हर साल World oral health day मानने की पीछे उद्देश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ओरल हेल्थ यानी मुंह की सेहत का ख्याल रखने और उससे होने वाली बीमारियों से सचेत किया जा सके. हर दिन मुंह व दांतों को साफ व सेहतमंद रखकर रोगों को दूर रखना ओरल हाइजीन कहलाता है. दांतों की सफाई से प्लाक, कैविटी और दांतों के बीच छुपे हुए खाने के कणों को हटाया जा सकता है.
ओरल हेल्थ का असर हमारे ओवरऑल सेहत पर भी असर पड़ता है. अगर मुंह की ढंग से सफाई न करें तो हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर, धमनियों में कड़ापन आना, खून के थक्के जमना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.
ओरल हेल्थ के महत्व और उससे जुड़ी बीमारियों के बारे में माहेश्वरी डेंटल क्लिनिक, गुड़गांव की चीफ डेंटल सर्जन, डॉ हिमानी माहेश्वरी ने फिट हिंदी को विस्तार से बताया.
ओरल हाइजीन का सही तरीका क्या है?
ओरल हाइजीन का मतलब सिर्फ दांतों की ही नहीं, दांतों के साथ-साथ जीभ, मसूड़े, तालु यानी पूरे मुंह की सफाई रखना.
"सुबह सवेरे उठ कर बिना कुछ खाए पिए ब्रश करना हम सब जानते हैं कि कितना जरूरी है पर उतना ही जरूरी है रात को सोने से पहले ब्रश करना भी. क्योंकि दिन भर में इकट्ठा हुए खाने के कण और प्लैक, को रात भर मुंह में सड़ने के लिए ना छोड़ने में ही समझदारी है. फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट इस्तेमाल करें. फ्लोराइड कैविटीज से बचाने में मदद करता है" ये कहना है डॉ हिमानी का. ओरल हाइजीन के बारे में उन्होंने बताया कि ब्रशिंग के अलावा इन बातों का ध्यान रखना बेहद फायदेमंद होता है:
टंग क्लीनर का इस्तेमाल: मुंह में बदबू फैलाने वाले जर्म जीभ पर ही सबसे ज्यादा पाए जाते हैं. ब्रश करते समय जीभ की सफाई का ध्यान रखें
कुल्ला करें: कुछ भी खाने के बाद कुल्ला जरूर करें
फ़्लॉसिंग: फ़्लॉसिंग दांतों के बीच उन मुश्किल जगहों को साफ रखने का तरीका है जहां ब्रश नहीं पहुँच पाता है. अगर धागा इस्तेमाल करने में मुश्किल आती है तो आप वॉटर फ़्लॉस भी इस्तेमाल कर सकते हैं. वॉटर फ़्लॉस पानी की तेज धार से दांतों के बीच फंसे खाने को निकाल देता है
माउथ वाश: माउथ वाश मुँह के हार्म्फ़ुल बैक्टीरिया को मारने में मदद करता है. ये ब्रशिंग और फ़्लॉस का विकल्प नहीं है पर मुँह को साफ रखने में लाभदायक है
पानी पीना: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना आवश्यक है क्योंकि ये खाने से बने ऐसिड के नेगेटिव इफ़ेक्ट को कम करने का एक प्रभावी तरीका है
डेंटिस्ट से मिलें: हर 6 महीने पर अपने दांतों का रूटीन चेक उप जरुर कराएं ताकि आपके दांत और मसूड़े लम्बे समय तक स्वस्थ रहें
ड्राई माउथ: अगर ड्राई माउथ की समस्या है, तो हाइड्रेटेड रहें. पानी खूब पीते रहें. आइस क्यूब और शुगर मुक्त गम का भी सेवन कर सकते हैं
मीठे का सेवन कम: कोशिश करें कि मीठा कम खाएं
कोल्ड ड्रिंक कम पीएं: बाजार में मिलने वाले सॉफ्ट ड्रिंक या कोल्ड ड्रिंक न पिएं
“कहते हैं सारी बीमारी पेट से शुरू होती है पर सोचने वाली बात यह है कि पेट तक का रास्ता मुँह से हो कर जाता है, तो अपने मुँह का विशेष ध्यान रखिए"डॉ हिमानी माहेश्वरी, चीफ डेंटल सर्जन, माहेश्वरी डेंटल क्लिनिक, गुड़गाँव
ओरल हाइजीन का ध्यान न रखने पर हो सकती हैं ये समस्याएं
ओरल हाइजीन की कमी से होने वाली कुछ प्रमुख समस्याएं ये हैं:
दांतों का सड़ना
मसूड़ों में इन्फेक्शन
दांतों में दर्द
कान में दर्द
सर में दर्द
मुँह से बदबू आना
मसूड़ों से खून आना
इतना ही नहीं, ओरल हाइजीन की कमी ओरल कैंसर और दिल की बीमारियों का कारण भी बन सकती है.
ओरल हाइजीन से जुड़ा है मुँह का कैंसर और हार्ट की समस्या
मुँह का कैंसर: मुँह के कैंसर के लगभग 90 प्रतिशत मामले तम्बाकू चबाने और धूम्रपान करने से होते हैं. मुँह के कैंसर का एक और कारण है लंबे समय तक मुँह में घाव का रहना, जो की डेंचर की खराब फिटिंग या अपने ही नुकीले दांतों से हो सकता है. ऐसा होने पर अपने डेंटिस्ट के पास जरूर जाएं.
मुँह के कैंसर के लक्षण:
मुँह में छाला जो ठीक नहीं हो रहा हो
मुँह में सफेद, लाल या धब्बेदार पैच
अकारण वजन कम होना
होंठ, मसूड़ा या मुँह के किसी भी क्षेत्र में सूजन होना
चेहरे, मुँह, गर्दन या कान के पास सुन्न महसूस करना
मुँह का पूरी तरह न खुल पाना
कुछ भी निगलने में दिक्कत होना
मुँह के कैंसर से बचाव :
धूम्रपान और तंबाकू उत्पाद का प्रयोग न करें
संतुलित आहार का सेवन करें
सूर्य की किरणों से बचने के लिए होंठों पर सनस्क्रीन का प्रयोग रोज करें
महीने में एक बार अपने मुँह का परीक्षण करें
अपने मुँह में अकारण सख्ती, लाइलाज छाला, घाव या कोई पैच दिखने पर तुरंत डेंटिस्ट से सम्पर्क करें
हार्ट की समस्याएं: बात करें हार्ट की समस्याओं की, तो जो बैक्टीरिया मसूड़ों में सूजन का कारण बनते हैं, वही बैक्टीरिया खून में मिल कर धमनियां (arteries) में प्लैक बना सकते हैं.
प्लैक से आर्टरीज सख्त हो जाती हैं, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है. इससे शरीर में खून के बहाव में अवरोध होता है और हार्ट ब्लॉकेज हो सकता है. ये हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ा देता है.
अगर कोई परेशानी नहीं है, तब भी हर 6 महीने में एक बार डेंटिस्ट के पास जरूर जाएं. प्रॉपर क्लीनिंग के साथ जेनरल चेक-अप कराने से आने वाली बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है.
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