विक्की डोनर, पीकू जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्मकार शूजित सरकार ने न्यूक्लियर फैमिली की तुलना में ज्वॉइंट फैमिली को ज्यादा बेहतर बताया.
जैसे ही शूजित सरकार ने संयुक्त परिवार वाली व्यवस्था की तारीफ की उन्हें ट्विटर पर स्ट्रॉन्ग रिएक्शंस के साथ आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा. विशेष रूप से महिलाओं की तरफ से जिन्होंने कहा कि ऐसे बयान सिर्फ एक मर्द ही दे सकता है. कई दूसरे लोग भी थे, जिन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि मानसिक तनाव ऐसी घरेलू परिस्थितियों का ही हिस्सा होता है.
हमने इस बारे में मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से बात की. हमने उनसे पूछा कि भावनात्मक भलाई के लिए क्या कोई एक तरह की परिवारिक व्यवस्था दूसरे के मुकाबले ज्यादा बेहतर हो सकती है.
अनिश्चित और अस्पष्ट बयानों में कोई सच्चाई नहीं
फोर्टिस हेल्थकेयर में मेंटल हेल्थ और बिहेवियरल साइंस डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ समीर पारिख का कहना है कि इस तरह के अनिश्चित और अस्पष्ट बयान देना ठीक नहीं है.
हमें जरूरत से ज्यादा सामान्यीकरण से दूर रहने की आवश्यकता है. पहली बात ये है कि हम क्या तुलना कर रहे हैं? क्या वे दो समान चीजें हैं भी या नहीं? जब आप संयुक्त परिवार कहते हैं, तो क्या आपका मतलब एक आदर्श, बिना लड़ाई झगड़े वाली, सामंजस्य वाली संरचना है?डॉ समीर पारिख
डॉक्टर इस बात पर जोर देते हैं कि, अगर हम एक आदर्श परिवार की बात कर रहे हैं, तो बेशक ये एक बेहतर विकल्प है. ये कई मायनों में जैसे इमोशनल सपोर्ट, अलगाव और अकेलेपन को खत्म करने में फायदेमंद है.
एक और महत्वपूर्ण पहलू जहां एक संयुक्त परिवार फायदेमंद है, वो है बच्चों की परवरिश और दुःख और सेलिब्रेशन का समय. जरूरत के समय आपके आसपास लोग मौजूद रहते हैं. भले ही सभी लोग इससे सहमत न हों.
ज्वॉइंट फैमिली या न्यूक्लियर फैमिली?
नई दिल्ली स्थित साइकॉलोजिस्ट डॉ अरुणा ब्रूटा कहती हैं, बात जब बच्चों की परवरिश करने की आती है, तो ये दुविधा पैदा होती है.
बच्चों के पालन-पोषण के लिए संयुक्त परिवार का माहौल अच्छा माना जाता है. यह एक बड़ा मिथक है और मैं यह साबित कर दूंगी कि कैसे. लेकिन इससे पहले, आइए एक संयुक्त परिवार और जो इसकी जरूरत पर जोर देते हैं, उन पर नजर डालें.डॉ अरुणा ब्रूटा
दो बातों पर ध्यान दिया जाना है:
- परिवार के हर सदस्य का नेचर
- पावर डायनेमिक्स
उदाहरण के लिए, अगर परिवार का कोई अन्य सदस्य बच्चों की देखरेख कर रहा है, तो वो अंततः इसे एक प्रतिबंधित जिम्मेदारी के रूप में देखना शुरू कर सकता है. और वह इसे माता या पिता या दोनों के खिलाफ रखना शुरू कर देगा. इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए डॉ ब्रूटा एक और महत्वपूर्ण अवधारणा को ध्यान में रखती हैं, जो कि कार्यात्मक स्वायत्तता है.
सरल शब्दों में, कार्यात्मक स्वायत्तता किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को अपनी सीमा में अपनी खुशी को परिभाषित करने के लिए संदर्भित करती है. मेरे लिए खुशी एक किताब को चुपचाप पढ़ना हो सकता है, जबकि परिवार के किसी दूसरे सदस्य के लिए जंक फूड खाना हो सकता है. यह व्यक्ति का सहज आनंद है.डॉ अरुणा ब्रूटा
हालांकि, सास और बहू के मामले में, सास को लग सकता है कि उसे अपने समय के दौरान कार्यात्मक स्वायत्तता की अनुमति नहीं थी. ऐसे में वह बहू से भी इसे वापस लेना चाहेगी. अगर वह (सास) बच्चों की देखभाल कर रही है, तो उनके पास बहुत सारे गुण होंगे. इसे स्वतंत्रता के एक रूप या सशक्त भूमिका के रूप में देखने की बजाए, वह इसकी शिकायत करेंगी.
मैं हर दिन उस तरह के मरीजों से डील करती हूं, जहां किसी परिवार का एक बड़ा-बुजुर्ग सदस्य युवा पीढ़ी को कंट्रोल करने में सक्षम होना चाहता है. वे कहते हैं कि बड़ों का रौब होना चाहिए (बड़ों के पास एक निश्चित पावर होनी चाहिए). मैं उन्हें बताती हूं कि केवल जानवरों को कंट्रोल किया जाता है, मनुष्य तो एक साथ रहते हैं.डॉ अरुणा ब्रूटा
समस्या जेंडर नहीं, गलत तुलना है
डॉ पारिख कहते हैं कि यह कोई जेंडर इश्यू नहीं है, बल्कि दोषपूर्ण तुलनाओं में से एक है.
संयुक्त परिवारों में लोग जिस इमोशनल सपोर्ट की बात करते हैं, वह एकल परिवारों में भी हो सकता है. और हो सकता है कि संयुक्त परिवार में भी इसका पूरा अभाव हो. हालांकि, यह कहना कि एक एकल परिवार एक सुसंगत संयुक्त परिवार के लाभों को प्रभावित करेगा, यह भी गलत है.डॉ समीर पारिख
एक और आलोचना जो कभी-कभी एक संयुक्त परिवार के लोगों की होती है, वह यह है कि यह परिवार के 'प्रमुख' लिए एक ‘अलग जगह’ हो सकती है.
डॉ पारिख इसका जवाब देते हैं:
परिवार को देखने का यह एक बहुत ही विकृत तरीका है. परिवार कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है, कोई संगठन नहीं है. परिवार में एक लीडर की अवधारणा पुरानी हो चुकी है.
वह कहते हैं, अकेलापन एक वास्तविक चिंता है. इसके विपरीत, यह कुछ ऐसा है जिसके साथ बहुत से यंग पेरेंट्स संघर्ष करते हैं. इसमें सांस्कृतिक शिक्षा, नैतिकता, भावनात्मक बेहतरी जैसी चीजें भी हैं, जो एक स्थिर संयुक्त परिवार को अपने सदस्यों को देनी होती है.
अपने पोते-पोतियों के साथ दादा-दादी के रिश्ते को देखें. ऐसे कई प्रमाण हैं, जो यह दर्शाते हैं कि बच्चों की बेहतरी के लिए यह फायदेमंद है.डॉ समीर पारिख
आगे रास्ता क्या है?
डॉ पारिख एक सामंजस्यपूर्ण पारिवारिक स्थान के विचार से सहमत हैं, जहां सपोर्ट, प्यार और केयर है. डॉ ब्रूटा कहती हैं, जिस तरह की हमारी लाइफस्टाइल हैं, उसमें हम धैर्य और सुनने की क्षमता खो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमें शांतिपूर्ण संयुक्त पारिवारिक स्थिति हासिल करने के लिए ताकत रखने की इच्छा को छोड़ना होगा.
पर्सनल प्रोग्रेस, व्यक्तिवाद, स्पेस, फ्रीडम हम सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं. अगर ये हमें संयुक्त परिवार में मिलती है, तो कोई समस्या नहीं है.डॉ अरुणा ब्रूटा
डॉक्टर का निष्कर्ष हैं कि समस्या तब पैदा होती है, जब हम लोगों को कंट्रोल करने की इच्छा रखते हैं.
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