World Population Day 2023: हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. जैसा कि हम जानते हैं भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है और भारत की गिनती युवा देशों में होती है. आज, 10 से 24 वर्ष की आयु-वर्ग के युवा, दुनिया की आबादी का एक चौथाई हिस्सा हैं. भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी रहती है और कुल जनसंख्या का लगभग 66% (808 मिलियन से अधिक) 35 वर्ष से कम आयु का है.
ऐसे में आज हम भारतीय युवाओं के सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ केयर के बारे में बात करेंगे. देश के युवाओं के लिए कैसी है हेल्थ केयर सर्विस? क्यों युवाओं का सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सूचना और सेवाओं तक पहुंचना कठिन है? क्या है इस समस्या का हल? युवाओं के लिए कैसी होनी चाहिए हेल्थ केयर सर्विस? हेल्थ केयर एक्सपर्ट कैसे कर सकते हैं युवाओं की सहायता? आइए जानते हैं इन सवालों पर क्या है एक्सपर्ट्स का कहना.
World Population Day: युवाओं के लिए कैसी होनी चाहिए हेल्थ केयर सर्विस?
1. देश के युवाओं के लिए कैसी है हेल्थ केयर सर्विस?
फिट हिंदी से बात करते हुए पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया में यूथ एंड एडोलसेंस की एसोसिएट लीड, रिया ठाकुर ने देश में युवाओं के हेल्थ केयर में सुधार की जरूरत पर जोर दिया. रिया ठाकुर कहती हैं कि भारत में युवाओं, खास कर किशोर/किशोरियों के लिए हेल्थ केयर सर्विस में सुधार के लिए व्यापक (comprehensive) और सही नजरिए की जरूरत है.
इनमें सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ, मेंटल हेल्थ, पोषण, गैर-संक्रामक रोग, लैंगिक हिंसा और नुकसानदायक दवाओं के सेवन से जुड़ी परेशानियों से निपटना शामिल है.
एक्सपर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) और स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसी पहलें सही दिशा में उठाए गए कदम हैं, लेकिन अभी और सुधार आवश्यक है, खासकर एसआरएच (SRH) की पहुंच और सूचना के मामले में.
वहीं ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरत प्रवीर महतो का कहना है कि युवा, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के लिए माता-पिता और परिवार पर ही निर्भर रहते हैं. ऐसे में इमोशनल या सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव समस्याओं से संबंधित चिकित्सकीय सलाह लेने के लिए माता-पिता को शामिल करने में झिझक होना स्वाभाविक है.
फिट हिंदी से बात करते हुए प्रवीर महतो ने स्वास्थ्य केंद्रों में सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ और मेंटल हेल्थ के लिए युवाओं को अनुकूल सेवाओं के हालत पर बात की.
"आज भी मेंटल हेल्थ एक बहुत बड़ा अछूता पहलू है, जिसपर ध्यान दिया जाना बेहद जरुरी है. किशोरों में बढ़ती हुई आत्महत्या की प्रवृति के मद्देनजर यह बहुत ही जरूरी मुद्दा है."
प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरतएक्सपर्ट रिया ठाकुर कहती हैं,
"राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) और स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसी पहलें सही दिशा में उठाए गए कदम हैं, लेकिन अभी और सुधार आवश्यक है, खासकर एसआरएच की पहुंच और सूचना के मामले में."
रिया ठाकुर, एसोसिएट लीड - यूथ एंड एडोलसेंस, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडियाक्लाउडनाइन हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट- ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट- डॉ. मधु जुनेजा का कहना है कि हेल्थ केयर सेवाओं की गुणवत्ता देश के विभिन्न हिस्सों में भिन्न हो सकती हैं. कुछ स्थानों पर, वे समय से पहुंचने योग्य और गुणवत्तापूर्ण हो सकती हैं, जबकि दूसरे स्थानों पर उनमें सुधार की जरूरत है.
Expand2. क्यों युवाओं का सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सूचना और सेवाओं तक पहुंचना कठिन है?
इंटरनेट के इस युग में, दुनिया भर की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है लेकिन उसकी विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना मुश्किल है. इस कारण युवा अक्सर गलत सूचनाओं के शिकार हो जाते हैं. वे अक्सर सेक्सुअल हेल्थ के मुद्दों पर चर्चा करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं और इन चिंताओं को उठाने में उन्हें दोषी ठहराए जाने का डर रहता है. यही कारण है कि युवा किसी स्वास्थ्य केंद्र में जाने से घबराते हैं, जिससे उनके हेल्थ पर भी भी प्रभाव पड़ता है.
ज्यादातर युवा-वर्ग को अपने स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया जाता और अधिकतर वे किसी उम्रदराज व्यक्ति के साथ ही स्वास्थ्य केंद्र में जाते हैं. ऐसे में खुलकर चर्चा कर पाना उनके लिए संभव नहीं हो पाता है.
"विद्यालयों में यौन और प्रजनन संबंधी जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन जो विद्यालय नहीं जा पाते उनके लिए समस्याएं जस की तस हैं. कई बार हेल्थ केयर एक्सपर्ट की विषय पर कम जानकारी, उनका नेगेटिव और जजमेंटल (judgemental) व्यवहार अपमानजनक होता है, जो युवाओं को इस तरह की सेवाएं लेने से रोकता है."
प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरतप्रवीर महतो आगे कहते हैं, "साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों में गोपनीयता की कमी और वहां का गैर-मैत्रीपूर्ण (unfriendly) वातावरण और कई बार सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ की कमी भी युवाओं को इन सुविधाओं तक पहुंचने से रोकता है. आज भी कई युवा सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में जाना नहीं चाहते और प्राइवेट हॉस्पिटल की ऊंची शुल्क वो दे नहीं पाते. इन सभी कारणों से युवाओं में सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सूचनाओं और सेवाओं का पहुंचना कठिन है."
"हां, यह सच है कि बहुत से युवाओं के लिए सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ से संबंधित सूचना और सेवाओं तक पहुंचना कठिन हो सकता है. इसके कारण हो सकते हैं, समाज का बनाया टैबू, ज्ञान और उपयुक्त सेवाओं की कमी."
डॉ. मधु जुनेजा, सीनियर कंसल्टेंट- ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, कल्याणी नगर, पुणेइस सवाल के जवाब में एक्सपर्ट रिया ठाकुर कहती हैं, "पूर्वाग्रह, सेक्सुअल एजुकेशन तक सीमित पहुंच, यूथ-फ्रेंडली हेल्थकेयर सर्विसेज की कमी, इंटरनेट पर गलत सूचना और ट्रेंड सर्विस प्रोवाइडर्स के अभाव की वजह से युवाओं के लिए सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी जानकारी और सेवाओं तक पहुंच चुनौतीपूर्ण हो सकती है.".
"मासिक धर्म, सेक्सुएलिटी और प्रेगनेंसी जैसे विषयों पर चुप्पी की वजह से ये वर्जित विषय बन जाते हैं. हम अक्सर पढ़े-लिखे नवविवाहित दंपत्तियों को गर्भपात की सेवाएं लेते देखते हैं, जो दरअसल, हमारे मौजूदा गर्भनिरोधक कार्यक्रमों की विफलता की ओर इशारा करता है."
डॉ. नेहा गुप्ता, सीनियर कंसल्टैंट – ऑब्सटैट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडाExpand3. क्या है इस समस्या का हल?
इन चुनौतियों से निपटने के लिए बहुआयामी नजरिए की जरूरत है. स्कूली पाठ्यक्रम और सामुदायिक स्तर पर सेक्सुअल एजुकेशन को एक साथ लाना बेहद जरूरी है.
"संवेदनशील अभिभावक और कम्युनिटी स्टेक होल्डर पॉजिटिव वातावरण बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, जो एसआरएच को लेकर खुली और स्वस्थ चर्चा को प्रोत्साहित करता है और सामाजिक पूर्वाग्रहों को चुनौती देता है. पॉजिटिव नजरिया को बढ़ावा देने और गलत सूचनाओं को फैलने से रोकने के लिए कम्युनिटी एंगेजमेंट प्रोग्राम और सोशल एंड विहैवियर चेंज कम्युनिकेशन इंटरवेंशंस आवश्यक हैं."
रिया ठाकुर, एसोसिएट लीड - यूथ एंड एडोलसेंस, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडियागोपनीय और सही केयर उपलब्ध कराने के लिए यूथ-फ्रेंडली हेल्थकेयर सर्विसेज बनाना जरुरी है. युवाओं के स्पेसिफिक रिक्वायरमेंट्स (specific requirement) को समझने के लिए हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स को प्रशिक्षित करना जरूरी है.
चैटबॉट्स और डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म्स जैसे तकनीक-आधारित उपायों की मदद से एसआरएच इंफॉर्मेशन और रिसोर्सेज तक पहुंच में सुधार होता है, खासकर दूर दराज के पिछड़े क्षेत्रों के युवाओं के लिए.
स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों के भीतर सेफ स्पेस बनाना, जहां युवाओं को सहजता से मदद मिल सके और एसआरएच सेवाओं तक उनकी पहुंच हो, बेहद आवश्यक है.
इसी सवाल का जवाब देते हुए ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया के प्रवीर महतो ने एक महत्वपूर्ण पहलू की ओर हमारा ध्यान खींचा.
उनके अनुसार, सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ संबंधी सूचना के प्रसार में सेक्स एजुकेशन पर प्रभावी पाठ्यक्रम और शिक्षण/शिक्षण सामग्री (learning materials) का अभाव एक बहुत बड़ी समस्या है. इस तरह की शिक्षा कम उम्र से ही मिलनी चाहिए और उम्र के अनुसार इसका पाठ्यक्रम होना चाहिए.
"इसमें यौन स्वास्थ्य संबंधी विषयों के बारे में वैज्ञानिक रूप से सटीक जानकारी के साथ समानता, सशक्तिकरण (empowerment), गैर-भेदभाव और डायवर्सिटी के मानदंडों को भी शामिल किया जाना चाहिए."
प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरतकिताबों में जानकारी को दिलचस्प और सटीक तरीके से बताना चाहिए ताकि किशोरों की दिलचस्पी इसमें बनी रहे और शिक्षकों को भी उचित जानकारी और ट्रेनिंग मिलनी चाहिए.
"साथ ही समुदायों में भी जागरूकता बढ़ाना जरूरी है ताकि सांस्कृतिक और धार्मिक नेताओं का विरोध खत्म किया जा सके."
प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरतExpand4. युवाओं के लिए कैसी होनी चाहिए हेल्थ केयर सर्विस?
भारत जैसे युवा देश के युवाओं को यूथ फ्रेंडली हेल्थ केयर की आवश्यकता है, जो ग्रामीण/शहरी क्षेत्रों में किशोरों को गोपनीय, गैर-निर्णयात्मक (non-judgemental) और उम्र के हिसाब से रिप्रोडक्टिव हेल्थ और गर्भनिरोधक सेवाएं प्रदान करती हों. इससे अनचाही प्रेगनेंसी को कम करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी.
"युवाओं को सही और बिना जज किए काउंसलिंग प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उन्हें सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ समस्याओं से निपटने की सही जानकारी मिल सके. साथ ही परिवार नियोजन, सुरक्षित गर्भपात, मासिक धर्म, एसटीडी से संबंधित सही सलाह दी जानी चाहिए और मिथकों को दूर किया जाना चाहिए."
प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरतप्रवीर महतो के अनुसार, आज के युग में बड़े पैमाने पर मौजूद ऑनलाइन इनफार्मेशन के कारण आज के युवाओं को अपने से पहले की पीढ़ियों की तुलना में अधिक उम्मीदें हैं, अपने अधिकारों की मजबूत समझ है और अपनी क्षमता और लक्ष्य (goal) की स्पष्ट दृष्टि है. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्हें उचित उपकरण, अवसर, मार्गदर्शन और हेल्थ केयर की आवश्यकता है.
"हेल्थ केयर सेवाएं युवाओं के लिए सुलभ, समय पर और गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए. यह सेवाएं उनकी आवश्यकताओं और आराम के अनुसार होनी चाहिए और वे इन सेवाओं को प्राप्त करने में संकोच नहीं करने चाहिए.
डॉ. मधु जुनेजा, सीनियर कंसल्टेंट- ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, कल्याणी नगर, पुणेमातृत्व संबंधी यानी मैटरनल हेल्थ सुविधाओं को किशोरियों और महिलाओं को समान रूप से प्रदान किया जाना चाहिए. घरेलू हिंसा, बाल यौन शोषण और दूसरी प्रताड़ना से पीड़ित युवाओं को मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उबरने में पूरी सहायता प्रदान की जानी चाहिए. साथ ही उन्हें मुख्यधारा में बनाए रखने का पूरा प्रयास किया जाना चाहिए. आज भी मानसिक स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा अछूता पहलू है, जिसपर ध्यान दिया जाना अत्यावश्यक है.
Expand5. हेल्थ केयर प्रोवाइडर किस प्रकार युवाओं की सहायता कर सकते हैं?
हेल्थ केयर प्रोवाइडर खास तौर पर सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सुविधाओं को प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं. हेल्थ केयर प्रोवाइडर ऐसे कर सकते हैं युवाओं कि मदद:
युवाओं को सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सेवाएं प्रदान करते समय संवेदनशील, सम्मानजनक व्यवहार रखना और गोपनीयता को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है ताकि युवा बिना किसी भय और संकोच के खुलकर अपनी बात कर सकें.
फैमिली प्लानिंग, यौन संचारी रोग (STD), सेफ एबॉर्शन की सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना और उनसे जुड़ी सभी सटीक जानकारी उपलब्ध कराना हेल्थ केयर प्रोवाइडर की ही जिम्मेदारी है.
यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि स्वास्थ्य केंद्रों को युवाओं के अनुकूल बनाया जाए और इसमें हेल्थ केयर प्रोवाइडर का उचित व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण है.
महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उससे जुड़े संकटों से निपटने के लिए संबंधित संगठनों की मदद से रणनीति बनाना और उस काम को पूरा करना भी जरुरी है.
युवाओं को आवश्यकता अनुसार और बिना शर्मिंदगी का एहसास दिलाए सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ से संबंधित सही जानकारी और सेवाएं प्रदान करना हेल्थ केयर प्रोवाइडर की जिम्मेदारी है.
इन सभी कार्यों को सफल तरीके से पूरा करने के लिए युवाओं की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना भी हेल्थ केयर प्रोवाइडर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
Expand6. जनसंख्या दिवस पर एक्सपर्ट्स की सलाह
वर्तमान में दुनिया की आबादी सात बिलियन से अधिक हो चुकी है. राष्ट्रीय युवा नीति के अनुसार 13 से 35 वर्ष की आयु-वर्ग को युवा के रूप में पहचाना जाता है, जो भारतीय जनसंख्या का लगभग 40% है. इस बड़े हिस्से की आकांक्षाएं और उपलब्धियां जाहिर तौर पर भविष्य को आकार देंगी. देश की भलाई में निश्चय ही युवाओं की एक बहुत बड़ी भूमिका है. इनके विकास के लिए स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का होना बेहद जरुरी है.
"इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस का विषय लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना है, जिसमें हमारी दुनिया की अनगिनत संभावनाओं को खोलने के लिए महिलाओं और बालिकाओं की आवाज को ऊपर उठाने और उनके लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जा रहा है."
प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरतडॉ. नेहा गुप्ता कहती हैं, "देश के युवाओं को समझदारी के साथ अपने प्रजनन अधिकारों का इस्तेमाल करना आना चाहिए ताकि वे सस्टेनेबल विकास के लायक बन सकें. अनचाही प्रेगनेंसी को समाप्त करना ही सही मायने में रिप्रोडक्टिव अधिकारों का सही इस्तेमाल करना है. किसी भी प्रगतिशील और खुशहाल समाज में, लैंगिक समानता और महिलाओं का सशक्तिकरण बेहद जरूरी है".
"युवा जनसंख्या वृद्धि और उसके परिणामों के प्रति जागरूक रहें और समय रहते अपने भविष्य के निर्णयों पर विचार करें. यह उनका दायित्व है कि वे अपने और देश के भविष्य के लिए सही कदम उठाएं."
डॉ. मधु जुनेजा, सीनियर कंसल्टेंट- ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, कल्याणी नगर, पुणेरिया ठाकुर फिट हिंदी से कहती हैं, "10 से 24 साल आयु वर्ग की 379 मिलियन युवा आबादी के साथ, भारत आर्थिक वृद्धि और विकास के मामले में विश्व में लीडर बनने की क्षमता रखता है. इस लक्ष्य को पाने के लिए युवाओं के लिए शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाई जानी चाहिए और उनमें निवेश किया जाना चाहिए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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देश के युवाओं के लिए कैसी है हेल्थ केयर सर्विस?
फिट हिंदी से बात करते हुए पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया में यूथ एंड एडोलसेंस की एसोसिएट लीड, रिया ठाकुर ने देश में युवाओं के हेल्थ केयर में सुधार की जरूरत पर जोर दिया. रिया ठाकुर कहती हैं कि भारत में युवाओं, खास कर किशोर/किशोरियों के लिए हेल्थ केयर सर्विस में सुधार के लिए व्यापक (comprehensive) और सही नजरिए की जरूरत है.
इनमें सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ, मेंटल हेल्थ, पोषण, गैर-संक्रामक रोग, लैंगिक हिंसा और नुकसानदायक दवाओं के सेवन से जुड़ी परेशानियों से निपटना शामिल है.
एक्सपर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) और स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसी पहलें सही दिशा में उठाए गए कदम हैं, लेकिन अभी और सुधार आवश्यक है, खासकर एसआरएच (SRH) की पहुंच और सूचना के मामले में.
वहीं ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरत प्रवीर महतो का कहना है कि युवा, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के लिए माता-पिता और परिवार पर ही निर्भर रहते हैं. ऐसे में इमोशनल या सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव समस्याओं से संबंधित चिकित्सकीय सलाह लेने के लिए माता-पिता को शामिल करने में झिझक होना स्वाभाविक है.
फिट हिंदी से बात करते हुए प्रवीर महतो ने स्वास्थ्य केंद्रों में सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ और मेंटल हेल्थ के लिए युवाओं को अनुकूल सेवाओं के हालत पर बात की.
"आज भी मेंटल हेल्थ एक बहुत बड़ा अछूता पहलू है, जिसपर ध्यान दिया जाना बेहद जरुरी है. किशोरों में बढ़ती हुई आत्महत्या की प्रवृति के मद्देनजर यह बहुत ही जरूरी मुद्दा है."प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरत
एक्सपर्ट रिया ठाकुर कहती हैं,
"राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) और स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसी पहलें सही दिशा में उठाए गए कदम हैं, लेकिन अभी और सुधार आवश्यक है, खासकर एसआरएच की पहुंच और सूचना के मामले में."रिया ठाकुर, एसोसिएट लीड - यूथ एंड एडोलसेंस, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया
क्लाउडनाइन हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट- ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट- डॉ. मधु जुनेजा का कहना है कि हेल्थ केयर सेवाओं की गुणवत्ता देश के विभिन्न हिस्सों में भिन्न हो सकती हैं. कुछ स्थानों पर, वे समय से पहुंचने योग्य और गुणवत्तापूर्ण हो सकती हैं, जबकि दूसरे स्थानों पर उनमें सुधार की जरूरत है.
क्यों युवाओं का सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सूचना और सेवाओं तक पहुंचना कठिन है?
इंटरनेट के इस युग में, दुनिया भर की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है लेकिन उसकी विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना मुश्किल है. इस कारण युवा अक्सर गलत सूचनाओं के शिकार हो जाते हैं. वे अक्सर सेक्सुअल हेल्थ के मुद्दों पर चर्चा करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं और इन चिंताओं को उठाने में उन्हें दोषी ठहराए जाने का डर रहता है. यही कारण है कि युवा किसी स्वास्थ्य केंद्र में जाने से घबराते हैं, जिससे उनके हेल्थ पर भी भी प्रभाव पड़ता है.
ज्यादातर युवा-वर्ग को अपने स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया जाता और अधिकतर वे किसी उम्रदराज व्यक्ति के साथ ही स्वास्थ्य केंद्र में जाते हैं. ऐसे में खुलकर चर्चा कर पाना उनके लिए संभव नहीं हो पाता है.
"विद्यालयों में यौन और प्रजनन संबंधी जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन जो विद्यालय नहीं जा पाते उनके लिए समस्याएं जस की तस हैं. कई बार हेल्थ केयर एक्सपर्ट की विषय पर कम जानकारी, उनका नेगेटिव और जजमेंटल (judgemental) व्यवहार अपमानजनक होता है, जो युवाओं को इस तरह की सेवाएं लेने से रोकता है."प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरत
प्रवीर महतो आगे कहते हैं, "साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों में गोपनीयता की कमी और वहां का गैर-मैत्रीपूर्ण (unfriendly) वातावरण और कई बार सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ की कमी भी युवाओं को इन सुविधाओं तक पहुंचने से रोकता है. आज भी कई युवा सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में जाना नहीं चाहते और प्राइवेट हॉस्पिटल की ऊंची शुल्क वो दे नहीं पाते. इन सभी कारणों से युवाओं में सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सूचनाओं और सेवाओं का पहुंचना कठिन है."
"हां, यह सच है कि बहुत से युवाओं के लिए सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ से संबंधित सूचना और सेवाओं तक पहुंचना कठिन हो सकता है. इसके कारण हो सकते हैं, समाज का बनाया टैबू, ज्ञान और उपयुक्त सेवाओं की कमी."डॉ. मधु जुनेजा, सीनियर कंसल्टेंट- ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, कल्याणी नगर, पुणे
इस सवाल के जवाब में एक्सपर्ट रिया ठाकुर कहती हैं, "पूर्वाग्रह, सेक्सुअल एजुकेशन तक सीमित पहुंच, यूथ-फ्रेंडली हेल्थकेयर सर्विसेज की कमी, इंटरनेट पर गलत सूचना और ट्रेंड सर्विस प्रोवाइडर्स के अभाव की वजह से युवाओं के लिए सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी जानकारी और सेवाओं तक पहुंच चुनौतीपूर्ण हो सकती है.".
"मासिक धर्म, सेक्सुएलिटी और प्रेगनेंसी जैसे विषयों पर चुप्पी की वजह से ये वर्जित विषय बन जाते हैं. हम अक्सर पढ़े-लिखे नवविवाहित दंपत्तियों को गर्भपात की सेवाएं लेते देखते हैं, जो दरअसल, हमारे मौजूदा गर्भनिरोधक कार्यक्रमों की विफलता की ओर इशारा करता है."डॉ. नेहा गुप्ता, सीनियर कंसल्टैंट – ऑब्सटैट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा
क्या है इस समस्या का हल?
इन चुनौतियों से निपटने के लिए बहुआयामी नजरिए की जरूरत है. स्कूली पाठ्यक्रम और सामुदायिक स्तर पर सेक्सुअल एजुकेशन को एक साथ लाना बेहद जरूरी है.
"संवेदनशील अभिभावक और कम्युनिटी स्टेक होल्डर पॉजिटिव वातावरण बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, जो एसआरएच को लेकर खुली और स्वस्थ चर्चा को प्रोत्साहित करता है और सामाजिक पूर्वाग्रहों को चुनौती देता है. पॉजिटिव नजरिया को बढ़ावा देने और गलत सूचनाओं को फैलने से रोकने के लिए कम्युनिटी एंगेजमेंट प्रोग्राम और सोशल एंड विहैवियर चेंज कम्युनिकेशन इंटरवेंशंस आवश्यक हैं."रिया ठाकुर, एसोसिएट लीड - यूथ एंड एडोलसेंस, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया
गोपनीय और सही केयर उपलब्ध कराने के लिए यूथ-फ्रेंडली हेल्थकेयर सर्विसेज बनाना जरुरी है. युवाओं के स्पेसिफिक रिक्वायरमेंट्स (specific requirement) को समझने के लिए हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स को प्रशिक्षित करना जरूरी है.
चैटबॉट्स और डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म्स जैसे तकनीक-आधारित उपायों की मदद से एसआरएच इंफॉर्मेशन और रिसोर्सेज तक पहुंच में सुधार होता है, खासकर दूर दराज के पिछड़े क्षेत्रों के युवाओं के लिए.
स्कूलों, कॉलेजों और सामुदायिक केंद्रों के भीतर सेफ स्पेस बनाना, जहां युवाओं को सहजता से मदद मिल सके और एसआरएच सेवाओं तक उनकी पहुंच हो, बेहद आवश्यक है.
इसी सवाल का जवाब देते हुए ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया के प्रवीर महतो ने एक महत्वपूर्ण पहलू की ओर हमारा ध्यान खींचा.
उनके अनुसार, सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ संबंधी सूचना के प्रसार में सेक्स एजुकेशन पर प्रभावी पाठ्यक्रम और शिक्षण/शिक्षण सामग्री (learning materials) का अभाव एक बहुत बड़ी समस्या है. इस तरह की शिक्षा कम उम्र से ही मिलनी चाहिए और उम्र के अनुसार इसका पाठ्यक्रम होना चाहिए.
"इसमें यौन स्वास्थ्य संबंधी विषयों के बारे में वैज्ञानिक रूप से सटीक जानकारी के साथ समानता, सशक्तिकरण (empowerment), गैर-भेदभाव और डायवर्सिटी के मानदंडों को भी शामिल किया जाना चाहिए."प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरत
किताबों में जानकारी को दिलचस्प और सटीक तरीके से बताना चाहिए ताकि किशोरों की दिलचस्पी इसमें बनी रहे और शिक्षकों को भी उचित जानकारी और ट्रेनिंग मिलनी चाहिए.
"साथ ही समुदायों में भी जागरूकता बढ़ाना जरूरी है ताकि सांस्कृतिक और धार्मिक नेताओं का विरोध खत्म किया जा सके."प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरत
युवाओं के लिए कैसी होनी चाहिए हेल्थ केयर सर्विस?
भारत जैसे युवा देश के युवाओं को यूथ फ्रेंडली हेल्थ केयर की आवश्यकता है, जो ग्रामीण/शहरी क्षेत्रों में किशोरों को गोपनीय, गैर-निर्णयात्मक (non-judgemental) और उम्र के हिसाब से रिप्रोडक्टिव हेल्थ और गर्भनिरोधक सेवाएं प्रदान करती हों. इससे अनचाही प्रेगनेंसी को कम करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी.
"युवाओं को सही और बिना जज किए काउंसलिंग प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उन्हें सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ समस्याओं से निपटने की सही जानकारी मिल सके. साथ ही परिवार नियोजन, सुरक्षित गर्भपात, मासिक धर्म, एसटीडी से संबंधित सही सलाह दी जानी चाहिए और मिथकों को दूर किया जाना चाहिए."प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरत
प्रवीर महतो के अनुसार, आज के युग में बड़े पैमाने पर मौजूद ऑनलाइन इनफार्मेशन के कारण आज के युवाओं को अपने से पहले की पीढ़ियों की तुलना में अधिक उम्मीदें हैं, अपने अधिकारों की मजबूत समझ है और अपनी क्षमता और लक्ष्य (goal) की स्पष्ट दृष्टि है. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्हें उचित उपकरण, अवसर, मार्गदर्शन और हेल्थ केयर की आवश्यकता है.
"हेल्थ केयर सेवाएं युवाओं के लिए सुलभ, समय पर और गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए. यह सेवाएं उनकी आवश्यकताओं और आराम के अनुसार होनी चाहिए और वे इन सेवाओं को प्राप्त करने में संकोच नहीं करने चाहिए.डॉ. मधु जुनेजा, सीनियर कंसल्टेंट- ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, कल्याणी नगर, पुणे
मातृत्व संबंधी यानी मैटरनल हेल्थ सुविधाओं को किशोरियों और महिलाओं को समान रूप से प्रदान किया जाना चाहिए. घरेलू हिंसा, बाल यौन शोषण और दूसरी प्रताड़ना से पीड़ित युवाओं को मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उबरने में पूरी सहायता प्रदान की जानी चाहिए. साथ ही उन्हें मुख्यधारा में बनाए रखने का पूरा प्रयास किया जाना चाहिए. आज भी मानसिक स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा अछूता पहलू है, जिसपर ध्यान दिया जाना अत्यावश्यक है.
हेल्थ केयर प्रोवाइडर किस प्रकार युवाओं की सहायता कर सकते हैं?
हेल्थ केयर प्रोवाइडर खास तौर पर सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सुविधाओं को प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं. हेल्थ केयर प्रोवाइडर ऐसे कर सकते हैं युवाओं कि मदद:
युवाओं को सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ सेवाएं प्रदान करते समय संवेदनशील, सम्मानजनक व्यवहार रखना और गोपनीयता को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है ताकि युवा बिना किसी भय और संकोच के खुलकर अपनी बात कर सकें.
फैमिली प्लानिंग, यौन संचारी रोग (STD), सेफ एबॉर्शन की सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना और उनसे जुड़ी सभी सटीक जानकारी उपलब्ध कराना हेल्थ केयर प्रोवाइडर की ही जिम्मेदारी है.
यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि स्वास्थ्य केंद्रों को युवाओं के अनुकूल बनाया जाए और इसमें हेल्थ केयर प्रोवाइडर का उचित व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण है.
महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उससे जुड़े संकटों से निपटने के लिए संबंधित संगठनों की मदद से रणनीति बनाना और उस काम को पूरा करना भी जरुरी है.
युवाओं को आवश्यकता अनुसार और बिना शर्मिंदगी का एहसास दिलाए सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ से संबंधित सही जानकारी और सेवाएं प्रदान करना हेल्थ केयर प्रोवाइडर की जिम्मेदारी है.
इन सभी कार्यों को सफल तरीके से पूरा करने के लिए युवाओं की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना भी हेल्थ केयर प्रोवाइडर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
जनसंख्या दिवस पर एक्सपर्ट्स की सलाह
वर्तमान में दुनिया की आबादी सात बिलियन से अधिक हो चुकी है. राष्ट्रीय युवा नीति के अनुसार 13 से 35 वर्ष की आयु-वर्ग को युवा के रूप में पहचाना जाता है, जो भारतीय जनसंख्या का लगभग 40% है. इस बड़े हिस्से की आकांक्षाएं और उपलब्धियां जाहिर तौर पर भविष्य को आकार देंगी. देश की भलाई में निश्चय ही युवाओं की एक बहुत बड़ी भूमिका है. इनके विकास के लिए स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का होना बेहद जरुरी है.
"इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस का विषय लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना है, जिसमें हमारी दुनिया की अनगिनत संभावनाओं को खोलने के लिए महिलाओं और बालिकाओं की आवाज को ऊपर उठाने और उनके लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जा रहा है."प्रवीर महतो, ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया में प्रैक्टिश्नर के पद पर कार्यरत
डॉ. नेहा गुप्ता कहती हैं, "देश के युवाओं को समझदारी के साथ अपने प्रजनन अधिकारों का इस्तेमाल करना आना चाहिए ताकि वे सस्टेनेबल विकास के लायक बन सकें. अनचाही प्रेगनेंसी को समाप्त करना ही सही मायने में रिप्रोडक्टिव अधिकारों का सही इस्तेमाल करना है. किसी भी प्रगतिशील और खुशहाल समाज में, लैंगिक समानता और महिलाओं का सशक्तिकरण बेहद जरूरी है".
"युवा जनसंख्या वृद्धि और उसके परिणामों के प्रति जागरूक रहें और समय रहते अपने भविष्य के निर्णयों पर विचार करें. यह उनका दायित्व है कि वे अपने और देश के भविष्य के लिए सही कदम उठाएं."डॉ. मधु जुनेजा, सीनियर कंसल्टेंट- ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, कल्याणी नगर, पुणे
रिया ठाकुर फिट हिंदी से कहती हैं, "10 से 24 साल आयु वर्ग की 379 मिलियन युवा आबादी के साथ, भारत आर्थिक वृद्धि और विकास के मामले में विश्व में लीडर बनने की क्षमता रखता है. इस लक्ष्य को पाने के लिए युवाओं के लिए शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाई जानी चाहिए और उनमें निवेश किया जाना चाहिए.
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