यह अभी तक कॉफी की एक और शाम जैसी ही थी- मजेदार, सुखद और गपशप से भरी. अचानक, शेहला ने कॉफी से नजरें हटाईं तो उसके दर्द भरे चेहरे पर कोई बात जरूर थी, जिसने मुझे अपनी बात बीच में ही छोड़ देने पर मजबूर कर दिया.
“मुझे कैंसर है और मुझे नहीं पता कि क्या करना है”, वह बोली.
मुझे संभलने में एक लम्हा लगा. वह बेचैनी से बोली, “मैं ठीक हूं, मेरे बारे में फिक्र ना करो. मुझे नहीं पता कि बच्चों को कैसे बताऊं कि उनकी मां को कैंसर है. यह उनकी जिंदगी को बर्बाद कर देगा.” अब उसके आंसू निकल पड़ने को थे.
मैंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त से कहा, “गहरी सांस लो”, “हम बिग सी की भारी समस्या पर बात करने से पहले कॉफी खत्म करते हैं और चलो कुछ केक भी ऑर्डर करते हैं.” एक फीकी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आई.
उस पल मैं सबसे अच्छा यही कर सकती थी, और मैंने किया. बाद में, हमने इस पर बात की कि मेरी सबसे अजीज दोस्त की जिंदगी से किस्मत के इस खेल के बाद उसके बच्चों को संभलने के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं.
पूरा समय लीजिए
मुनासिब होगा कि सबसे पहले अपने बारे में आपको जो पता चला है, उसे पूरी तरह खुद समझ लें. अगर आप आशंकित हैं या परेशान हैं कि बच्चों को क्या बताना है, तो थोड़ा इंतजार करना बेहतर है जब तक कि आप अपने जज्बात को काबू में करने लायक ना हो जाएं.
हालांकि अपने बच्चों के सामने टूट जाने और रो पड़ने में कोई खराबी नहीं है, और किसी लम्हा ऐसा हो भी सकता है, लेकिन जब पहली बार इस बारे में बात की जाए तो आपको सहज, शांत और आशावादी होने की जरूरत है.
कैंसर एक डरावना शब्द है, जितना होना चाहिए कभी-कभी उससे भी ज्यादा डरावना होता है. आपका डॉक्टर आपकी उपचार योजना की रूपरेखा तैयार करेगा, और आपको बताएगा कि आपकी जीवनशैली में क्या-क्या बदलाए आएंगे. किसी दोस्त से बात करें, जब तक आपको ना लगे कि आप बच्चों का सामना करने के लिए तैयार हैं.
बच्चों की मदद करने से पहले, आप अपनी भावनाओं को दुरुस्त कर लें.
भला क्या मुश्किल है. आप एक पेरेंट हैं और आपने गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव-बाद की तकलीफें झेली हैं और आधी रात में 2 बजे फीडिंग करने और नचाकर रख देने वाले बच्चे और बागी किशोर का सामना किया है. कैंसर इनमें से किसी से भी ज्यादा खतरनाक नहीं है.
जीवनसाथी या किसी अन्य की मदद लें, जो जिंदगी में खास हो
यदि आपका दो पेरेंट वाला घर है, तो सुनिश्चित करें कि दूसरे पेरेंट जो कुछ कहें, वह उससे अलग ना हो, जो आप कहने जा रहे हैं. सबसे अच्छा होगा, अगर आप दोनों बच्चों के साथ बैठें और बात करें. अगर आप एक सिंगल पेरेंट हैं, तो अपने एक दोस्त को शामिल कर लें, जिस पर आपके बच्चे भरोसा करते हों.
जैसे शेहला ने मुझे शामिल किया था, क्योंकि मैं उसके बच्चों की “कूल मौसी” हूं, जो उनके लिए केक बनाने में पूरा जार भर न्यूटेला झोंक सकती है.
बातचीत के समय से पहले इसके लिए खुद को और अपने पार्टनर को तैयार करें. आप जो कहना चाहते हैं उसके बारे में सोचें, और अपने बच्चों के किसी भी संभावित प्रश्न के बारे में सोचें. उन जवाबों को सोचें जो समझदार, भरोसा देने वाले और आशावादी हैं.
यह भी पक्के तौर आप उन्हें बताएं कि बातचीत का एक खुला रास्ता है: आप उन्हें सच बताएंगे कि आपका जीवन बदल जाने वाला है, कि आप कुछ समय के लिए बीमार होने जा रहे हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप इससे उबर जाएंगे, क्योंकि आप एक परिवार हैं.
आसान शब्दों में बात कहें
आपको अपने बच्चे से जो कुछ कहना है, उसे उसकी उम्र के हिसाब से तैयार करने की जरूरत होगी.
छोटे बच्चों के लिए, आपको सिर्फ इतना बताना होगा कि आप बीमार हैं या आपको बू-बू हो गया है. पांच साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे के लिए, आपको अपने इलाज के बारे में बताने के लिए उसके हिसाब से ज्यादा सटीक शब्दों का चुनाव करना होगा. बड़े बच्चे गूगल करेंगे, इसलिए कोशिश करें और सुनिश्चित करें कि आपकी व्याख्या अधिक विस्तृत और स्पष्ट हो.
यथार्थवादी बने रहें, लेकिन उम्मीद का दामन ना छोड़ें. उन्हें याद दिलाएं, और खुद भी याद रखें, कि आज के दौर में कैंसर मौत की सजा नहीं है. और यह कि आप एक परिवार के रूप में, बीमारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में विजेता होंगे.
शेहला की बड़ी बेटी, जो हैरी पॉटर की फैन है, उसके लिए कैंसर एक डिमेंटर है,और परिवार इसे भगाने के लिए पैट्रोनस को बुला लेगा.
संक्रामक नहीं है कैंसर
छोटे बच्चे की चिंता स्वाभाविक है कि कहीं आपका कैंसर उसको भी “पकड़” तो नहीं लेगा. याद रखें कि वह आप ही हैं जिसने हमेशा कीटाणुओं के डर और हाथ धोने को लेकर डराया है. तो उन्हें आश्वस्त करें कि कैंसर छूने या चूमने से नहीं फैलता.
बच्चों का आपकी बीमारी के लिए खुद को जिम्मेदार मानना भी असामान्य नहीं है. उन्हें यकीन दिलाएं, इसकी कई बार जरूरत पड़ती है, कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया या कहा है जिससे आप बीमार हों.
बच्चे के दिमाग में ऐसा आ सकता है कि उनके “ये एक भयानक मां/पिता हैं, और मेरी ख्वाहिश है कि मेरे पास बेहतर मां/ पिता हों” ऐसा सोचने से कैंसर हुआ होगा; सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे इसकी हकीकत समझें.
आपकी बीमारी से परिवार पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात करें
उन्हें इलाज के लिए तैयार करें, और बताएं कि कैंसर खत्म होने से पहले, आपको कितना अधिक बीमार कर देगा. उन संभावित साइड इफेक्ट्स के बारे में उनसे बात करें जिनसे आप गुजरेंगे.
वे आपको बालों के झड़ने, थकान, मितली आने, और वजन घटने की समस्या से लड़ता देखेंगे. उन्हें बताएं कि इन साइड इफेक्ट का मतलब है कि आपकी बीमारी ठीक हो रही है.
नियमित रूप से बदलावों पर चर्चा करें. उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे स्कूल जाना जारी रखेंगे और खेल-कूद की गतिविधियां जारी रहेंगी. उन्हें बताएं कि ऐसे दिन भी होंगे जब आप बहुत थका होने की वजह से उन्हें स्कूल छोड़ने या पिज्जा खिलाने बाहर नहीं ले नहीं जा सकेंगे, क्योंकि यह बीमारी अप्रत्याशित हो सकती है.
उन्हें आश्वस्त करें कि भले ही आप परिवार के रूप में जो भी करते हैं, वह नहीं कर पाएंगे, तो भी उनका ध्यान रखा जाएगा और उन्हें प्यार मिलेगा. हमेशा वैसा ही.
उन्हें बताएं कि अगर वो चाहें तो आपकी मदद कर सकते हैं. वे अस्पताल में आपसे मिल सकते हैं; वे आपको बेहतर महसूस करने में मदद कर सकते हैं.
आप आश्चर्यचकित होंगे कि छह साल के बच्चा से सिर में मालिश कराना कितना अनोखा है या आठ वर्षीय बच्चा मां या पिता की देखभाल करने पर आश्चर्यजनक रूप गर्व महसूस करता है. उन्हें आपके स्वस्थ होने का हिस्सेदार बनने दें, आप सभी इसके हकदार हैं.
उन्हें बताएं कि अगर वे चाहें तो अपने दोस्तों से, या किसी बड़े से जिस पर वो भरोसा करते हैं, इस बारे में बात कर सकते हैं. हो सकता है आप अपने बच्चों के बेस्ट फ्रेंड की मां को कभी भी आ सकने वाली परेशानी से रूबरू कराना चाहें और इसमें उनके टीचर भी शमिल हो सकते हैं. आप दादा-दादी, नाना-नानी को भी शामिल कर सकते हैं. हां, थोड़ी नाटकबाजी भी हो सकती हैं, लेकिन यह सपोर्ट सिस्टम हो सकता है, जिसकीआपको जरूरत है.
खुले और ईमानदार रहें
सुनिश्चित करें कि आप बच्चों को अपने स्वास्थ्य के बारे में नियमित रूप से बताते रहें. ऐसे भी दिन होंगे जब आप इतना थक जाएंगे कि कुछ भी नहीं करना चाहेंगे, और ऐसे भी दिन होंगे जब आप कहेंगे कि आप मरना चाहते हैं. ऐसे दिन आपके करीबी या दोस्त आपका जिम्मा संभाल लेंगे. वे बच्चों को बताएंगे कि आप मुश्किल में हैं.
और एक दिन बाद ही, आप सामान्य होंगे और हंसते-बोलते पुराने हाल पर लौट आएंगे. इस बात पर यकीन कीजिए. सबसे ज्यादा, उन्हें बताएं कि गुस्सा, उदासी या परेशानी सब ठीक हो जाएगा.
फिर किसी बिंदु पर वह डरावना लफ्ज आपके सामने आ जाएगा, और आपसे पूछा जाएगा कि क्या आप मरने वाले हैं? यह सवाल आपके सामने आए, इससे पहले अपनी भावनाओं को लेकर खुले, ईमानदार और सहज रहें.
ऐसे सवाल पर शेहला का जवाब आया था, “नहीं. लेकिन काश मैं तुम्हारी मदद कर पाती.”
उन्हें बताएं, किस तरह कैंसर इलाज योग्य है, और डॉक्टर कैसे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे,और आप कैसे अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाएंगे. कि आप मर नहीं रहे हैं, लेकिन अगर किसी भी समय आपको लगता है कि सब कुछ खत्म होने जा रहा है, तो आप उन्हें बता दें.
इन सबसे ऊपर, बच्चों को बताएं कि आप उन्हें प्यार करते हैं, और हमेशा करेंगे. और यह उनका प्यार है जिससे आप बीमारी से लड़ने की ताकत मिलेगी, और आप इसे भी हरा देंगे.
आप जो भी मदद हासिल कर सकते हैं, हासिल करें
अगर आप सामना करने में असमर्थ हैं, तो सपोर्ट ग्रुप और पेशेवर काउंसलर हमेशा मिलते हैं. आपको कम्युनिटी में समर्थन मिलेगा; अपने दोस्तोंऔर पड़ोसियों से पूछिए. ऑनलाइन ढूंढिए.
अपना इलाज कर रहे ऑन्कोलॉजिस्ट से सुझाव मांगें. जरूरत पड़े, तो आपके बाल रोग विशेषज्ञ भी खुशी से बच्चों के लिए काउंसलर का सुझाव देंगे.
याद रखें, बच्चे को पालने के लिए एक पूरे मुहल्ले की मदद की जरूरत पड़ती है, और यही सही समय है उनसे मदद मांगने का. शुभकामनाएं!
अंतिम बात: जहां तक शेहला की बात है, वह अब ठीक हो रही है. मुझे दो बार उसकी बेटियों के लिए अपना एक्सट्रा स्पेशल न्यूटेला केक बनाना पड़ा, और मुझे उसके लिए एक बार लाल लिपस्टिक खरीदनी पड़ी. लड़कियां कभी-कभी सप्ताहांत की छुट्टियों में नानी के घर और एकाध बार मेरे घर चली जाती हैं. उन्हें अस्पताल जाने में गुरेज नहीं. हम सभी शेहला को एक विग पसंद करने में मदद करने वाले हैं. यह किसी के लिए आसान नहीं होगा, और ना ही हो सकता है. लेकिन परिवार वालों के साथ प्यार और खुशी बांटने से ज्यादा खूबसूरत कुछ भी नहीं है.
(डॉ. शिबल भारती फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में ओप्थामोलॉजी सर्विसेज की सीनियर कंसल्टेंट हैं.)
(डॉ. समीर पारीख, डायरेक्टर, डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंस और डॉ. बेला शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफप्रिवेंटिव हेल्थ, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के परामर्श के साथ.)
(पहचान छिपाने के लिए शेहला का असली नाम बदल दिया गया है, वह इस लेख की प्रेरणा हैं.)
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