भारत की राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान झूलन गोस्वामी ने एक खिलाड़ी के मेंस्ट्रुएशन से डील करने के बारे में स्पोर्ट्सस्टार पत्रिका से बात करते हुए कहा, "एक महिला एथलीट के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होती है."
"अगर यह प्रतियोगिता के समय होता है, तो उसे मैनेज करने के साथ अपने काम पर ध्यान देना एक बड़ी चुनौती बन जाता है, ऐसे में आपको मानसिक रूप से मजबूत होना होता है."झूलन गोस्वामी, अनुभवी क्रिकेटर, स्पोर्ट्सस्टार के हवाले से
"इसे हम नोर्मल मानते हैं, और खुद को इसी तरह से तैयार करते हैं," झूलन गोस्वामी ने कहा.
उन्होंने आगे कहा कि जब एथलीट अपने पीरियड्स के दौरान अच्छा प्रदर्शन करने में असमर्थ होती हैं, तो लोग वास्तविक कारण जाने बिना उनकी आलोचना करते हैं.
हालांकि, हाल के वर्षों में, खिलाड़ी अपने प्रदर्शन पर मेंस्ट्रुएशन के प्रभाव के बारे में अधिक खुल कर बात कर रहे हैं.
हाल ही में फ्रेंच ओपन 2022 में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी इगा स्वाइतेक से हारने के बाद 19 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी जेंग किनवेन ने कहा, “काश मैं कोर्ट (tennis court) पर पुरुष होती, (जिससे कि) मुझे यह न झेलना पड़ता.”
हताश किशोरी ने इस बारे में बात की कि किस तरह वह तेज माहवारी ऐंठन (menstrual cramps) की वजह से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने में नाकाम रही.
“पहला दिन हमेशा बहुत तकलीफ भरा होता है फिर भी मुझे खेलना होता है. मुझे हमेशा पहले दिन बेहद तेज दर्द होता है. और मैं अपनी बनावट के खिलाफ नहीं जा सकती.”जेंग किनवेन
भारतीय क्रिकेटर जेमिमा रोड्रिग्स फिट से बात करते हुए किनवेन से सहानुभूति जताती हैं. वह कहती हैं, “जो नहीं जानते वो नहीं समझेंगे.”
रोड्रिग्स कहती हैं, “मैच का समय होने पर कभी-कभी हम पेनकिलर दवाएं लेते हैं. लेकिन अंत में हमें वही करना होता है, जो हमें करना है.”
पीरियड का दर्द निचोड़ देता है, खासकर अगर आप एथलीट हैं
पीरियड से गुजरने वाली लड़कियों को सदियों से इस सोच के साथ जीना पड़ता हैं– कुछ पूछो मत, कुछ बताओ मत. मजबूत बनी रहो और ऐसे बर्ताव करो मानो आपका शरीर हार्मोनल तूफान से गुजर ही नहीं रहा है– चाहे काम की जगह हो, घर हो, स्कूल हो, और खेल में भी कोई फर्क नहीं है.
इसमें दर्द, ऐंठन, मांसपेशियों में जकड़न, मितली आना, चक्कर आना और थकान होती है– ये सभी एक प्रोफेशनल एथलीट के खेल को बर्बाद कर सकते हैं.
फिट से बात करते हुए रॉड्रिक्स कहती हैं, “मैं थक जाती हूं, और मेरी पीठ में घाव जैसा दर्द होने लगता है. हालांकि इससे मेरी ट्रेनिंग पर खास असर नहीं पड़ता है, लेकिन मैंने अपनी साथियों को परेशान देखा है.”
“उनमें से कुछ बिस्तर से उठ भी नहीं पाती हैं. ऐसा लगता है, जैसे कोई आपकी एनर्जी निचोड़ ले रहा है, और सबसे बड़ी बात यह कि दर्द बहुत बेचैन करता है.”जेमिमा रोड्रिग्स
ये पक्का करने के लिए कि पीरियड्स का दिन महत्वपूर्ण तारीखों के साथ न टकराए, कुछ खिलाड़ी पेन किलर (painkillers) लेती हैं जबकि कुछ बर्थ कंट्रोल पिल्स (birth control pills) का सहारा लेती हैं.
फिर भी, हर शरीर अलग है और सभी के लिए कोई एक तयशुदा फार्मूला नहीं है.
फिजियोथेरेपिस्ट और स्पोर्ट्स साइंटिस्ट निखिल लाते फिट से बात करते हुए कहते हैं, “2016 ओलंपिक से तीन महीने पहले मैंने रियो ओलंपिक में जा रही सभी महिला एथलीट्स से कहा था कि अगर आपको लगता है कि इससे परेशानी होनेवाली है, तो आपको अभी अपने मासिक चक्र को एडजस्ट करने (ताकि उनकी तारीखें उनके खेल इवेंट्स से न टकराएं) के लिए स्त्री रोग डॉक्टर से बात करनी चाहिए, क्योंकि आपको ऐसा कम से कम दो से तीन मेंस्ट्रुअल साइकिल पहले करना होगा.”
वह आगे कहते हैं, “मैंने इस पर जोर नहीं दिया क्योंकि यह बेहद व्यक्तिगत चीज है. उनके हेल्थ के इंचार्ज के तौर पर मेरी जिम्मेदारी थी कि उन्हें सलाह दी जाए, लेकिन चूंकि मैं स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं हूं, इसलिए मैंने उनसे इस बारे में जबरदस्ती नहीं की.”
“बॉक्सिंग में, अगर आपका माहवारी चक्र किसी मैच के दिन पड़ने वाला है, तो आप अपने मासिक चक्र में बदलाव कर सकती हैं, ताकि वह उस दिन न पड़े. एक बॉक्सिंग टूर्नामेंट करीब 5 दिन तक चलता है.”निखिल लाते, फिजियोथेरेपिस्ट और स्पोर्ट्स साइंटिस्ट
वह कहते हैं, “लेकिन बैडमिंटन जैसे खेल के मामले में ओलंपिक स्तर पर एक टूर्नामेंट 12 दिन तक चलेगा, और आप इतने लंबे समय तक अपने मासिक चक्र के साथ बदलाव नहीं कर सकतीं. यह ठीक नहीं है.”
पेन किलर्स के बारे में बात करते हुए निखिल लाते बताते हैं, “आपको पेन किलर्स की किस्म के बारे में भी सतर्क रहना होगा. पैरासिटामोल जैसी कोई चीज आपको धीमा नहीं करेगी या कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा, लेकिन कुछ तेज असर वाली पेन किलर्स असर डाल सकती हैं.”
पेशेवर खेलों में, महिला एथलीट के लिए आम वर्जनाओं से भी ऊपर कुछ ज्यादा शर्तें होती है, जिन्हें यह साबित करने के लिए ज्यादा कोशिश करनी पड़ती है कि वे सदियों से पुरुषों के वर्चस्व वाले खेलों– एक ऐसा मैदान जहां मासिक ‘कमजोरी’ के लिए कोई सहानुभूति नहीं है, में अपना दबदबा बनाने में सक्षम हैं.
हालांकि बहुतों को लगता है कि अब दर्द के बावजूद मुस्कुराने की जरूरत नहीं है, फिर भी यह डर अभी भी कायम है कि इसे बहाना ही माना जाएगा.
“मैंने बहुत से लोगों को दर्द के बीच खेलते देखा है. चाहे कितना भी दर्द हो, जब आप स्टेडियम में जाते हैं तो आप इसे एक तरफ रख देते हैं और पूरा ध्यान उस काम पर होता है, जो उन्हें करना होता है.”जेमिमा रोड्रिग्स
वह कहती हैं, “आखिरकार हम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे हैं. आप अंतरराष्ट्रीय मुकाबला खेल रहे हैं, तो आप कोई सफाई नहीं दे सकते.”
2016 के समर ओलंपिक के दौरान जब चीनी तैराक फू युआनहुई ने कांस्य पदक जीतने पर अपने पीरियड्स के बारे में बात करने से पहले कहा, “यह कोई बहाना नहीं है. आखिरकार बात यह है कि मैंने बहुत अच्छा स्विम नहीं किया.”
क्या पीरियड प्रदर्शन को प्रभावित करता है?
कुछ छिटपुट स्टडी हुई हैं, जिसमें संभावित तरीकों पर ध्यान दिया है कि माहवारी चक्र (menstrual cycle) के विभिन्न चरण एथलीट के खेल पर किस तरह असर डाल सकते हैं, लेकिन ये स्टडी अलग-अलग नतीजों वाली छोटी और काफी अलग रही हैं.
उदाहरण के लिए 2020 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि ओव्यूलेशन के बाद ल्यूटियल फेज में कोर बॉडी तापमान (core body temperature) 0.3 से 0.7 फीसद तक बढ़ जाता है. शरीर भी इस समय धीमी रफ्तार से ठंडा होता है.
शोधकर्ताओं का दावा है कि जब खेल और एक्सरसाइज, जिसमें थर्मोरेगुलेशन महत्वपूर्ण है, की बात आती है, तो यह नुकसानदायक हो सकता है.
अध्ययनों से यह भी पता चला है कि माहवारी के दौरान एस्ट्रोजन (estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (progesterone) के स्तर में उतार-चढ़ाव से मांसपेशियों और हड्डियों की चोटों का खतरा बढ़ सकता है. लेकिन, इन दावों को पुख्ता करने के लिए ज्यादा वैज्ञानिक सुबूत नहीं हैं, और मेंस्ट्रुअल साइकिल की हमारी समझ अभी भी काफी अधूरी है.
कारण है– महिलाओं की सेहत, खासकर मेंस्ट्रुअल साइकिल के बारे में अध्ययन बहुत ‘उलझे हुए’ हैं.
हालांकि जो लोग इस पर गहराई से नजर रखते हैं, जैसे कि एथलीट, कोच, ट्रेनर और फिजियोथेरेपिस्ट वह आपको बताएंगे कि इससे क्या होता है.
मैरीकॉम जैसी एलीट एथलीट के साथ काम करने वाले निखिल लाते कहते हैं, “यह निश्चित रूप से प्रदर्शन पर असर डालता है. बाहर के शख्स को कोई फर्क नहीं दिखाई देता है, जबकि हम उन एथलीटों के साथ रोजाना काम कर रहे हैं जिससे हम जानते हैं.”
“लंदन ओलंपिक के दौरान सेमीफाइनल से एक दिन पहले, उनका (मैरी कॉम) मेंस्ट्रुअल साइकिल आ गया, और इसने उन्हें कमजोर कर दिया. वह शायद 100 फीसद के बजाय 95 फीसद थीं.”निखिल लाते, फिजियोथेरेपिस्ट और स्पोर्ट्स साइंटिस्ट
“... लेकिन खेल-खेल में फर्क है.”
“बॉक्सिंग चूंकि सिर्फ 9 मिनट का खेल है, और आप लगभग पूरे समय जूझ रहे होते हैं, अगर आप धीमे पड़ते हैं, तो निश्चित रूप से इसका असर पड़ता है.”
“इसके उलट बैडमिंटन जैसा खेल लगातार मेहनत का खेल नहीं है. इसकी एक लय है, इसके तेज और धीमे एरिया हैं, यह ज्यादा टेक्टिस वाला खेल है.”
“अगर आपका शरीर थोड़ा धीमा है, तो आप आसानी से गेम प्लान बदलकर— टेक्टिकल और टेक्निकल बदलावों से— प्रतिद्वंद्वी का काम मुश्किल कर इसकी भरपाई कर सकती हैं.”निखिल लाते, फिजियोथेरेपिस्ट और स्पोर्ट्स साइंटिस्ट
खेल में पीरियड्स की बात (और अपनी बात जोर से कहना)
समय बदल रहा है, और पिछले कुछ सालों में किनवेन की तरह कई प्रोफेशनल एथलीट्स ने इस बारे में खुलकर बात की है कि कैसे उनके पीरियड्स के चलते उन्हें महत्वपूर्ण मुकाबलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने में मुश्किल पेश आई.
देश के अंदर भी मैरी कॉम, पीवी सिंधु, दुती चंद जैसी एलीट खिलाड़ी और रॉड्रिग्स जैसी नौजवान खिलाड़ी पीरियड्स वाली खिलाड़ी होने की परेशानी के बारे में खुलकर बात रही हैं.
वह कहती हैं, “इन दिनों, बहुत सी एथलीट पीरियड्स के बारे में खुलकर बात कर रही हैं. मुझे लगता है कि पहले ऐसा नहीं होता था क्योंकि समाज आज की तरह इन बातों को कुबूल नहीं करता था.”
“लोग इसे ऐसी चीज के तौर देखते हैं, जो सामान्य नहीं है. और मुझे बहुत खुशी है कि बहुत सारे लोग अब इस बारे में बात रहे हैं क्योंकि इससे बहुत सी नौजवान लड़कियों को मदद होने वाली है.”जेमिमा रोड्रिग्स
जेमिमा को उम्मीद है कि पीरियड्स की समस्याओं को खेल प्रतियोगिताओं में जगह दी जाएगी, और यह कि ज्यादा खुलेपन और ज्यादा समझदारी के साथ लोग पीरियड्स वाली खिलाड़ियों के प्रति ज्यादा सहानुभूति रखेंगे. वह कहती हैं, “यह महिलाओं के खेल को बढ़ाने में मदद करने जा रहा है. निश्चित रूप से ऐसा होने जा रहा है.”
(स्पोर्ट्सस्टार के इनपुट्स के साथ लिखा गया)
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