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पीरियड्स के दौरान हाइजीन की कमी से वजाइनल इंफेक्शन, एचपीवी की बढ़ती आशंका

पीरियड्स के दौरान हाइजीन का ध्यान न रखना सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर समस्या का भी कारण बन सकता है.

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Menstrual Hygiene: लड़कियों को 10-15 की उम्र से मासिक धर्म यानी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं और इस दौरान हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग के कारण लड़कियों का शरीर काफी कमजोर हो जाता है और वजाइनल इन्फेक्शन की आशंका बढ़ जाती है. अगर सफाई का विशेष ध्यान न रखा जाए तो इस दौरान गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की आशंका भी बढ़ जाती है.

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पीरियड्स के दौरान हाइजीन का ध्यान नहीं रखने से क्या हो सकता है?

पीरियड्स के दौरान हाइजीन का ध्यान न रखना सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर समस्या का भी कारण हो सकता है. आप सोच रही होंगी की आखिर हाइजीन का सर्वाइकल कैंसर से क्या लेना देना तो आपको बता दें कि पीरियड्स में हाइजीन को लेकर की गई लापरवाही से ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) की आशंका बढ़ जाती है.

हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) भी एक खतरनाक ब्लड इन्फेक्शियस डिजीज है, जो अनहेल्दी और हाइजीन की कमी के कारण मासिक धर्म के दौरान फैल सकता है. जब एक व्यक्ति का ब्लड, शरीर के दूसरे तरल धारक (जैसे वजाइनल ब्लीडिंग, खून और दांत) के संपर्क में आता है, जिसमें हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) मौजूद होता है, तो संक्रमण का खतरा होता है. इसलिए पीरियड्स में स्वास्थ्य और स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

मासिक धर्म के दौरान, वजाइनल क्षेत्र के आसपास इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है, जो कि ध्यान न देने पर यूरीनरी ट्रैक्ट के इन्फेक्शन के रूप में विकसित हो सकता है. इससे पेशाब करते समय तकलीफ, पेशाब में जलन या गंध शामिल हो सकते हैं, जिसे यूटीआई भी कहते हैं.

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पीरियड्स में हाइजीन का ख्याल ऐसे रखें

  • पीरियड्स में हाइजीन को ध्यान में रखते हुए कपड़े की जगह पैड या टैम्पोन का उपयोग करना चाहिए और साथ ही हर 6 से 8 घंटे पर पैड बदलते रहना चाहिए. रात में आप लगभग 8 घंटे नींद में बिताते है तो सोने से पहले पैड जरूर बदलें. कई बार बहुत अधिक ब्लीडिंग के कारण महिलाएं एक ही साथ एक से ज्यादा पैड भी इस्तेमाल करती है, ध्यान रखे कि ऐसा करना सही नहीं होता.

  • कोई महिला कपड़े या दोबारा इस्तेमाल करने वाला पैड का प्रयोग करती हैं, तो उसे हर बार साबुन और गर्म पानी से धोएं और पूरी तरह सुखाएं.

  • मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने वाली महिलाएं कप को हर इस्तेमाल से पहले स्टरलाइज जरूर करना करें. बिना स्टरलाइज किए कप का दोबारा इस्तेमाल गंभीर बीमारियों को सीधा न्योता है.

  • टैम्पोन को हर 6 घंटे में बदलना चाहिए और गलती से भी उसको अपने शरीर के अंदर न छोड़े, ऐसा करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. जैसे कि टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम हो सकता है, जिसमें अचानक बुखार, शरीर के तापमान की वृद्धि, मतली, उल्टी, दिल की धड़कन में बदलाव और चक्कर आने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

इस प्रकार की किसी भी समस्या से बचने के लिए पीरियड्स में हाइजीन का ध्यान रखना बेहद जरुरी है और आम तौर पर भी वजाइना के आसपास सफाई बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है. साथ ही नियमित जांच और एचपीवी (HPV) टीकाकरण लेना भी लड़कियों के लिए जरूरी होता है.

खैर, ये तो हुई अपने निजी स्वास्थ्य और हाइजीन की, इसके अलावा आपको अपने साथ अपने पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए और पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट को सही तरीके से डिस्पोज करना भी जरुरी है. सही एप्रोच बनाने से न केवल आपके आसपास की स्वच्छता को बनाए रखने में मदद होगी, बल्कि यह आपके और आपके पास के लोगों के हेल्थ और पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है.

(ये आर्टिकल गुरुग्राम के सी के बिरला हॉस्पिटल में ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की लीड कंसलटेंट, डॉ. आस्था दयाल ने फिट हिंदी के लिये लिखा है.)

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