुका है.

किसी शख्स को तब गेमिंग की बीमारी का एडिक्ट कहा जा सकता है, जब गेमर एक ही गेम को बार-बार खेलने, उसमें ज्यादा समय देने और गेम खेलने के तरीके पर ज्यादा जोर देने लगता है.

ऐसे लोग गेमिंग को इतनी ज्यादा प्राथमिकता देते हैं कि इनके लिए गेम खेलना जीवन के हितों से भी ऊपर हो जाता है, और ये लोग नकारात्मक असर पड़ने के बाद भी गेमिंग जारी रखते हैं.

इसके अलावा किसी को गेमिंग एडिक्ट मान लेने के लिए ये देखा जाना चाहिए कि क्या उसके व्यवहार में कम से कम एक साल में बदलाव आए हैं. हेल्थ प्रोफेशनल्स को समझना होगा कि गेमिंग डिसऑर्डर के गंभीर शारीरिक असर हो सकता है. हालांकि जरूरी नहीं कि सभी लोग जो वीडियो गेम्स खेलते हैं, उन्हें यह बीमारी हो. यह ठीक वैसा ही है जैसे अल्कोहल पीने वाले सभी लोग अल्कोहलिक नहीं होते हैं.
व्लादिमीर पोजन्याक, सदस्य, डब्ल्यूएचओ का मेंटल हेल्थ सब्सटेंस एब्यूज विभाग 

बयान में कहा गया है कि नए आईसीडी-11 द्वारा हेल्थकेयर में सुरक्षा के बारे में आंकड़े जुटाने की बेहतर व्यवस्था की गई है, ऐसी चीजें जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकती हैं-जैसे कि अस्पतालों में असुरक्षित हालात- की पहचान की जा सकती है और इन्हें कम किया जा सकता है.

इसमें कुछ नए अध्याय शामिल किए गए हैं, जिनमें से एक है पारंपरिक दवाओं का, दुनिया भर में हालांकि लाखों लोग पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इन्हें कभी भी इस सिस्टम में मान्यता नहीं दी गई है.

यौन स्वास्थ्य समस्या को लेकर भी एक नया अध्याय शामिल किया गया है, जो कि पहले दूसरी श्रेणी में (उदाहरण के लिए लैंगिक पहचान की समस्या को मानसिक स्वास्थ्य दशा के तहत रखा गया था) या अलग तरह से श्रेणीबद्ध किया गया था.

आईसीडी-11 को अगले साल मई में सदस्य राष्ट्रों की मंजूरी के लिए विश्व स्वास्थ्य असेंबली में रखा जाएगा और यह 1 जनवरी 2022 से लागू हो जाएगा.

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