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Monsoon Cravings: बारिश होते ही क्यों होने लगती है पकौड़े खाने की तलब?

Monsoon Food Cravings: बारिश और पकौड़ों का कनेक्शन क्या है?

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Monsoon And Fried Foods: बारिश होते ही चाय के साथ पकौड़े खाने की जो तलब होती है, उसे अधिकतर लोगों ने महसूस किया होगा. बारिश जैसा मौसम बनते ही भारतीय घरों में चाय-पकौड़े बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है. कई लोगों का मानना है कि बरसात के मौसम का मजा चाय-पकौड़ों के बिना अधूरा ही रह जाता है. पर क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? आखिर बारिश और पकौड़ों का कनेक्शन क्या है? क्यों होने लगती है बारिश होते ही पकौड़े खाने की तलब? फिट हिंदी ने इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए एक्सपर्ट से बात की.

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बारिश होते ही क्यों होने लगती है पकौड़े खाने की तलब?

चिलचिलाती गर्मी और लू के लंबे दिनों को झेलने के बाद लगभग हर भारतीय मानसून के मौसम का इंतजार करता है. भारतीय घरों में मानसून का मौसम गर्मागर्म पकौड़ों के बिना अधूरा सा लगता है. वैसे तो आजकल तले-भुने खाने से दूरी बनाने में ही भलाई है पर ये आम मौसमी लालसाएं होती हैं, जो अक्सर हमें इन मौसमी खुशियों के लिए अपने हेल्दी डाइट को छोड़ने पर मजबूर कर देती हैं. जानते हुए कि सड़क पर मिलने वाले कुरकुरे तले-भुने व्यंजनों और मसालेदार चटनी की थाली हमारे हेल्थ के लिए नुकसानदेह है, हम तब भी उस ओर खींचे चले जाते हैं.

"ये एक नेचुरल क्रेविंग है, जो शरीर में आलस और उदासी छाने के बाद होती है. ऐसे में गर्मागर्म चीजें खाने की इच्छा होना आम बात है. इसका एक कारण है बारिश के मौसम में हमारे शरीर को जरूरत के मुताबिक धूप नहीं मिल पाती. जिसका मतलब है विटामिन डी की कमी होने लगना."
लक्ष्मी मिश्रा, क्लिनिकल डायटीशियन एंड सीडीई, फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण

एक्सपर्ट लक्ष्मी मिश्रा आगे कहती हैं कि मानसून के मौसम में शरीर में सेरोटोनिन हॉर्मोन की कमी होने लगती है, जिसकी वजह से कार्बोहाइड्रेट वाले फूड खाने की तलब बढ़ जाती है और हाई कार्ब फूड खाने के बाद ही शरीर में सेरोटोनिन हॉर्मोन का लेवल बढ़ता है.

पकौड़े खाने चाहिए या नहीं?

बरसात के मौसम में तले-भुने खाने की इच्छा होना बहुत आम बात है. ऐसे में लोग पकोड़े और दूसरे डीप फ्राइड फूड खाना पसंद करते हैं. याद रखें, लिवर और गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल सिस्‍टम की परेशानियां इस मौसम में आम होती हैं. एक्सपर्ट के अनुसार, घर पर बने पकौड़े कभी-कभार खाने में कोई हर्ज नहीं है.

"मेरी सलाह में हफ्ते में 1-2 बार पकौड़े खाए जा सकते हैं. कभी-कभी खाने में कोई हर्ज नहीं है."
लक्ष्मी मिश्रा, क्लिनिकल डायटीशियन एंड सीडीई, फोर्टिस हॉस्पिटल, कल्याण

लक्ष्मी मिश्रा कहती हैं कि कई लोगों को बेसन से बने पकौड़े खाने से एसिडिटी, ब्लोटिंग, कॉन्स्टिपेशन की समस्या होने लगती है या बढ़ जाती है. घर पर पकौड़े बनाते समय उसमें अजवाइन डाल दें. इससे एसिडिटी, ब्लोटिंग की समस्या दूर रहेगी. अजवाइन के पत्तों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

बारिश के महीनों में, स्‍ट्रीट फूड खाने से बचना चाहिए क्योंकि इस बात की आशंका हो सकती है कि गली-नुक्‍कड़ पर स्टॉल वाले जिन चीजों को बेचते हैं उसे पकाते वक्त साफ-सफाई का ख्याल नहीं रखा गया हो. इस कारण दूषित पानी से फैलने वाले रोगों की आशंका बढ़ जाती है. 

बारिश का मजा उठाते हुए पकौड़े खाने से पहले इन बातों को ध्यान में रखें

स्टडीज के मुताबिक, मानसून के दौरान उमस भरा मौसम पूरे पाचन तंत्र को सुस्त बना देता है. कई लोगों को पेट की समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि मानसून के नमी भरे मौसम में बीमारी फैलाने वाले माइक्रोब्स की संख्या बढ़ जाती है. 
  • बारिश के मौसम में आप तले हुए स्नैक्स खाना चाहते हैं, तो घर का बना स्नैक्स खाना बेहतर है.

  • पकौड़े के प्रकार को ध्यान से चुनें क्योंकि आम धारणा है कि बरसात के मौसम में हरी और पत्तेदार सब्जियों में बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति होती है. 

  • पकौड़े के स्वाद और अनुभव का आनंद लेने पर ध्यान दें और उससे पेट भरने से बचें.

  • जब तले हुए फूड और स्नैक्स की बात आती है, तो बचा हुआ खाना नहीं खाने में ही भलाई है क्योंकि बरसात का मौसम पेट को सेंसिटिव बना देता है और जब हम बचे हुए तले स्नैक्स खाते हैं, तो इससे हमारे बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है.

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