World Population Day: वैश्विक जनसंख्या डेटा और प्रजनन दर, स्कूल नामांकन में जेंडर समानता और रोजगार, स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़े मुद्दों को उजागर करने के प्रयास में हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है. उद्देश्य, अनिवार्य रूप से, जनसंख्या बढ़ने के बावजूद सतत अस्तित्व के लिए मार्ग प्रशस्त करना है.
विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना पहली बार 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा की गई थी.
इस वर्ष की थीम है, जेंडर समानता की शक्ति को उजागर करना: हमारी दुनिया की अनंत संभावनाओं को खोलने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज को ऊपर उठाना.'
इस विश्व जनसंख्या दिवस पर, आइए भारत में कुछ जनसंख्या डेटा पर नजर डालते हैं.
संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुमान के अनुसार, पृथ्वी पर आठ अरबवें व्यक्ति का जन्म नवंबर 2023 में हुआ था. 1.4 बिलियन से अधिक लोगों की आबादी के साथ, इस साल की शुरुआत में, भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया.
संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, जबकि चीन की जनसंख्या चरम पर है और गिरावट का अनुभव कर रही है, भारत की जनसंख्या बढ़ने की संभावना है.
प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Centre) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जनसंख्या में यह अनुमानित वृद्धि मुख्य रूप से तीन मुख्य कारकों से संबंधित है:
अपेक्षाकृत युवा जनसंख्या (younger population)
उच्च प्रजनन दर (High fertitility Rate)
शिशु मृत्यु दर में कमी (Decreasing Infant Mortality Rate)
रिपोर्ट के अनुसार, 1990 के बाद से भारत की शिशु मृत्यु दर में 70 प्रतिशत की कमी आई है.
लेकिन, यह सब अच्छी खबर नहीं है. अधिक लोगों का मतलब है खिलाने के लिए अधिक मुंह. भारत दुनिया में अल्पपोषित लोगों का सबसे बड़ा योगदानकर्ता है.
भारत में लगभग 194.4 मिलियन लोगों को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है.
इससे संसाधनों पर भी दबाव पड़ता है.
Water.org के अनुसार, भारत की लगभग 6 प्रतिशत आबादी के पास सुरक्षित जल तक पहुंच नहीं है, और 229 मिलियन लोगों के पास उचित स्वच्छता तक पहुंच नहीं है.
भारत में बेरोजगारी और अल्प-बेरोजगारी गंभीर मुद्दे बने हुए हैं.
विश्व बैंक के अनुसार, एक बड़ा हिस्सा, विशेष रूप से भारत की कुल आबादी का 43 प्रतिशत, प्रति दिन 264.37 रुपये से कम पर जीवन यापन करता है.
कार्यबल से महिलाओं के गायब होने की चिंताजनक प्रवृत्ति भी है.
जबकि भारत में 52.8 प्रतिशत महिला आबादी रोजगार योग्य है, भारत की महिला श्रम भागीदारी दर 2005 में 32 प्रतिशत से घटकर 2021 में 19 प्रतिशत हो गई है.
लब्बोलुआब यह है कि जनसंख्या बढ़ने के बावजूद खेल का मैदान असमान बना हुआ है. भेदभाव, और आर्थिक असमानता अनसुलझे हैं, और इन जनसंख्या मुद्दों की तात्कालिकता पर ध्यान आकर्षित करने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है.
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