ADVERTISEMENTREMOVE AD

ओमिक्रॉन, BA.2 में बढ़ी पेट से जुड़ी समस्याएं? कोविड और आंत के बीच क्या है लिंक

ओमिक्रॉन वेरिएंट से आंत में इन्फेक्शन हो रहा है? एक्सपर्ट बता रहे हैं कि कोविड पेट की सेहत पर कैसे असर डालता है.

Published
फिट
6 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

कोविड वेरिएंट्स (COVID variants) की लिस्ट जैसे-जैसे लंबी होती जा रही है, कोविड से जुड़े लक्षणों की गिनती भी बढ़ती जा रही है. बुखार और खांसी से ले कर हार्ट डिजीज, डायबिटीज और यहां तक कि ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) तक, इस समय अगर आपको ये बीमारियां हैं, तो मुमकिन है कि आपको कोविड है.

कोविड का सबसे नया वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) का खामोश सब-वेरिएंट BA.2 दुनिया को बहुत तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है, और ऐसा लगता है कि यह अपने साथ ढेर सारे गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल लक्षण लेकर आया है.

दुनिया भर में बहुत से कोविड मरीज अब ज्यादातर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल(gastrointestinal) लक्षणों की शिकायत कर रहे हैं, और शायद ही किसी में फेफड़े से जुड़े (pulmonary) लक्षण हों.

तो असल में सांस के तंत्र (respiratory) का वायरस पेट (stomach) के वायरस में कैसे बदल गया? आंत की सेहत पर कोविड कैसे असर डाल सकता है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फिट ने मणिपाल हॉस्पिटल द्वारका में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी के मेडिकल कंसल्टेंट डॉ. लवकेश आनंद और नई दिल्ली में एक प्रमुख गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. अश्विनी सेतिया से बात की.

ओमिक्रॉन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण

फिट से बातचीत में डॉ. लवकेश आनंद बताते हैं कि उन्होंने पिछले कुछ हफ्तों में कोविड मरीजों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी है.

“तीसरी लहर में कन्फर्म कोविड पॉजिटिव मरीजों में हमने बड़ी संख्या में ऐसे मरीजों को देखा जिनमें सिर्फ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण थे, या बुखार और खांसी के साथ-साथ उन्हें पेट फूलना और पेट में दर्द और भूख खत्म हो जाने की परेशानी भी थी.”
डॉ. लवकेश आनंद, मेडिकल कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, दिल्ली

इनमें ऐसे मरीज शामिल हैं, जिनकी बीमारी के स्तर में अंतर था, हल्के से लेकर गंभीर स्तर तक के मरीज.

डॉ. आनंद इन मरीजों में सामान्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों के बारे में बताते हैं:

  • बेचैनी

  • बदन दर्द

  • पेट में दर्द

  • पेट फूलना

  • तेज उबकाइयां

वह कहते हैं, “इससे मरीजों को बहुत परेशानी हो रही थी, लेकिन काफी हद तक लक्षण गंभीर नहीं थे.”

वह आगे कहते हैं, “लेकिन अब पिछले कुछ हफ्तों में पेट की बीमारियों में इजाफा हुआ है, जिसे हम आम बोलचाल में फूड प्वॉइजनिंग कहते हैं, जिसमें लोग दस्त, पेट में दर्द और मितली की शिकायत कर रहे हैं.”

वह बताते हैं, “इस समय भी मेरे पास ऐसी शिकायतों वाले कम से कम 10 मरीज हैं.”

साल का यह समय फ्लू (flu) के लिए जाना जाता है, जिसमें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण हो सकते हैं, ऐसे में यह जानना कठिन हो जाता है कि यह कोविड है या सिर्फ मौसमी फ्लू (seasonal flu).

हालात इस बात से और बदतर हो जाते हैं कि अब जिन मरीजों का टेस्ट किया जा रहा है, उनमें से कई पॉजिटिव नहीं पाए जा रहे हैं, इसलिए कहना मुश्किल है कि इनमें से कितने मामलों के लिए सच में कोविड जिम्मेदार है.

0
“असल में ये लक्षण और फ्लू जैसे लक्षण दोनों आपस में मिलते-जुलते हैं जो अक्सर मौसम के बदलाव के दौरान होते हैं. मुश्किल यह है कि चूंकि इस वायरस को ‘स्टील्थ’ ओमिक्रॉन वेरिएंट कहा जा रहा है, यह छिप सकता है. ऐसे में हो सकता है झूठी नेगेटिव रिपोर्ट मिले.”
डॉ. लवकेश आनंद, मेडिकल कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, दिल्ली

सचमुच यह सिर्फ ओमिक्रॉन नहीं है

हालांकि डॉ. अश्विनी सेतिया का कहना है कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण अकेले ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron variant) के लक्षण नहीं हैं, और यह कि वे हमेशा से ही कोविड के लक्षण रहे हैं.

“मेरी अपनी प्रेक्टिस (गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) में, मैंने देखा है कि लोग कोविड के बाद तमाम लक्षणों के साथ आते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह डेल्टा है या ओमिक्रॉन.”
डॉ. अश्विनी सेतिया, गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट

वह आगे कहते हैं, "अब इनकी तरफ इसलिए ज्यादा ध्यान जा रहा है क्योंकि ओमिक्रॉन में दूसरे लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं".

वह कहते हैं, “मरीजों में सबसे आम लक्षण जो मेरे सामने आ रहा है, वह है पेट फूला हुआ महसूस होना (bloating). पहली लहर में मरीजों में डायरिया(Diarrhoea) बहुत ज्यादा था. डेल्टा (Delta) लहर में इन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों में कमी आ गई थी. ये मरीजों में थे लेकिन दूसरे लक्षण इतने गंभीर थे कि किसी का इन पर ध्यान नहीं था.”

“डेल्टा लहर में मृत्यु दर बहुत ज्यादा थी, और मुख्य रूप से फेफड़े में इन्फेक्शन की वजह से बहुत लोग मर रहे थे. कह सकते हैं कि किसी की गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव (GI haemorrhage) से मौत नहीं हुई.”
डॉ. अश्विनी सेतिया, गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट
ADVERTISEMENTREMOVE AD

आंत में क्यों?

ओमिक्रॉन वेरिएंट से आंत में इन्फेक्शन हो रहा है? एक्सपर्ट बता रहे हैं कि कोविड पेट की सेहत पर कैसे असर डालता है.

इसका असर आंत में क्यों?

(फोटो:iStock)

एक्सपर्ट जोर देकर कहते हैं कि कोविड कई अंगों पर असर डालने वाली बीमारी है और हमने शरीर पर इसके असर के विस्तार को अभी समझना शुरू ही किया है.

तो सिर्फ इतना समझ में आया है कि इस बीमारी से आंत भी अछूती नहीं है. हाल के कई अध्ययनों में कोविड से संक्रमित लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों के खतरे के ज्यादा ठोस सबूत मिले हैं.

उदाहरण के लिए किंग्स कॉलेज लंदन के पिछले महीने प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि कोविड-19 छोटी आंत को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है और आंत के माइक्रोबायोम में समस्या पैदा करता है.

कभी-कभी ये लक्षण रोगी के कोविड से ठीक होने के बाद भी सामने आ सकते हैं.

“कई मरीज कोविड होने के तीन-चार महीने बाद अभी भी इस तरह के लक्षणों की शिकायत कर रहे हैं."
डॉ. लवकेश आनंद, मेडिकल कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, दिल्ली

डॉ. सेतिया कहते हैं, “यह (पोस्ट कोविड) कई अलग-अलग लक्षणों का एक घालमेल है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण ऐसे हैं, जो मरीज का ध्यान डॉक्टर के पास जाने और जांच करवाने की तरफ खींचते हैं .”

कोविड सचमुच आंत पर कैसे असर डालता है इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन कुछ थ्योरी और हाइपोथिसिस हैं.

डॉ. सेतिया कहते हैं, “एक वाक्य में कहें तो जवाब है- हम सटीक वजह नहीं जानते हैं.”

ऐसी ही एक हाइपोथिसिस पेश करते हुए डॉ. आनंद कहते हैं, “जब भी कोई नया वेरिएंट आता है, तो कुछ म्यूटेशन होते हैं. इन जेनेटिक बदलाव की वजह से शायद रिसेप्टर्स और वायरस में परस्पर संपर्क में अंतर आता हैं और आंत के अंदरूनी हिस्से (म्यूकोसो) में ज्यादा ट्रोपिज्म (खिंचाव) पैदा होता है, और इसी के चलते यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानी का कारण बनता है.”

सेतिया कहते हैं, “फिलहाल, कोविड से जुड़ी गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी पैन्क्रिया में जलन (pancreatitis) है.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD
“यह भी एक ऐसे ही मैकेनिज्म की वजह से होता है, जहां उस अंग को खून की सप्लाई कम हो जाती है, इसलिए बीमारी अंग के खराबी या खात्मे की ओर ले जाती है और समस्याएं शुरू हो जाती हैं.”
डॉ. अश्विनी सेतिया

वह कहते हैं, “जब खून की सप्लाई रुक जाती है, तो सब कुछ अनिश्चित हो जाता है. हालांकि शरीर भरपाई करता है, मगर यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट की सबसे गंभीर समस्या है, जिसे हमने कोविड मरीजों में देखा है.”

डॉ. आनंद और डॉ. सेतिया दोनों इस बात पर एकमत हैं कि इसकी वजह को गहराई से जानने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है.

इसके लिए कोविड एन्जाइटी जिम्मेदार हो सकती है

डॉ. सेतिया के अनुसार, “कोविड कैसे आंत पर असर डालता है, इसका सिर्फ अंदाजा है. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण के साथ समस्या यह है कि आंत की प्रतिक्रिया दिमागी स्थिति से भी जुड़ी हो सकती है.”

“तनाव और एन्जाइटी के प्रति आंत की प्रतिक्रिया अलग हो सकती है. किसी को पेट में दर्द होगा, किसी को पेट फूलना, किसी को दस्त वगैरह होगा.”

इसका इलाज कैसे किया जाता है?

डॉ. आनंद का कहना है, दूसरे सभी कोविड वेरिएंट्स और लक्षणों की तरह, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों का भी बड़े पैमाने पर परंपरागत ट्रीटमेंट से इलाज किया जाता है. वह कहते हैं, “कोई तयशुदा ट्रीटमेंट नहीं है, या बीमारी को खत्म कर देने की कोई दवा नहीं है. यह खासतौर से लक्षणों का इलाज है.”

डॉ. सेतिया समझाते हैं, इसकी एक वजह यह कि हम इन लक्षणों की सही बुनियादी वजह को नहीं जानते हैं.

डॉ. आनंद गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों को ठीक करने और उनसे बचने के लिए कुछ सुझाव देते हैं,

  • ज्यादा कार्बोहाइड्रेट्स वाली डाइट न लें

  • जंक फूड से परहेज करें, खासकर चिकनाई वाले फूड

  • हो सके तो बाहर के खाने से बचें

  • ज्यादा तरल पदार्थ और फाइबर लें

“ज्यादा पानी पीना बहुत जरूरी है. यह हर वायरल इन्फेक्शन में कारगर है. खुद को बहुत अच्छी तरह हाइड्रेट रखें ताकि यह टाक्सिन को बाहर निकाल दे और आपके शरीर से वायरस को भी निकाल दे और आपको तेजी से ठीक होने में मदद करे.”
डॉ. लवकेश आनंद, मेडिकल कंसल्टेंट, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल, दिल्ली

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें