चंडीगढ़ में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान नॉन-कम्यूनिकेबल डिजिज के एक्सपर्ट डॉ सुभोजीत डे कहते हैं कि पंजाब में ड्रग्स का अपना ही ग्लैमर है, इसीलिए हर कोई इसके बारे में बात करता है, लेकिन मैं कहूंगा कि हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट संबंधी दिक्कतें पंजाब के लिए एक बड़ी समस्या है और कोई भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा है.
हाई ब्लड प्रेशर से होने वाली मौत और ट्रांस फैट की खपत पंजाब में सबसे अधिक है. इस वजह से पंजाब में हार्ट की बीमारी के सबसे अधिक मरीज हैं.
हाइपर टेंशन या हाई ब्लड प्रेशर से दुनिया में सबसे अधिक मौत (सभी संक्रामक रोगों से अधिक) होती है. भारत में किसी भी दूसरे देश की तुलना में हाई बीपी वाले लोग अधिक हैं. जब आप बारीकी से देखते हैं, तो यह वास्तव में कोई आश्चर्य नहीं है कि हमारे उच्च बोझ वाले देश में, पंजाब सबसे बड़ा खामियाजा भुगत रहा है.
हाइपर टेंशन हृदय संबंधी रोगों के बढ़ने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है. फिर भी, यह भारत में और विशेष रूप से पंजाब राज्य में मौत का एक बड़ा रिस्क फैक्टर है.
खामोशी से पांव पसार रही इस महामारी के संबंध में लोगों के बीच तत्काल कार्रवाई और व्यापक जागरुकता के लिए दिशा फाउंडेशन और जनरेशन सेवियर एसोसिएशन ने चंडीगढ़ में हेल्थ एक्पर्ट्स, पॉलिसी मेकर्स और पत्रकारों के साथ एक मीडिया संवाद किया.
पंजाब में हर 5 में से 2 वयस्कों को हाइपर टेंशन है. ये फैक्ट राज्य में 40 प्रतिशत वयस्कों को हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे में डालता है.
इसके अलावा, ट्रांस फैटी एसिड के सेवन से हार्ट अटैक के जरिए मौत का खतरा 28 प्रतिशत बढ़ सकता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि वनस्पति (ट्रांस फैट से भरपूर वेजिटेबल ऑयल) के सबसे बड़े उपभोक्ता (साथ ही निर्माता) के रूप में पंजाब को कड़ी नीति लागू कर तेल और खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट को रेगुलेट करना चाहिए. साथ ही इसकी खपत को सीमित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.
पंजाब में हाई बीपी का ज्यादा खतरा क्यों?
पंजाब भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है. खेती यहां का प्रमुख व्यवसाय है. यहां लोग खूब खाते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि डाइट और लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें राज्य में हृदय रोग के बोझ का प्रमुख कारण है.
डॉ डे ने यह भी बताया कि पहले खेती में शारीरिक श्रम बहुत हुआ करता था. इससे पंजाब के लोग खूब खाने-पीने के बावजूद फिट रहते थे. लेकिन अब राज्य में बड़े पैमाने पर खेती में मशीनों का प्रयोग बढ़ने से फिजिकल एक्टिविटी काफी कम हो गई है, जबकि खाने की आदतें अभी भी वही हैं.
फिर निश्चित रूप से अधिक मेहनत नहीं करने वाली लाइफस्टाइल एक ऐसा बदलाव है, जो सभी आयु समूहों में देखा जा रहा है. ये हमें खतरे में डालता है.
क्या दवाओं का हाइपर टेंशन से भी संबंध है? एक्सपर्ट का कहना है कि यह एक संदेहास्पद विषय है. डॉ डे बताते हैं कि दवा का उपयोग निश्चित रूप से ब्लड प्रेशर बढ़ाता है और एक रिस्क फैक्टर है, लेकिन दोनों के बीच संबंध स्थापित करने के लिए अधिक रिसर्च की आवश्यकता है.
हाई ब्लड प्रेशर में अक्सर कोई चेतावनी संकेत या लक्षण नहीं होते हैं. कई लोगों को यह एहसास नहीं होता है कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर है. अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह विकलांगता या मृत्यु का कारण बन सकता है.डॉ अंजलि बोरहा डे, अध्यक्ष, दिशा फाउंडेशन
उन्होंने कहा, ‘हमें लोगों को नियमित अंतराल पर अपने ब्लड प्रेशर को चेक करने के महत्व के बारे में बताना चाहिए.’
एक हेल्दी लाइफस्टाइल और डाइट मेंटेन रखना महत्वपूर्ण हैं.
इसका मतलब यह नहीं है कि घी या तेल खाना पूरी तरह से बंद कर दिया जाना चाहिए. दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ एरम राव कहते हैं कि असली घी वास्तव में हेल्दी है.
लेकिन आपके भोजन में फैट केवल 20 परसेंट होना चाहिए. इसे एक दिन में तीन चम्मच- एक चम्मच मक्खन, एक चम्मच देसी तेल (तिल, नारियल आदि) या एक चम्मच वनस्पति तेल (सूरजमुखी, मूंगफली) के रूप में हो सकता है.
समस्या ट्रांस फैट जैसे अनहेल्दी चीजों के साथ है. और भारत में पंजाब ट्रांस फैट का सबसे बड़ा उपभोक्ता है.
ट्रांस फैट की खपत कम करने की जरूरत
कॉन्फ्रेंस में आए एक्सपर्ट्स का मानना है कि डाइट में बदलाव पूरी तरह से व्यक्तिगत परिवर्तन से नहीं होगा. पंजाब के लोगों को डाइट में बदलाव के लिए प्रेरित करने के लिए औद्योगिक रूप से तैयार खाने की चीजों में ट्रांस फैट को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होगी. इनमें आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेलों (PHVOs) वाला खाने का सामान भी शामिल होता है.
भारत में आम PHVO वनस्पति, मार्जरीन और बेकरी, घर पर खाद्य पदार्थ बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री हैं, लेकिन आमतौर पर यह बेकरी, हलवाई, रेस्तरां और स्ट्रीट फूड में अधिक हैं.
फूड एंड ड्रग सेफ्टी के जॉइंट कमिश्नर डॉ अनूप कुमार ने कहा, ‘वर्तमान और भावी पीढ़ी की अनावश्यक मौतों को रोकने और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए मूलभूत समाधान, खाद्य आपूर्ति से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैटी एसिड को हटाना है.’
आम जनता में ट्रांस फैट के दुष्प्रभाव के बारे में सीमित जागरुकता है. अगर आप इस शब्द को कहते हैं, तो कई लोग इसका अर्थ नहीं समझेंगे. इसलिए, निर्माताओं को टार्गेट करना अधिक महत्वपूर्ण है.
ट्रांस फैट के सेवन से खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और हमारे शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटता है. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने पहले ही जनवरी 2022 से सभी तेलों और फैट में ट्रांस फैटी एसिड को 2 प्रतिशत से अधिक नहीं रखने का नियम बना दिया है.
ट्रांस फैट को हेल्दी फैट से बदलना संभव है. दुनिया भर के कई देश ट्रांस फैट से मुक्त हो गए हैं. पूर्ण हाइड्रोजनाइजेशन और इंटरेस्टिफिकेशन जैसी तकनीकें न्यूनतम ट्रांस फैट के साथ फैट का उत्पादन कर सकती हैं. अब फूड बिजनेस या लोगों को थोड़ी कोशिश करने की जरूरत है.डॉ इरम राव, एसोसिएट प्रोफेसर, दिल्ली यूनिवर्सिटी
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