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क्या है ओवेरियन कैंसर? जानिए इसके लक्षण और इलाज

अगर इनमें से कोई भी लक्षण 2-3 हफ्ते से अधिक समय तक रहता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें.

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फिल्म दिल से, बॉम्बे और 1942: अ लव स्टोरी में क्या समानता है?

जी हां, इन तीनों में मनीषा कोइराला हीरोइन हैं. लेकिन मनीषा सिर्फ फिल्मों में अपने यादगार अभिनय के लिए नहीं जानी जातीं.

मनीषा कोइराला ने 2013 में ओवेरियन कैंसर (डिंब ग्रंथि या बच्चेदानी का कैंसर) को मात दिया था. नवंबर 2012 में काठमांडू में उन्हें इस बीमारी का पता चला. वह छह महीने लंबे इलाज, जिसमें कई कीमोथेरेपी सेशन और एक सर्जरी शामिल थी, के लिए अमेरिका गईं. अब वह कैंसर से मुक्त हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में, उन्होंने बीमारी के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए कहा था:

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कैंसर का पता चलने के बाद, इससे होने वाली तकलीफ और दर्दभरे इलाज के बारे में सोचकर बहुत डर और चिंता हो जाती है. कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसे समझने और अध्ययन करने में डॉक्टरों को सालों लग जाते हैं. तो हमें डॉक्टरों को अपना काम करने देना चाहिए.
अगर इनमें से कोई भी लक्षण 2-3 हफ्ते से अधिक समय तक रहता है, तो  डॉक्टर से संपर्क करें.
मनीषा कोइराला को नवंबर 2012 में काठमांडू में इस बीमारी का पता चला था.
(फोटो सौजन्य:Twitter/@mkoirala)

इंडियन जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक ओवेरियन कैंसर भारत में महिलाओं में कैंसर का तीसरा प्रमुख प्रकार है. एकअध्ययन में पाया गया है कि बीते पांच वर्षों के दौरान कैंसर का पता चलने के बाद केवल 45 प्रतिशत महिलाएं जीवित रहीं. इसका कारण मुख्य रूप से बीमारी का देर से पता चलना है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर महिलाओं को बीमारी का पता एडवांस स्टेज (थर्ड या फोर्थ स्टेज में) में चलता है.

लेकिन ओवेरियन कैंसर क्या है और इसका केवल एडवांस स्टेज में ही क्यों पता चलता है?

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ओवेरियन कैंसर क्या है?

अगर इनमें से कोई भी लक्षण 2-3 हफ्ते से अधिक समय तक रहता है, तो  डॉक्टर से संपर्क करें.
ओवेरियन कैंसर आमतौर पर महिलाओं के प्रजनन सिस्टम की ओवरी में शुरू होता है.
(फोटो: iStockphoto)

महिलाओं के प्रजनन सिस्टम की ओवरी में पैदा होने वाले इस कैंसर के शुरुआती दौर में कोई लक्षण नहीं होते. इसके स्टमक (आमाशय) या पेल्विक रीजन (श्रोणि क्षेत्र) में फैल जाने के बाद ही इसका पता चलता है.

आमतौर पर इसका इलाज मुश्किल होता है और कई बार यह जानलेवा साबित होता है. 

हालांकि यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन इसका शिकार ज्यादातर 50-60 साल की महिलाएं होती हैं.

लक्षण

शुरुआती चरण में ओेवेरियन कैंसर का मुश्किल से ही कोई लक्षण दिखाई देता है. यहां तक कि एडवांस स्टेज में भी बहुत कम या मामूली लक्षण दिखाई दे सकते हैं. यही कारण है कि बहुत सी महिलाएं, इस कैंसर के लक्षणों को समझ नहीं पाती हैं.

मायो क्लीनिक के मुताबिक लक्षणों में ये शामिल हैं:

  • पेट दर्द और सूजन
  • वजन घटना, थकान, पीठ दर्द
  • बार-बार पेशाब करने की जरूरत महसूस होना
  • पेट की खराबी
  • कब्ज

अगर इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण दो-तीन हफ्ते से अधिक समय तक रहता है, तो महिलाओं को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

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इलाज

डॉक्टरों को स्पष्ट नहीं है कि ये बीमारी किस वजह से होती है, लेकिन जिन महिलाओं के परिवार में किसी को ब्रेस्ट या ओवेरियन कैंसर रहा हो. ऐसी महिलाओं में इसके होने की ज्यादा आशंका होती है. ऐसी महिलाएं किसी जीन म्यूटेशन, जो कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है, का पता लगाने के लिए खुद का टेस्ट करा सकती हैं.

एक बार बीमारी का पता चल जाने के बाद, सर्जरी या कीमोथेरेपी कराई जा सकती है.

क्या कहता है नया शोध?

Nature Communications पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने ‘सेल्युलर पाथवे’ खोज लिया है, जिसके बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी. यही सेल्युलर पाथवे ओवेरियन कैंसर के विकास से जुड़े म्यूटेंट प्रोटीन को चुनिंदा तरीके से नियंत्रित करता है.

वैज्ञानिकों ने इस पाथवे के एक महत्वपूर्ण नियामक की भी पहचान की, और उनका मानना है कि इस नियामक को ध्यान में रखते हुए बनाई गए दवाएं भविष्य में कैंसर वाली कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं.

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