कहावत है कि चिंता चिता के समान है. ये हमारे तन और मन दोनों को प्रभावित करता है और कई बीमारियों का खतरा बढ़ाता है. हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) भी ऐसी ही एक बीमारी है.
हालांकि गलत खानपान, मोटापा और अव्यवस्थित जीवनशैली की वजह से भी हाइपरटेंशन होता है, लेकिन अवचेतन मन पर पड़ने वाला अनावश्यक बोझ हाइपरटेंशन के होने या न होने में अहम भूमिका निभाता है. इसीलिए हमेशा तनाव और चिंता से दूर रहने की सलाह दी जाती है.
वैसे ब्लड प्रेशर एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, जो रक्त के प्रवाह में अहम भूमिका निभाता है. लेकिन जब यह प्रेशर कम या ज्यादा होता है तो हाई या लो ब्लड प्रेशर की समस्या होती है.
भागदौड़ और तनावग्रस्त जीवन की वजह से हाइपरटेंशन आजकल आम बीमारी हो गई है. पहले ये सिर्फ व्यस्कों को होता था लेकिन आजकल कम उम्र के बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक 60 की उम्र पार करने के बाद 50% लोग इस बीमारी की गिरफ्त में आ जाते हैं.
हाई बीपी का असर दिल पर भी पड़ता है और दिल की बीमारियां होने की आशंका काफी ज्यादा बढ़ जाती है. इसे साइलेंट किलर भी कहते हैं.
हाई बीपी की शुरुआत का मतलब है, कई दूसरी बीमारियों को न्योता देना. लंबे समय तक हाइपरटेंशन रहने की वजह से शरीर के दूसरे अंगों जैसे दिल, किडनी और आंखों पर बुरा असर पड़ता है.
आयुर्वेद में बताए गए तीन नियमों का पालन कर हाइपरटेंशन के खतरे को कम किया जा सकता है.
शांत चित्त, नियमित व्यायाम और सही खानपान से हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है.
आइए जानते हैं कि आयुर्वेद की मदद से कैसे हाइपरटेंशन से बचा या उसे नियंत्रित किया जा सकता है.
1. मन की शांति
आयुर्वेद के अनुसार मन बहुत ताकतवर होता है और जिसने इस पर काबू पा लिया वह सारे रोगों से दूर रहता है. इसलिए आयुर्वेद में मन की चिकित्सा के लिए अलग से 'सत्वावजय चिकित्सा' का प्रावधान है जिसके द्वारा मन की समस्याओं को सुलझाया जाता है. इसे आयुर्वेदिक साइकोथेरेपी भी कह सकते हैं.
हाई ब्लड प्रेशर की बड़ी वजह मन की अशांति है. अशांत मन की वजह से ही चिंता, चिड़चिड़ापन और गुस्सा आने की प्रवृति पनपती और समय के साथ बढ़ती जाती है. इसलिए जरूरी है कि मन को शांत किया जाए.
इसके लिए योग और अध्यात्म का सहारा लिया जा सकता है. प्राणायाम, ध्यान, शवासन योग निद्रा, शशांकासन, पद्मासन, पवन मुक्तासन, कूर्मासन, मकरासन जैसे कई आसन हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी में बहुत उपयोगी होते हैं.
2. लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव और एक्सरसाइज
जीवनशैली में स्वस्थ बदलाव और नियमित व्यायाम से भी हाई ब्लड प्रेशर की रोकथाम संभव है. हाई ब्लड प्रेशर का एक बड़ा कारण मोटापा भी होता है. इसलिए एक्सरसाइज के जरिए मोटापे को नियंत्रित करना जरूरी है.
रेगुलर एक्सरसाइज और भरपूर आराम दोनों बेहद जरूरी है. नियमित दिनचर्या बनाना और उसका पालन करना भी आवश्यक है. हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए हफ्ते में दो-तीन बार तेल से मालिश कराना भी फायदेमंद होता है.
3. खानपान में सुधार
हाई ब्लड प्रेशर के होने में खानपान की भूमिका महत्वपूर्ण है. अमूमन ज्यादा नमक खाने वाले, मांसाहारी भोजन करने वाले, शराब पीने वाले और ज्यादा तेल-मसाले खाने वालों पर हाई ब्लड प्रेशर का खतरा ज्यादा होता है.
इसलिए हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को ऑयली चीजों, मांसाहर, शराब आदि पीने से मना किया जाता है. सफेद नमक की बजाए सेंधा नमक खाने की सलाह दी जाती है.
डिब्बाबंद और बासी खाने से भी बचने को कहा जाता है. संतुलित और सात्विक भोजन सबसे बेहतर होता है.
हरी सब्जियां, मौसमी फल, मेवे हैं फायदेमंद
हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को अपने खाने में हरी सब्जियों और फलों की मात्रा बढ़ानी चाहिए. हरी सब्जियां और मौसमी फल इसमें बहुत फायदेमंद होते हैं. खाने में लहसुन की मात्रा बढ़ाई जा सकती है. धनिया, गोभी, नारियल का सेवन भी अच्छा है. शहद भी फायदेमंद है. दूध में हल्दी और दालचीनी का प्रयोग करने से लाभ मिलता है. अखरोट, बादाम, अंजीर, किशमिश जैसे मेवे खाना भी फायदेमंद रहेगा.
(लेखक आयुर्वेद के लिए समर्पित 'निरोगस्ट्रीट' के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. इनसे ram@nirogstreet.com पर संपर्क किया जा सकता है.)
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